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India News (इंडिया न्यूज), Pakistan Parliament: पाकिस्तान के अधिकारियों ने नए संसदीय वर्ष की शुरुआत के अवसर पर संयुक्त सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण के अवसर पर संसद में हंगामा करने के लिए शुक्रवार (19 अप्रैल) को दो सांसदों को निलंबित कर दिया। पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को गुरुवार (18 अप्रैल) को जोरदार विरोध और नारेबाजी का सामना करना पड़ा था। जब वह संसद के दोनों सदनों सीनेट और नेशनल असेंबली की संयुक्त बैठक को संबोधित कर रहे थे। दरअसल, यह विरोध प्रदर्शन जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ और सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल के सांसदों द्वारा आयोजित किया गया था। नेशनल असेंबली के अध्यक्ष सरदार अयाज सादिक ने राष्ट्रपति के संसदीय संबोधन के दौरान कथित तौर पर अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने के लिए कानूनविदों जमशेद दस्ती और मुहम्मद इकबाल खान के खिलाफ कार्रवाई की।
बता दें कि, हंगामा कर रहे सदस्यों में दर्जनों अन्य लोग भी शामिल थे जो पूरे समय शोर मचाते रहे और जरदारी गो बैक के नारे लगाते रहे। कई बार तो ऐसा लगा कि राष्ट्रपति अपने विचार खो बैठे। परंतु वो शांत रहे और केवल मुस्कुराते हुए प्रदर्शनकारियों को स्वीकार किया। वहीं शुक्रवार (19 अप्रैल) के सत्र में एनए ने राष्ट्रपति के भाषण के दौरान उनके आचरण के लिए दो सांसदों के निलंबन के बारे में स्पीकर सादिक द्वारा पेश किए गए एक प्रस्ताव को अपनाया। प्रस्ताव के मुताबिक जमशेद दस्ती और मुहम्मद इकबाल राष्ट्रीय असेंबली के सदस्य ने अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया और धमकी भरे अंदाज में स्पीकर के मंच तक पहुंचे, जो अस्वीकार्य है। इसके साथ ही उनके विघटनकारी व्यवहार के बारे में विस्तार से बताया गया है। जिसमें सीटी बजाना और तुरही बजाना, आपत्तिजनक नारे लगाना और बैनर और तख्तियां प्रदर्शित करना शामिल है।
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बता दें कि सांसदों को निलंबित करते हुए कहा गया है कि इस तरह की कार्रवाइयों से सदन की पवित्रता और बिजनेस इंटरनेशनल 2007 के आचरण प्रक्रिया नियमों में उल्लिखित नियमों का उल्लंघन हुआ है। संसद के संयुक्त बैठक नियम 1973 के नियम 33 के साथ पढ़े गए एनए में प्रक्रिया और व्यवसाय के संचालन के नियमों के नियम 21 का हवाला देते हुए। एनए अध्यक्ष ने उन्हें नामित किया और विधानसभा के वर्तमान सत्र से उनकी सदस्यता वापस लेने का आदेश दिया। वहीं प्रस्ताव बहुमत के बाद ध्वनिमत से पारित हो गया। संसदीय कार्यवाही की मर्यादा और अखंडता को बनाए रखने के लिए स्थापित नियमों और विनियमों का पालन करते हुए यह निर्णय लिया गया।
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