होम / क्‍या है पूजा स्थल अधिनियम 1991, आखिर क्‍यों जरूरत पड़ी इसकी

क्‍या है पूजा स्थल अधिनियम 1991, आखिर क्‍यों जरूरत पड़ी इसकी

India News Desk • LAST UPDATED : May 18, 2022, 2:29 pm IST

इंडिया न्‍यूज। Places of Worship Act: पूजा स्थल कानून 1991 क्या है? इसकी क्‍यों जरूरत पड़ी और क्‍यों मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी? राम मंदिर और बाबरी मस्जिद केस इसके तहत क्‍यों नहीं आया?

क्‍या है पूजा स्थल अधिनियम 1991

पूजा स्थल अधिनियम 1991 के अनुसार किसी भी धार्मिक पूजा स्‍थल को दूसरे धार्मिक स्‍थल में परिवर्तित नहीं किया जा सकता। बता दें कि इस कानून के अनुसार 15 अगस्त 1947 से पहले बने या अस्तित्‍व में आए धार्मिक स्‍थल को बदलने की सूरत में एक से तीन वर्ष की जेल और जुर्माने का प्रावधान है।

ये भी पढ़ें : दिल्ली की जामा मस्जिद के नीचे देवी-देवताओं की मूर्तियां होने का दावा

ज्ञानवापी केस के साथ पूजा स्थल अधिनियम 1991 की इन दिनों काफी चर्चा है। सुप्रीम कोर्ट से लेकर वाराणसी कोर्ट मामले से जुड़ेे केस की सुनवाई कर रहे हैं। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष नेे याचिका दायर कर वाराणसी कोर्ट के आदेश को पूजा स्थल अधिनियम 1991 का उल्‍लंघन बताया है।

राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद के दौरान 1991 में तत्‍कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहा राव सरकार पूजा स्थल कानून लेकर आई। पूजा स्थल अधिनियम 1991 के अनुसार किसी भी धार्मिक पूजा स्‍थल को दूसरे धार्मिक स्‍थल में परिवर्तित नहीं किया जा सकता। कानून के अनुसार 15 अगस्त 1947 से पहले बने या अस्तित्‍व में आए धार्मिक स्‍थल को बदलने की सूरत में एक से तीन वर्ष की जेल और जुर्माने का प्रावधान है। चूंकि‍ राम मंदिर बाबरी मस्जिद विवाद उस वक्‍त कोर्ट में था इसलिए इसे इस कानून से अलग रखा गया।

मुस्लिम पक्ष की याचिका में क्‍या है दलील

मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए लिखा है कि पूजा स्थल अधिनियम 1991 की धारा 2, 3 और 4 संवैधानिक वैद्यता को चुनौती देती है। उनका कहना है कि तीनों धाराएं भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 25, 26 और 29 का उल्लंघन करती हैं।

पूजा स्थल कानून की धारा 2 क्‍या है

पूजा स्थल कानून की धारा 2 के अनुसार 15 अगस्त 1947 से पहले बने या मौजूद धार्मिक स्‍थल में छेड़खानी करके किसी भी प्रकार की याचिका, अदालती कार्यवाही आदि लंबित है तो उसे तत्‍काल बंद कर दिया जाएगा।

पूजा स्थल कानून की धारा 3 क्‍या है

पूजा स्थल कानून की धारा 3 के अनुसार किसी भी धार्मिक स्‍थल को पूरी या आंशिक रूप से किसी दूसरे धर्म के स्‍थल में परिवर्तित नहीं किया जा सकता। यह धारा इस पर प्रतिबंध लगाती है। इसके तहत किसी भी धर्म के स्‍थल को आंशिक या पूर्ण रूप से नहीं बदला जा सकता।

पूजा स्थल कानून की धारा 4 (1) क्‍या है

पूजा स्थल कानून की धारा 4 (1) के तहत किसी भी धार्मिक पूजा स्‍थान को उसके मूल रूप में बनाए रखना होगा। इसके साथ ही धारा-4 (2) इसके तहत चल रहे केस, अपील और अन्‍य कानूनी कार्यवाहियों पर प्रतिबंध लगाता है। वहीं धारा-5 के अनुसार इस कानून के तहत राम जन्‍मभूमि से जुड़े केस इस पर लागू नहीं होंगे।

क्यों बनाया गया था पूजा स्थल कानून?

राम मंदिर आंदोलन 1990 के दशक में अपने चरम पर था। राम मंदिर और बाबरी मस्जिद के साथ ही अनेक मंदिर और मस्जिद के विवाद उठने शुरू हो गए थे। देश में हालात बद से बदतर न हो जाएं इसलिए नरसिंहा राव सरकार ये कानून लेकर आई थी।

900 से अधिक मंदिरों को लेकर हो सकता है विवाद

वरष्ठि अधिवक्‍ता मान सिंह काकरान कहते हैं कि आखिर 1947 को बेस क्‍यों रखा गया। जबकि 1192 से 1947 तक 900 से अधिक मंदिरों को या तो तोड़ा गया या उनके स्‍थान पर मस्जिद बना दी गई। कई मामलों में मंदिरों के स्‍थान पर चर्च का भी निर्माण कर दिया गया। इसके लिए बेस इयर गलत है। बेस इयर 1192 ही रखा जाना चाहिए।

ये भी पढ़ें : 75th कान्स फिल्म फेस्टिवल इंडियन सिनेमा के लिए है खास, जाने कान्स से जुड़े रोचक तथ्य

ये भी पढ़ें : पंजाब में अब किसान क्‍यों कर रहे हैं आंदोलन, जानिए क्‍या हैं कारण

हमें Google News पर फॉलो करें- क्लिक करें !

Connect With Us : Twitter | Facebook Youtube

Tags:

Get Current Updates on News India, India News, News India sports, News India Health along with News India Entertainment, India Lok Sabha Election and Headlines from India and around the world.