संबंधित खबरें
UPI से जुड़े इस नए नियमों को 1 जनवरी, 2025 से कर दिया जाएगा लागू, जान लीजिए डेडलाइन वरना कहीं लेने के देने न पड़ जाएं
PM Modi की सेना ने 2024 में J&K में 75 आतंकियों को जन्नत की हूरों के पास पहुंचाया, भारतीय जवानों ने कंगाल पाकिस्तान की साजिश को कुचल डाला
Bank Holidays: जनवरी महीने में 15 दिन बैंक रहेंगे बंद, यहां चेक करिए पूरी लिस्ट
साल 2027 तक देश का इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर करेगा बूम, 120 लाख बेरोजगार युवाओं को मिलेगा रोजगार, अपना Qualification चेक कर लीजिए वरना…
400 से ज्यादा लिखी किताबें, 80 करोड़ की संपत्ति के मालिक वाराणसी के साहित्यकार का हुआ निधन, मुखाग्नि देने तक से बेटा-बेटी ने क्यों किया इंकार?
नया साल लगते ही 1 जनवरी 2025 से ये चीजें होगी महंगी और ये होंगी सस्ती, बिजली के बिल से लेकर गैस, फ़ोन के रिचार्ज तक जानें सब कुछ
India News (इंडिया न्यूज़), 15 August 2023: अमर शहीद भगत सिंह का नाम सुनकर आपका मन भी जोश से भर जाता होगा। उन्हें भारत की राष्ट्रवादी आंदोलन के सबसे प्रभावशाली क्रांतिकारी में से एक माना जाता है। उनके त्याग और बलिदान की कहानी तो हम सब जानते हैं लेकिन उन्होंने हमारे देश के लिए और क्या-क्या किया है। वह शायद बहुत ही कम लोग जानते हैं।
भगत सिंह की कहानी को हिंदी फिल्म इंडस्ट्री ने भी कई बार बड़े पर्दे पर दिखाने की कोशिश की है और वह इसमें काफी हद तक कामयाब भी रहे हैं लेकिन आज हम भगत सिंह के जीवन से जुड़े कुछ ऐसे पन्नों के बारे में आपको बताएंगे जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं। साथ ही आपको उस जेल के बारे में भी बताएंगे जिसमें भगत सिंह ने अपनी जिंदगी के आख़री पल बिताए थे वह आज भी लाहौर में है।
भगत सिंह को आजादी के दीवाने के नाम से भी जाना जाता है जिन्होंने महल 23 साल की उम्र में हंसते हुए फांसी के फंदे पर झूलना कबूल कर लिया लेकिन ब्रिटिशर्स के आगे झुकना मंज़ूर नहीं किया। उन्होंने 116 दिनों तक बिना कुछ खाए और बिना कुछ पिए बिताए थे जिससे घबराकर अंग्रेजों ने उन्हें जबरदस्ती खाना खिलाने और दूध पिलाने की कोशिश भी की थी। भगत सिंह एक कुशल वक्ता, पाठक और लेखक भी थे इतना ही नहीं उन्होंने कई पत्र-पत्रिकाओं में संपादन भी किया है।
भगत सिंह ने हमेशा ही खुले तौर पर अंग्रेजों का विरोध किया और अंग्रेजों की प्रायोजित पुस्तकों को जलाकर गांधी की इच्छा का पालन करते थे। उनका पूरा परिवार भी स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए महात्मा गांधी के अहिंसक दृष्टिकोण वाली विचारधारा का समर्थन किया करता था। इतना ही नहीं भगत देखने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और असहयोग आंदोलन का पुरजोर तरीके से समर्थन किया था लेकिन जब चोरी चोरा कांड के बाद गांधी जी ने असहयोग आंदोलन वापस लिया था। भगत सिंह इस निर्णय से बेहद ना खुश हुए इसके बाद उन्होंने गांधी जी की अहिंसा विचारधारा से खुद को अलग कर लिया। इसके बाद वह युवा क्रांतिकारी आंदोलन में शामिल हुए और उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ भगत सिंह ने हिंसक विद्रोह के रूप में स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी।
भगत सिंह ने अंग्रेजों की संसद में बम विस्फोट किया जिसके बाद उन्हें पकड़ लिया गया और फांसी की सजा सुनाई गई लेकिन इसके पहले उन्हें जिस जेल में रखा गया था। वह जेल आज भी लाहौर के शादमान चौक पर है। 23 मार्च 1931 को क्रांतिकारी भगत सिंह सुखदेव और राजगुरु को एक साथ फांसी दे दी गई लेकिन उसके पहले उन्हें कुछ दिन जेल में रखा गया था।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.