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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
31 St Day Of Attack On Ukraine : एक माह से चल रहा रूस और यूक्रेन युद्ध में ना जाने कितने लोग यूक्रेन में अपनी जान गंवा चुके हैं। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का यह कहर यूक्रेनवासियों को किस हद तक तबाह कर चुका है और करेगा यह कहना मुश्किल है।
(Many Social Media Sites Banned In Russia) वहीं रूस की जनता भी पुतिन के शोषण का शिकार हो रही है। क्योंकि पुतिन ने अपने ही देश में सोशल मीडिया जैसे प्लेटफॉर्म और कई अन्य साइट्सों पर प्रतिबंध लगा दिया है। लेकिन, रूसी जनता ने पुतिन की सारी प्रतिबंधों को नाकाम कर दिया है। क्योंकि वहां के लोगों ने कोई दूसरा रास्ता अपनाकर सभी बैन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का प्रयोग कर रहे हैं, जो पुतिन के लिए काफी सिरदर्द बना है।
अब सवाल ये उठता है कि रूसी नागरिक ऐसा कौन सा नेटवर्क इस्तेमाल कर रहे हैं। जो पुतिन के लिए मुसीबत बना है। आपको बता दें कि रूस की जनता वीपीएन यानि वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क का इस्तेमाल कर रही है। इसे प्रतिदिन लाखों लोग डाउनलोड कर रहे हैं। तो चलिए जानते हैं क्या वीपीएन है, ये कैसे काम करता है।
1996 में वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) की शुरुआत हुई थी। कहा जाता है कि इसे माइक्रोसॉफ्ट स्टाफ गुरदीप सिंह पाल ने शुरू किया था। यह एक ऐसा टूल है, जो आपको प्राइवेट नेटवर्क बनाने में सहयोग करता है। मान लीजिए आप जीओ, एयरटेल और बीएसएनएल जैसे किसी भी ब्रॉडबैंड का प्रयोग कर रहे हो। वहीं आप वीपीएन से अपना प्राइवेट नेटवर्क बनाते हैं। प्राइवेट नेटवर्क का मतलब है कि आप सीमित लोगों से या अपने होम नेटवर्क कनेक्शन से जुड़े हैं।
आप वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क के सहयोग से किसी चीज को इंटरनेट पर सर्च करते हैं तो इसका कोई भी डेटा उस देश की सरकार या निगरानी करने वाले संस्थान, आपरेटर के पास स्टोर नहीं हो पाता है। वीपीएन का मुख्य काम नेटवर्क ट्रैफिक को एन्क्रिप्ट रखना है। मतलब जिस आईपी एड्रेस (इंटरनेट प्रोटोकॉल) के साथ सर्च करते हैं ये उस एड्रेस और लोकेशन को छिपा देता है, कोई उसे ट्रैक नहीं कर पाता है। लोकेशन और आईपी ऐड्रेस को बदल देता है। यानी गायब कर देता है।
जी हां, आप वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) को किसी भी ऐप स्टोर से या गूगल से डाउनलोड कर सकते हैं। आप समझिए कि किसी भी ब्रॉडबैंड कंपनी जैसे एयरटेल और जीओ का नेटवर्क का उपयोग कर रहे हैं तो उस इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर (आईपीएस) को पता होता है कि आप क्या सर्च कर रहे हैं। आप कौन-सी वेबसाइट पर काम कर रहे हैं। आप ने क्या डाउनलोड किया है, कर रहे हैं। मतलब सर्विस कंपनी के पास आपकी आॅनलाइन हिस्ट्री भी होती है। इसीके सहयोग से कंपनी आपको सर्च हिस्ट्री से रिलेटेड विज्ञापन दिखाती। लेकिन, जब आप वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क का प्रयोग करते हैं तो ये आपकी आईपी एड्रेस को ही गायब कर देता है। इससे कोई आपको ट्रैक नहीं कर पाता है।
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अगर आप रेलवे स्टेशन, साइबर कैफे, कॉफी शॉप्स, रेस्टोरेंट, होटल आदि में पब्लिक वाई-फाई का इस्तेमाल करते हैं तो आपकी प्राइवेसी खतरे में होती है। हैकर्स इन पब्लिक वाई-फाई का इस्तेमाल कर आपके डेटा तक पहुंच सकते हैं। मालवेयर वायरस की मदद से लोकेशन ट्रैक करते हैं और पासवर्ड तक चुरा लेते हैं। साइबर हमले करने वालों के लिए पब्लिक वाई-फाई सबसे बड़ा हथियार है। इन खतरों के खिलाफ वीपीएन आपको प्रोटेक्शन देता है। यह एक लेयर की तरह काम करता है। जो आपका आईपी एड्रेस, नेटवर्क ट्रैफिक सोर्स और इंटरनेट ब्राउजिंग सेशन को छिपाकर रखता है। इससे हैकर्स के लिए आपके डेटा तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है।
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आपको बता दें कि पुतिन सरकार ने बीते पांच मार्च (2022) को एक कानून बनाया। इस कानून के मुताबिक रूस की जनता कथित फेक न्यूज नहीं फैला सकते है, खासकर जिसमें रूसी हमले या युद्ध की बात हो। रूसी सेना की कार्रवाई को विशेष सैन्य आपरेशन कहना है। बताया जा रहा है कि इस कानून का उल्लंघन करने वालों को 15 साल तक की जेल की सजा तक हो सकती है।
कई प्लेटफॉर्म्स पर रोक लगने के बाद अब रूस की जनता वीपीएन का धड़ल्ले से प्रयोग कर रही है। प्रतिदिन लगभग चार लाख से अधिक लोग इसे डाउनलोड करते हैं। 15 फरवरी से लेकर अब तक वीपीएन यूजर्स की संख्या में 3500 फीसदी से अधिक का इजाफा हुआ है। मतलब की वीपीएन ने पुतिन की सख्त आनलाइन सेंसरशिप में सेंध लगा दी है।
बता दें कि पुतिन ने भले ही यूट्यूब, फेसबुक जैसे साइट्स पर रोक लग दी हो, लेकिन वहां के लोग वीपीएन के जरिए आई एड्रेस की लोकेशन बदलकर इन प्लेटफॉर्म्स को एक्सेस कर रहे हैं। कई बार ऐसा हुआ है जब किसी देश की सरकार ने अपने नागरिकों की निगरानी करने के लिए कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं और लोगों ने इसका तोड़ निकाला है। वीपीएन भी वही है। इसके यूजर्स और मार्केट वैल्यू में लगातार बढौतरी हो रही है।
ग्लोबल वीपीएन प्रोवाइडर एटलस वीपीएन अनुसार अगस्त 2021 तक भारत में 35 करोड़ लोगों ने वीपीएन इंस्टॉल किया। 2020 के मुकाबले 2021 में वीपीएन यूजर्स की संख्या में 671 फीसदी का इजाफा हुआ। दुनियाभर में सबसे ज्यादा कतर, वीएई और सिंगापुर के लोग वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क का इस्तेमाल करते हैं। बता दें कि भारत में भी कई साइट्सों पर रोक लगी है। सितंबर 2020 में केंद्र सरकार ने गेमिंग ऐप पब्जी समेत 100 से अधिक ऐप पर रोक लगा दिया था। इसके बाद भारतीय यूजर्स वीपीएन के जरिए इन प्रतिबंधित ऐप्स का प्रयोग करने लगे थे।
31 St Day Of Attack On Ukraine
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