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पश्चिम बंगाल वोटर लिस्ट में रहस्यमयी गड़बड़ियां: चुनाव आयोग की चौंकाने वाली खोज!

पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग के विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) अभियान ने 2002 की मतदाता सूची में भयावह आंकड़े उजागर किए हैं, जो लोकतंत्र की नींव हिला रहे हैं. ये विसंगतियां तकनीकी खामी से अधिक संदिग्ध लग रही हैं.

Written By: Shivangi Shukla
Last Updated: December 13, 2025 17:38:39 IST

कल्पना कीजिए, एक ऐसी वोटर लिस्ट जहां लाखों मतदाताओं के पिता का नाम गलत हो, मां-बाप एक ही हों, या बाप-बेटे की उम्र में महज 15 साल का फर्क हो. पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग के विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) अभियान ने 2002 की मतदाता सूची में ऐसे ही भयावह आंकड़े उजागर किए हैं, जो लोकतंत्र की नींव हिला रहे हैं. ये विसंगतियां तकनीकी खामी से अधिक संदिग्ध लग रही हैं.

पिता के नाम में 85 लाख त्रुटियां

SIR के पहले चरण में 85,01,486 (85 लाख से ज्यादा) मतदाताओं के पिता के नाम में गंभीर गलतियां पाई गईं. गड़बड़ी की ये संख्या कुल वोटर्स का 11.09% है. वोटर्स की डिटेल्स में बड़े पैमाने पर गलतियां सामने आ रही हैं. कई लोगों के नाम अधूरे या गलत हैं या पारिवारिक संबंधों से मेल नहीं खाते. विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी बड़ी संख्या में गलती सामान्य टाइपिंग एरर नहीं, बल्कि डेटा माइग्रेशन या फर्जी एंट्रीज का नतीजा हो सकती है. इससे पश्चिम बंगाल राज्य में वोटर पहचान और चुनावी प्रक्रिया को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं.

13.5 लाख केस में मां-बाप एक ही

सबसे हैरान करने वाला मामला जो सामने आया है उसमें 13.5 लाख मतदाताओं के रिकॉर्ड में मां और पिता का नाम एक ही व्यक्ति का दर्ज है. एक परिवार में एक नाम पिता तो कहीं वही मां बन गया. ये जैविक रूप से असंभव है और बड़े पैमाने पर डेटा मैनिपुलेशन की आशंका पैदा करता है. चुनाव आयोग अब 1 करोड़ से ज्यादा नामों की दोबारा जांच करेगा.

उम्र संबंधी अविश्वसनीय आंकड़े

लगभग 11,95,230 मामलों में पिता की उम्र बेटे से मात्र 15 साल ज्यादा बताई गई जो इतने बड़े पैमाने पर जैविक रूप से नामुमकिन है. वहीं, 3,29,152 वोटर्स के दादा की उम्र पोते से 40 साल से भी कम है. इसके अलावा लगभग 24,21,133 मतदाताओं के 6 या इससे ज्यादा बच्चे दर्ज हैं, जो असामान्य है. 58 लाख से ज्यादा फॉर्म BLO ऐप पर अपलोड ही नहीं हुएमृत जिससे आशंका जताई जा रही है कि इसमें स्थानांतरित या डुप्लिकेट वोटर्स शामिल हैं. 

चुनाव आयोग की कार्रवाई

चुनाव आयोग ने 1.67 करोड़ रिकॉर्ड्स की गहन जांच का आदेश दिया है. 20,74,256 वोटर्स (45+ उम्र) पहली बार नामांकित, जबकि 13,46,918 लोगों में जेंडर एरर की समस्या देखि गयी. ये खामियां डिजिटलीकरण और सत्यापन प्रक्रिया की कमजोरी दिखाती हैं. पारदर्शिता के लिए सुनवाई सूची बनेगी, ताकि चुनावी विश्वसनीयता बनी रहे. राजनीतिक दलों ने इसे घोटाले का रूप दिया है.

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