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Controversies Related to Dera Sacha Sauda
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
सीबीआई की विशेष अदालत ने शुक्रवार को रणजीत सिंह हत्याकांड मामले में डेरामुखी राम रहीम सहित 5 आरोपियों को दोषी करार दे दिया है। सभी दोषियों को 12 अक्तूबर को सजा सुनाई जाएगी। इस दौरान आरोपी अवतार, जसवीर और सबदिल प्रत्यक्ष रूप से कोर्ट में पेश हुए जबकि गुरमीत राम रहीम और कृष्ण कुमार वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए। राम रहीम और उनके सिरसा स्थित डेरे से संबंधित कई विवाद हैं जिनके बारे में शुरू से जानते हैं-
Gurmeet Ram Rahim Singh Timeline जन्म से लेकर अब तक का सफर
राम रहीम से संबंधित पहला विवाद 1998 में सामने आया था, जब गांव बेगू का एक बच्चा डेरा की जीप के नीचे आ गया। इसके बाद गांववालों का डेरा से विवाद हो गया। डेरा पर घटना का समाचार प्रकाशित करने पर अखबारों के पत्रकारों को धमकाने के भी आरोप लगे थे। हालांकि बाद में डेरा सच्चा सौदा की प्रबंधन समिति और मीडियाकर्मियों की पंचायत हुई और डेरा सच्चा सौदा की तरफ से लिखित में माफी मांगी गई थी, जिसके बाद ये मामला सुलझ गया।
मई 2002 में एक गुमनाम चिट्ठी ने राम रहीम की जिंदगी में उथल पुथल मचा दी। इस चिट्ठी में डेरा प्रमुख पर यौन शोषण के आरोप लगे थे। डेरा सच्चा सौदा की कथित साध्वी ने उक्त आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री को गुमनाम चिट्ठी भेजी और इसकी एक प्रति पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को भी भेजी गई।
ये विवाद और भी ज्यादा सुर्खियों में तब आया जब 10 जुलाई, 2002 को डेरा सच्चा सौदा की प्रबंधन समिति के सदस्य रहे कुरुक्षेत्र के रणजीत सिंह की हत्या हो गई। आरोप लगा कि डेरा सच्चा सौदा के प्रबंधकों को शक था कि रणजीत ने अपनी बहन से गुमनाम चिट्ठी लिखवाई है जो डेरा में साध्वी थी। इसी मामले में 24 सितंबर 2002 को हाईकोर्ट ने साध्वी यौन शोषण मामले में गुमनाम पत्र का संज्ञान लेते हुए सीबीआई को जांच के आदेश दिए।
डेरा पर आरोप है कि 24 अक्टूबर, 2002 को सिरसा के सांध्य दैनिक ‘पूरा सच’ के संपादक Ramchandra Chhatrapati को घर के बाहर गोलियां मारी गईं। इसके बाद मीडियाकर्मियों ने के धरने-प्रदर्शन शुरू हो गए। 21 नवंबर 2002 को रामचन्द्र छत्रपति की दिल्ली के अपोलो अस्पताल में मौत हो गई। हाई कोर्ट ने पत्रकार छत्रपति और रणजीत हत्या मामलों की सुनवाई इकट्ठी करते हुए 10 नवंबर, 2003 को सीबीआई को एफआईआर दर्ज कर जांच करने के आदेश दिए। डेरा की याचिका पर दिसंबर 2003 में जांच पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगाया और फिर नवंबर 2004 में दूसरे पक्ष की सुनवाई के बाद जांच जारी रखने के आदेश दिए। इसके बाद डेरा समर्थकों ने चंडीगढ़ में हजारों की संख्या में सीबीआई के अधिकारियों के खिलाफ प्रदर्शन किया। इसी रणजीत सिंह हत्या मामले में आज 8 अक्टूबर को राम रहीम सहित 5 आरोपियों को दोषी करार दिया गया है।
डेरा से संबंधित विवाद कम होने का नाम नहीं ले रहे थे। मई 2007 में पंजाब के बठिंडा में डेरा सलावतपुरा में डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह की वेषभूषा को लेकर विवाद हो गया। सिखों का कहना था कि कई अखबारों में उनकी ऐसी तस्वीरें छपी जिसमें वह जिस परिधान में नजर आ रहे थे वह उनके दसवें गुरु गोबिंद सिंह की वेशभूषा की नकल है। इसके विरोध में बठिंडा में Dera Chief का पुतला फूंका गया। आरोप है कि इसी दौरान प्रदर्शनकारी सिखों पर डेरा प्रेमियों ने हमला बोल दिया। इसके बाद उत्तर भारत में सिखों और डेरा प्रेमियों के बीच कई जगह टकराव हुआ।
7 मई 2007 को डेरा प्रेमी पर सुनाम में प्रदर्शन कर रहे सिखों पर गोली चलाने का आरोप लगा। इस घटना में सिख युवक कोमल सिंह की मौत हो गई थी। डेरा सच्चा सौदा इस मामले में झुकने को तैयार नहीं था। इसके बाद सिख जत्थेबंदियों ने डेरा प्रमुख की गिरफ्तारी को लेकर आंदोलन किया और पंजाब में डेरा प्रमुख के जाने पर पाबंदी लग गई।
इसके बाद राजेन्द्र सिंह सिद्धू की याचिका पर 18 जून 2007 को बठिंडा की अदालत ने डेरा प्रमुख के खिलाफ गैर जमानती वॉरंट जारी कर दिया। जिसके विरोध में बाद डेरा प्रेमियों ने पंजाब की बादल सरकार के खिलाफ जगह-जगह प्रदर्शन किए।
2007 में सिरसा के गांव घुक्कांवाली में डेरा सच्चा सौदा की नामचर्चा पर प्रशासन की तरफ से रोक लगा दी गई थी लेकिन इसके बावजूद 16 जुलाई को डेरा सच्चा सौदा ने नामचर्चा रखी। इसके बाद सिखों ने डेरा प्रमुख के काफिले को काले झंडे दिखाए। दोनों पक्षों में टकराव और पत्थरबाजी हो गई। डेरा प्रमुख को नामचर्चा बीच छोड़कर जाना पड़ा। मामला यही नहीं थमा, कुछ ही दिन बाद 24 जुलाई, 2007 को मल्लेवाला के नामचर्चा में एक डेरा प्रेमी ने फायर कर 3 पुलिस कर्मियों समेत आठ लोगों को घायल कर दिया था।
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सातवां विवाद सीबीआई के विशेष जज को धमकी भरा लेटर मिलने से संबंधित है। दरअसल, डेरा प्रमुख पर हत्या और साध्वी यौन शोषण मामले में 31 जुलाई 2007 को सीबीआई ने जांच पूरी कर न्यायालय में चालान दाखिल किया। सीबीआई ने तीनों मामलों में डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह को मुख्य आरोपी बनाया। इसके बाद कोर्ट ने डेरा प्रमुख को 31 अगस्त तक अदालत में पेश होने के आदेश जारी कर दिया। इस बीच सीबीआई के विशेष जज को भी धमकी भरा लेटर मिला जिसके चलते उन्हें सुरक्षा मांगनी पड़ी।
2010 में डेरा के पूर्व साधु राम कुमार बिश्नोई ने हाई कोर्ट में याचिका दायर करके डेरा के पूर्व मैनेजर फकीर चंद की गुमशुदगी की सीबीआई जांच की मांग की। आरोप था कि डेरा प्रमुख के आदेश पर फकीर चंद की हत्या कर दी गई है। उच्च न्यायालय ने सीबीआई जांच के आदेश दिए। इसके बाद कथित तौर पर डेरा प्रेमियों ने हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में सरकारी सम्पति को नुकसान पहुंचाया और बसों में आगजनी की गई। लेकिन जांच के दौरान सीबीआई को सबूत न मिला, जिस कारण क्लोजर रिपोर्ट फाइल की तो बिश्नोई ने उच्च न्यायालय में क्लोजर को चुनौती दी डाली।
सिरसा में डेरा सच्चा सौदा की नामचर्चा को लेकर दिसंबर 2012 में एक बार फिर सिख और डेरा समर्थक आमने-सामने आ गए। यहां डेरा प्रेमियों पर गुरुद्वारे पर धावा बोलने और सिखों के वाहनों को जलाने का आरोप लगा। हालात पर काबू पाने के लिए कर्फ्यू लगाना पड़ा था और डेरा प्रेमियों पर मामला दर्ज हुआ था।
17 जुलाई 2012 को फतेहाबाद के टोहाना निवासी Hansraj Chouhan ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की जिसमें डेरा सच्चा सौदा प्रमुख पर डेरा के 400 साधुओं को नपुंसक बनाए जाने के आरोप लगाया। चौहान ने कहा था कि छत्रपति हत्या प्रकरण के आरोपी निर्मल और कुलदीप भी डेरा सच्चा सौदा के नपुंसक साधु है। इसके बाद कोर्ट ने हत्या मामलों में जेल में बंद डेरा के साधुओं के पूछताछ के आदेश दिए। इसमें उन्होंने स्वीकार किया कि वे नपुंसक हैं लेकिन वे अपनी मर्जी से बने हैं।
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