India News (इंडिया न्यूज), Indian Soldiers: केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) में तैनात जवानों के बीच आत्महत्या और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) की बढ़ती घटनाएं एक गंभीर सामाजिक और प्रशासनिक चुनौती बन गई हैं। गृह मंत्रालय द्वारा हाल ही में राज्यसभा में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, इस साल 730 जवानों ने आत्महत्या की है, जबकि 55,000 से अधिक जवानों ने या तो इस्तीफा दे दिया या VRS का विकल्प चुना। यह प्रवृत्ति सुरक्षा बलों की कार्य संस्कृति और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरी चिंता प्रकट करती है।
रिपोर्ट के अनुसार, जवानों द्वारा आत्महत्या के पीछे मुख्य रूप से निजी कारण होते हैं। इनमें शामिल हैं:
पारिवारिक समस्याएं: लाइफ पार्टनर या परिवार के सदस्य की मृत्यु, विवाह में विवाद, या तलाक।
आर्थिक कठिनाइयां: वित्तीय दबाव और बच्चों की शिक्षा के सीमित अवसर।
मानसिक तनाव: छुट्टी से लौटने के बाद तनावग्रस्त होना।
एक विशेष अध्ययन में यह पाया गया कि आत्महत्या करने वाले 80% से अधिक जवान छुट्टी समाप्त कर ड्यूटी पर लौटे थे, जो यह दर्शाता है कि छुट्टियों के दौरान या बाद में मानसिक दबाव बढ़ जाता है।
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने आत्महत्या की घटनाओं को रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण कदमों का उल्लेख किया है। इनमें प्रमुख हैं:
लीव पॉलिसी का क्रियान्वयन: इस वर्ष 42,797 जवानों ने लीव पॉलिसी का लाभ उठाया है। इसके तहत उन्हें परिवार के साथ समय बिताने का अवसर दिया गया।
100 दिन की पारिवारिक अवधि: अक्टूबर 2024 तक, 6,302 कर्मियों ने अपने परिवार के साथ 100 दिन बिताए। यह संख्या 2023 में 8,636 और 2021 में 7,864 थी, जो इस दिशा में सुधार का संकेत है।
टास्क फोर्स ने कई अहम सुझाव दिए हैं ताकि आत्महत्या की घटनाओं पर काबू पाया जा सके और जवानों की मानसिक स्थिति बेहतर की जा सके:
1. ट्रांसपेरेंट लीव मैनेजमेंट सिस्टम: यह सुनिश्चित करना कि प्रत्येक रैंक के जवानों को समान रूप से छुट्टियां मिलें।
2. पारदर्शी ट्रांसफर पॉलिसी: स्थानांतरण और पदोन्नति की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने से कर्मियों की हतोत्साहना कम की जा सकती है।
3. अधिकारियों की नियमित बातचीत: जवानों की समस्याओं को समझने और उनका निपटान करने के लिए अधिकारियों को नियमित रूप से संवाद करने की सलाह दी गई है।
4. मनोरंजन और आराम: ड्यूटी घंटों में पर्याप्त आराम और मनोरंजन की सुविधाएं उपलब्ध कराना।
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रिपोर्ट यह भी दर्शाती है कि पेशेवर चुनौतियां जैसे कार्यभार, तनाव, और प्रमोशन में कमी आत्महत्या के संभावित ट्रिगर हो सकते हैं। इन चुनौतियों का सामना करने के लिए अभी तक किए गए प्रयासों को बिखरा हुआ और अपर्याप्त बताया गया है, जिसे और व्यवस्थित करने की आवश्यकता है।
रिपोर्ट ने यह भी नोट किया कि महिला कर्मियों में आत्महत्या की घटनाएं पुरुषों की तुलना में कम हैं। यह एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन महिला कर्मियों की विशिष्ट समस्याओं पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
CAPF में आत्महत्या और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की बढ़ती घटनाएं न केवल प्रशासनिक बल्कि सामाजिक चुनौती भी प्रस्तुत करती हैं। इस स्थिति का समाधान केवल संरचनात्मक सुधारों से ही संभव है। मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना, पारिवारिक समय सुनिश्चित करना, और पारदर्शी कार्य नीतियां अपनाना इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकते हैं। सरकार और समाज दोनों को इन बहादुर जवानों की मानसिक और भावनात्मक भलाई सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता है।
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