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India News (इंडिया न्यूज), Sikh Population In Canada: भारत और कनाडा के बीच खालिस्तानी आतंकियों के कारण बिगड़ता रिश्ता इन दिनों चर्चे में है। कनाडा सरकार का आरोप है कि भारत के लोगों ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की है। वहीं भारत सरकार का कहना है कि कनाडा इन आतंकियों को शरण दे रहा है, जिसके कारण भारत ने कनाडा सरकार के खिलाफ एक्शन लेते हुए कनाडा के वीजा पर प्रतिबंध लगा दिया था। इन सब के बीच सवाल यह है कि कनाडा सरकार खालिस्तानियों का समर्थन क्यों कर रही है? इस सवाल का जबाव हम कनाडा में रह रहे सिख समुदाय की आबादी और योगदान से समझ सकते हैं।
कनाडा सरकार पर आरोप है कि भारत के खुफिया विभाग द्वारा खालिस्तानियों से जुड़ी जानकारी देने के बाद भी कनाडा सरकार द्वारा कोई एक्शन नहीं लिया गया, जिसकी मुख्य वजह ट्रूडो सरकार की वोट बैंक की राजनीति बताई जाती है। बता दें कि कनाडा में भारत से भी ज्यादा सिख धर्म के लोग रहते हैं।
इसके अलावा भारत में हिन्दी के बाद बंगाली, मराठी, तेलुगु, तमिल, गुजराती, उर्दू सहित अन्य कई भाषा बोली जाती है। वहीं कनाडा में अंग्रेजी और फ्रेंच के बाद पंजाबी तीसरी प्रमुख भाषा है। अब सवाल यह आता है कि आखिर कैसे कनाडा में सिख समुदाय के लोग पहुंचे। इसकी शुरुआत कब और कैसे हुई?
बता दें कि ब्रिटिश इंडियन आर्मी से रिसालदार मेजर केसर सिंह को पहला सिख माना जाता है, जिन्होंने कनाडा में शरण लिया। ये लगभग 1897 के करीब भारत से पहली बार कनाडा आए थें। इस दौरान केसर सिंह हॉन्गकॉन्ग रेजिमेंट में थें। इन्होंने महारानी विक्टोरिया की गोल्डेन जुबली कार्यक्रम में हिस्सा लिया था।
यह कार्यक्रम वैंकूवर में रखा गया था। यहां से लौटने के बाद उन्होंने भारतीय दोस्तों और परिवार के लोगों को यहां के बारे में बताया था। जिसके बाद सिख समुदाय का ग्रुप, जो कि सैनिक से रिटायर्ड हो चुका था, वो काम की खोज में कनाडा पहुंचे। जहां से सिख समुदाय का कनाडा में बसने का सिलसिला शुरु हुआ।
शुरुआती दौर पर कनाडा में केवल पुरुष ही जाते थें। भारत में शादी करने के बाद परिवार को छोड़कर वो वापस कनाडा चले जाते थें। जिसके बाद पहली बार बलवंत सिंह को अपनी गर्भवती पत्नी करतार कौर और दो बच्चों के साथ कनाडा जाने की अनुमति मिली।
28 अगस्त 1912 को पहली बार भारतीय मूल के माता-पिता ने अपने बच्चे हरदयाल सिंह को कनाडा में जन्म दिया। जिसके बाद से सिख समुदाय परिवार के साथ कनाडा में बसने लगें। 1947 में भारत विभाजन के बाद भी बड़ी संख्या में भारतीय कनाडा पहुंचे। वहीं 1962 में अप्रवासी एक्ट से नस्लीय और राष्ट्रीय पाबंदियों को हटा दिया गया। जिसके बाद से आसानी से लोग कनाडा जाने लगें।
बता दें कि 2021 में हुई जनगणना के मुताबिक कनाडा में बसने वाले भारतीयों की संख्या लगभग 18.6 लाख है। जिसमें 7.8 लाख लोग सिख आबादी से हैं। वहीं संसद में 15 सांसद सिख समुदाय से हैं। जिनमें कंजेर्वेटिव पार्टी के दो सांसद, लिबरल पार्टी के बारह सांसद और एनडीपी के एक सांसद हैं। इस वक्त कनाडा की जस्टिन ट्रूडो की सरकार में एनडीपी का भी सहयोग है। एनडीपी के मुखिया जगमीत सिंह अक्सर खालिस्तान के समर्थन में बोलते नजर आते हैं।
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