We Women: पूरी दुनिया में आज महिलाओं के मूद्दों को गंभीरता से लिया जाने लगा है। अलग – अलग देशों में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए बहुत सारे नियम और कानून भी बनाए गए हैं। हालांकि इन सब के बावजूद बड़ी संख्या में महिलाओं का आज भी समाज में शोषण होता है। बता दें अवैतनिक घरेलू श्रम पर हुए एक शोध में कई ज़रूरी तथ्य सामने आए हैं। इस शोध को जर्नल साइंस डायरेक्ट में पिछले महीने फरवरी में प्रकाशित किया गया था। इसका शीर्षक ‘जेंडर गैप इन मोबिलिटी आउटसाइड होम इन अर्बन इंडिया’ है। यह सर्वे मुख्य रूप से भारत में महिलाओं के घर पर रहने, उनका अपने घरों के परिवेश के भीतर बने रहने और सामाजिक और शैक्षिक अनुभवों और रोजगार से अलग होने की स्पष्ट घटना को बता करता है।
इस शोध को दिल्ली के आईआईटी में परिवहन अनुसंधान के अंतर्गत सहायक प्रोफेसर राहुल गोयल के द्वारा किया गया है। बता दें इन्होंने साल 2019 में नैशनल सैंपल सर्वे द्वारा किए गए ‘टाइम यूज सर्वे‘ के डेटा का इस्तेमाल किया है। जानकारी के लिए बता दें साल 2019 के ‘टाइम यूज सर्वे’ की बात करें तो इसमें शहरी और ग्रामीण भारत में रहनेवाले पुरुषों और महिलाओं द्वारा समय के उपयोग का अध्ययन किया गया था। सर्वे बताता है कि जहां महिलाएं प्रतिदिन औसतन 7 घंटे घर के सदस्यों के अवैतनिक घरेलू काम और देखभाल से जुड़ी सेवाओं पर लगाती हैं, वहीं पुरुष मुश्किल से 3 घंटे इस पर खर्च करते हैं।
इस अध्ययन के अनुासर सर्वे में शामिल 53% महिलाएं दिन में एकबार भी घर से बाहर कदम नहीं रखती हैं। वहीं, महिलाओं की तुलना में 87 फीसदी पुरुष हर दिन एक बार तो ज़रूर घर से बाहर निकलते हैं। अध्ययन में यह भी बताया गया है कि 78% से अधिक महिलाओं को किराने की दुकान तक जाने के लिए अपने घर के पुरुष सदस्य से अनुमति की ज़रूरत होती है।
भारत में गतिशीलता दर में एक बड़ी लैंगिक असमानता आमतौर पर दुनिया के अधिकांश हिस्सों में नहीं देखी जाती है। जैसे लंदन के इससे जुड़े एक शोध में कोई लैंगिक अंतर नहीं पाया। फ्रांस के शोध में औरतें आदमियों की तुलना में अधिक बहार निकलती हैं। दक्षिण एशिया, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका जैसे देश विश्व में सबसे अधिक लैंगिक असमानता वाले समाजों में से हैं, जहां विश्व के बाकी हिस्सों की तुलना में महिलाओं की बाहर निकलकर काम करने की भागीदारी दर कम है।
इस शोध के परिणामों की ओट में हम इस तथ्य को नकार नहीं सकते हैं कि घरेलू काम में लगी महिलाओं का चार दीवारी की चकाचौंध बनाया जाना परिवार के सदस्यों की पितृसत्तात्मक मानसिकता का ही नतीजा है। घर के कामकाज की पितृसत्तात्मक प्रकृति इन महिलाओं के प्रतिदिन हो रहे शोषण को जारी रखने का काम करती है।
ये भी पढ़ें – अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस : जानें महिला दिवस की शुरुआत कब हुई?
Get Current Updates on News India, India News, News India sports, News India Health along with News India Entertainment, India Lok Sabha Election and Headlines from India and around the world.