मिट्टी को बचाने के लिए, ईशा फाउण्डेशन के संस्थापक, सद्गुरु द्वारा शुरू किए गए वैश्विक अभियान ने, छह केरेबियाई देशों के द्वारा अपने देशों में मिट्टी को बचाने के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर के साथ, एक सफल शुरुआत की। एमओयू पर हस्ताक्षर जागरूक धरती पहल के तहत हुए, जिसके अंतर्गत ‘मिट्टी बचाओ’ अभियान शुरू किया गया है।
ऐंटीगुआ और बारबुडा, डोमिनिका, सेंट लूसिया, सेंट किट्स और नेविस, गयाना, और बारबाडोस, इन छह देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने अपने देशों में, मिट्टी के क्षय को रोकने और पलटने के लिए और अपनी आबादी के लिए दीर्घकालिक खाद्य और जल सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने की शुरुआत करने का प्रण किया।
‘मिट्टी बचाओ’ अभियान के लिए उनके समर्थन की सराहना करते हुए सद्गुरु ने कहा, ‘ये छोटे देश, महासागर के ये मोती, बदलाव ला सकते हैं’ और यह दिखा सकते हैं कि धरती पर संपूर्ण जीवन के हित में हर देश अपनी मिट्टी को बचा सकता है और उसे ऐसा अवश्य करना चाहिए। ‘आप दुनिया में एक बड़ी छाप छोड़ेंगे। नेतृत्व आपकी दृष्टि में होता है, देश के आकार में नहीं। यह प्रयास सबसे जरूरी चीज है जो हम अपनी पीढ़ी में करेंगे,’ उन्होंने आगे कहा।
ऐंटीगुआ और बारबुडा के प्रधानमंत्री गेस्टोन ब्राउन ने कहा, ‘जागरूक धरती के साथ इस एमओयू पर हस्ताक्षर करके इस पहल में भाग लेना खुशी की बात है। मिट्टी के क्षय का मुद्दा, जिससे मिट्टी का विनाश होने की संभावना है, धरती के लिए एक अहम खतरा है।’
बारबडोस के प्रधानमंत्री मिया मोटली ने यह विचार रखे: ‘2050 तक, अगर हम अभी निर्णय नहीं लेते, तो हम वहां तक सुरक्षित नहीं पहुंचेंगे। यह चर्चा बहुत सामयिक है, क्योंकि यह नागरिकों की पीढ़ियों को बदलने की कोशिश कर रही है जो मानने लगे हैं कि हर चीज तुरंत हो जाती है,’ उन्होंने अपने देश की ओर से एमओयू पर हस्ताक्षर करते वक्त कहा।
मरुस्थलीकरण रोकने के लिए बनाए गए संयुक्त राष्ट्र संगठन (यूएनसीसीडी) ने भविष्यवाणी की है कि अगर इसी तेज़ी के साथ मिट्टी की क्वालिटी ख़राब होती रही, तो मिट्टी का विनाश एक सच्चाई बन सकता है। इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) का अनुमान है कि अगले 60 वर्षों में दुनिया की सारी ऊपरी मिट्टी का विनाश हो सकता है। 2045 तक, भोजन का उत्पादन 40% तक गिर सकता है, और जनसंख्या 930 करोड़ को पार कर जाएगी।
‘मिट्टी बचाओ’ अभियान का मकसद दुनियाभर के देशों के नागरिकों के समर्थन को सक्रिय और प्रदर्शित करना है, और देशों को मिट्टी को पुनर्जीवित करने, तथा और अधिक क्षय को रोकने के लिए, नीति-संचालित कार्यवाही की शुरुआत करने के लिए सशक्त करना है। ऐसा करने के लिए, अभियान का लक्ष्य 3.5 अरब लोगों तक पहुंचना है।
अभियान के हिस्से के रूप में, सद्गुरु अकेले मोटरसाइकिल पर 30,000 किमी की यात्रा करेंगे, जो यूके, यूरोप, और मिडल ईस्ट के 27 देशों से गुजरते हुए 100 दिन में पूरी होगी। इस यात्रा के दौरान, सद्गुरु मिट्टी को बचाने के लिए संगठित कार्यवाही करने की तत्काल आवश्यकता पर जोर देने के लिए, दुनिया के नेताओं, मीडिया, और इन देशों के प्रमुख विशेषज्ञों के साथ चर्चा करेंगे। 21 मार्च को लंदन से शुरुआत करके, उनकी यात्रा कावेरी घाटी में समाप्त होगी, जहां सद्गुरु ने महत्वाकांक्षी कावेरी कॉलिंग परियोजना की शुरुआत की है।
कावेरी कॉलिंग का लक्ष्य कावेरी नदी घाटी में, तेजी से लुप्त होती नदी को बहाल करने और उस क्षेत्र में मिट्टी के स्वास्थ्य को बहाल करने के लिए, निजी कृषि जमीनों पर 2.42 अरब पेड़ लगाना है। अब तक, कावेरी कॉलिंग के स्वयंसेवियों ने इस लक्ष्य की दिशा में 6.2 करोड़ पेड़ लगाने में 1,25,000 किसानों को सक्षम बनाया है।
अपनी यात्रा में, सद्गुरु धरती की मिट्टी को विलुप्त होने से बचाने के लिए दो प्रभावशाली अंतर्राष्ट्रीय मंचों के माध्यम से विभिन्न वैश्विक संस्थाओं से भी आग्रह करेंगे। ये मंच हैं, आइवरी कोस्ट में यूएनसीसीडी का कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज़ (COP15) का 15वां सत्र और देवोस में वर्ल्ड एकानमिक फोरम (WEF)। ये दोनों कार्यक्रम मई में होने तय हैं।
मिट्टी बचाओ अभियान को विभिन्न वैश्विक संस्थाओं और एजेंसियों का समर्थन प्राप्त है, जिसमें यूएनसीसीडी, यूएन पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP), फेथ फॉर अर्थ, जो UNEP की पहल है, विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP), और केरेबियन कम्यूनिटी (CARICOM) शामिल हैं।
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