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Himachal Pradesh: कुल्लू-मंडी रोड पर 10 किलोमीटर लंबा जाम, शिमला में घरों में दिखी दरारें, हिमाचल में तबाही का दौर जारी

Roshan Kumar • LAST UPDATED : August 24, 2023, 9:48 am IST

India News (इंडिया न्यूज़), Himachal Pradesh, शिमला: हिमाचल प्रदेश में बारिश कहर जारी है। सरकारी अधिकारियों की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार, बुधवार रात हुई बारिश के बाद 12 लोगों की मौत हुई, 400 से अधिक सड़कों के बंद हो गई और कई घर टूटने की सूचना है।

मौसम विभाग ने बुधवार को एक ‘रेड अलर्ट’ जारी किया, जिसमें अगले 24 घंटों के लिए शिमला सहित हिमाचल प्रदेश के 12 जिलों में से छह में भारी से बहुत भारी बारिश और कुछ स्थानों पर अत्यधिक भारी बारिश” की भविष्यवाणी की गई है।

10 किलोमीटर लंबा जाम

इस बीच, बारिश के कारण मंडी को जोड़ने वाली सड़क क्षतिग्रस्त होने के बाद कुल्लू जिले में 10 किलोमीटर लंबे ट्रैफिक जाम में सैकड़ों (Himachal Pradesh) वाहन फंसे हुए हैं। क्षतिग्रस्त सड़क के कारण कुल्लू में 5 से 10 किलोमीटर लंबा ट्रैफिक जाम लग गय। के कारण जिले को मंडी से जोड़ने वाली सड़क क्षतिग्रस्त होने से कल से सैकड़ों वाहन फंसे हुए हैं।

PWD प्रयास कर रहा

कुल्लू की एसपी साक्षी वर्मा ने बुधवार को कहा, ‘बारिश के कारण कुल्लू जिले को मंडी से जोड़ने वाली दोनों सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई हैं। पंडोह (Himachal Pradesh) से होकर जाने वाला वैकल्पिक मार्ग भी क्षतिग्रस्त हो गया है और लोक निर्माण विभाग सड़क को ठीक करने की कोशिश कर रहा है।” जाम में फंसे एक आदमी ने बताया कि जाम करीब 5-10 किलोमीटर का है, खाने-पीने को कुछ नहीं है।

24 घंटे में 12 की मौत

हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) आपातकालीन परिचालन केंद्र के रिकॉर्ड के अनुसार, मंगलवार से बारिश के बाद अलग-अलग घटनाओं में कम से कम 12 लोगों की जान चली गई है। 12 मौतों में से सात मौतें मंडी और शिमला में भूस्खलन के कारण हुईं, जबकि तीन लोगों की मौत बिजली गिरने से हुई। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार, राज्य के विभिन्न हिस्सों में डूबने और ऊंचाई से गिरने के कारण एक-एक मौत की सूचना मिली है।

दो गांव में बादल फटा

उपायुक्त अरिंदम चौधरी ने पीटीआई-भाषा को बताया कि मंडी जिले के सेराज क्षेत्र के दो गांवों में बादल फटने से हुए भूस्खलन में पांच लोगों की मौत हो गई है। मंडी जिले के सेराज के दगोल गांव में भूस्खलन में दो लोगों की मौत हो गई, जिनकी पहचान परमा नंद (62) और उनके पोते गोपी (14) के रूप में हुई है, जबकि अन्य तीन लोग सराची गांव में भूस्खलन में मारे गए। मलबे में कुछ और लोगों के फंसे होने की आशंका है।

इस महीने 120 मौत

इस महीने राज्य में बारिश से संबंधित घटनाओं में अब तक 120 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 24 जून को हिमाचल प्रदेश में मानसून की शुरुआत के बाद से कुल 238 लोगों की मौत हो चुकी है और 40 लोग अभी भी लापता हैं।

हिमाचल में 709 सड़कें बंद

इस मॉनसून में भारी बारिश के तीन बड़े दौरों में राज्य में कुल 709 सड़कें बंद होने की घटना सामने आई है। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भारी बारिश के पूर्वानुमान को देखते हुए लोगों से सतर्क रहने की अपील की है। शिमला, मंडी और सोलन जिलों में बुधवार से दो दिनों के लिए सभी स्कूल और कॉलेज बंद घोषित कर दिए गए।

इन जिलों में रेड अलर्ट

कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, शिमला, सोलन और सिरमौर जिलों के कुछ हिस्सों के लिए बुधवार को बारिश के लिए ‘रेड अलर्ट’ चेतावनी जारी की गई। मौसम विभाग ने गुरुवार को भारी से बहुत भारी बारिश की नारंगी चेतावनी भी जारी की। मंगलवार और बुधवार के बीच राज्य के कई हिस्सों में भारी बारिश हुई, जिसमें शिमला में 201 मिमी, बिलासपुर में 181 मिमी, मंडी और बरथिन में 160 मिमी, नाहन और सोलन में 122 मिमी, सुंदरनगर में 113 मिमी, पालमपुर में 91 मिमी बारिश हुई।

सामान्य से अधिक बारिश

मौसम विभाग ने शिमला, सिरमौर, कांगड़ा, चंबा, मंडी, हमीरपुर, सोलन, बिलासपुर और कुल्लू जिलों में मध्यम से उच्च बाढ़ के खतरे की भी चेतावनी दी है। इस साल 24 जून से 22 अगस्त के बीच सामान्य 558.1 मिमी बारिश होने चाहिए जबकि 757.6 मिमी बारिश दर्ज की गई जो 36 प्रतिशत अधिक है।

शिमला में कुछ घरों में दरारें देखी गईं

शिमला के उपायुक्त आदित्य नेगी ने कहा कि कथित तौर पर शिमला में कुछ घरों में दरारें आ गई हैं, जिससे शहर के पंथाघाटी और संजौली इलाकों को खाली कराया गया है। शिमला में कई लोग खतरे के डर से अपना घर छोड़कर दूसरी जगहों पर चले गए हैं। इस बीच, शिमला में अंतरराज्यीय बस टर्मिनल के पास खड़ी एक बस भूस्खलन के कारण दब गई, जबकि नवबहार, हिमलैंड और अन्य स्थानों के पास भूस्खलन में कई अन्य वाहन क्षतिग्रस्त हो गए।

शिमला के कई निवासियों की रात की नींद उड़ गई क्योंकि शहर में सुबह 3 बजे तक आंधी और बिजली गिरी। यात्रियों को भी कठिनाई हुई क्योंकि भूस्खलन और पेड़ गिरने के खतरे के कारण बसें नहीं चल रही थीं।

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