India News (इंडिया न्यूज), Pune News:17 दिसंबर 2022 की तारीख समय था सुबह के करीब 6 बजे और जगह थी महाराष्ट्र के पुणे में चरहोली गांव। वहां के कुछ गांव वालों को खेत में एक लाश मिली। यह लाश खेत जोतने के लिए इस्तेमाल होने वाले रोटावेटर में फंसी हुई थी और पूरी तरह से क्षत-विक्षत थी। सिर भी धड़ से गायब हो चुका था। सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और कपड़ों की शिनाख्त से पता चला कि यह लाश गांव के किसान सुभाष उर्फ केरबा छबन थोरवे की थी।
जिस रोटावेटर में शव फंसा मिला, वह सुभाष का था, जिसे वह गांव के दूसरे किसानों को किराए पर देता था। शुरुआत में पुलिस का मानना था कि खेत जोतते समय सुभाष गलती से रोटावेटर पर गिर गया होगा, जिससे उसकी मौत हो गई। बाद में कोई जंगली जानवर उसका सिर काटकर ले गया होगा। परिवार को भी यही लगा और सुभाष का अंतिम संस्कार भी कर दिया गया था।
चार दिन बाद 22 दिसंबर 2022 को इंद्रायणी नदी के किनारे सुभाष के लिए शोक सभा रखी गई, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सुभाष की तस्वीर वाले बैनर पर लिखा था, ‘आपकी मीठी यादों की खुशबू हमेशा हमारे साथ रहेगी।’ लेकिन, अगले ही दिन 23 दिसंबर की रात को गांव में खबर फैल गई कि सुभाष जिंदा है। उसे सामने देखकर उसका चचेरा भाई ‘भूत-भूत’ चिल्लाने लगा।
खबर मिलते ही पुलिस भी मौके पर पहुंच गई और जब सच्चाई सामने आई तो गांव वालों के होश उड़ गए। दरअसल, सुभाष ने खुद ही अपनी हत्या का नाटक रचा था। अब सवाल यह था कि उसने ऐसा क्यों किया? और अगर सुभाष जिंदा है तो वह शख्स कौन था जिसकी सिर कटी लाश खेत में मिली थी? पुलिस ने सुभाष से पूछताछ की और आखिरकार पूरी कहानी सामने आ गई।
प्रेमिका के साथ भागने की रची साजिश 58 वर्षीय सुभाष उर्फ केरबा छबन थोरवे की पत्नी ने दो साल पहले 2020 में आत्महत्या कर ली थी। पत्नी के चले जाने के बाद सुभाष का गांव की ही एक दूसरी महिला से प्रेम प्रसंग हो गया। चूंकि सुभाष का परिवार था और वह उस महिला के साथ सार्वजनिक रूप से नहीं रह सकता था, इसलिए उसने एक योजना बनाई। योजना यह थी कि वह खुद को मृत घोषित कर देगा और अपनी प्रेमिका के साथ कहीं दूर दूसरी जिंदगी शुरू करेगा।
सुभाष की दोस्ती पड़ोस के धनोर गांव में रहने वाले 48 वर्षीय रविंद्र घेनंद से थी। घेनंद के पास अपनी खेती की जमीन थी, लेकिन वह ड्राइवर का काम करता था। घेनंद शराब पीने का भी आदी था। 16 दिसंबर को सुभाष घेनंद को क्रिकेट मैच दिखाने के बहाने अपने ट्रैक्टर पर बिठाकर पास के गांव ले गया। वापस आते समय उसने शराब की बोतल खरीदी और दोनों एक खेत में आ गए।
सुभाष को कुछ दिन पहले ही इस खेत की जुताई का काम मिला था। सुभाष और घेनंद ने रात करीब 9 बजे तक खेत की जुताई की। इसके बाद घेनंद ने शराब पी और पूरी तरह नशे में धुत हो गया। सुभाष इसी मौके की तलाश में था। उसने हंसिया से घेनंद का सिर काट दिया। हत्या के बाद उसने लाश पर अपने कपड़े डाल दिए और कटे हुए सिर के साथ घेनंद के कपड़े और हंसिया को सूखे कुएं में फेंक दिया।
अब सुभाष ने रोटावेटर से घेनंद के शव को क्षत-विक्षत कर दिया। हत्या करने के बाद सुभाष रात के अंधेरे में बिना कपड़ों के ही निकल गया। रास्ते में उसने कुछ लोगों से पैंट और शॉल उधार लिया और उसे पहनकर सीधा अपनी प्रेमिका के घर चला गया। इसके बाद दोनों जेजुरी इलाके में चले गए और अगले तीन दिन वहीं रहे। बातचीत के दौरान सुभाष ने अपनी प्रेमिका को हत्या के बारे में बताया।
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उसकी बातें सुनकर उसकी प्रेमिका डर गई और घर जाने की जिद करने लगी। सुभाष के पास कोई चारा नहीं बचा था। 23 दिसंबर की रात को उसने अपनी प्रेमिका को उसके घर पर छोड़ दिया और करीब 20 किलोमीटर पैदल चलकर शेल पिंपलगांव में अपने चचेरे भाई के पास पहुंचा। बहन जो एक दिन पहले उसकी शोक सभा में शामिल हुई थी, उसे अपने सामने देखकर डर गई और भूत-भूत चिल्लाने लगी।
इसके बाद उसने गांव में फोन करके बताया कि सुभाष जिंदा है। यह खबर पूरे गांव में आग की तरह फैल गई और कुछ ही देर में पुलिस के कानों तक भी पहुंच गई। पुलिस जब गांव पहुंची तो पुलिस वालों को देखकर सुभाष बेहोश हो गया। उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया और जब उसे होश आया तो उसने अपना जुर्म कबूल करते हुए पूरी कहानी बताई। पुलिस ने मामले में हत्या का केस दर्ज कर सुभाष को जेल भेज दिया।
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