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Delhi Service Bill: दिल्ली सेवा विधेयक पर बोले अभिषेक मनु, कहा -यह बिल पूरी तरह से असंवैधानिक है, यह मौलिक रूप से अलोकतांत्रिक है

Priyanshi Singh • LAST UPDATED : August 7, 2023, 9:36 pm IST
Delhi Service Bill: दिल्ली सेवा विधेयक पर बोले अभिषेक मनु, कहा -यह बिल पूरी तरह से असंवैधानिक है, यह मौलिक रूप से अलोकतांत्रिक है

Delhi Service Bill:

India News (इंडिया न्यूज़),Delhi Service Bill: राज्यसभा में दिल्ली सेवा विधेयक पर कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि भाजपा का दृष्टिकोण किसी भी तरह से नियंत्रण करने का है…यह बिल पूरी तरह से असंवैधानिक है, यह मौलिक रूप से अलोकतांत्रिक है, और यह दिल्ली के लोगों की क्षेत्रीय आवाज और आकांक्षाओं पर एक प्रत्यक्ष हमला है। यह संघवाद के सभी सिद्धांतों, सिविल सेवा जवाबदेही के सभी मानदंडों और विधानसभा-आधारित लोकतंत्र के सभी मॉडलों का उल्लंघन करता है। बता दें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक 2023 पेश किया। हाल ही में इस बिल को लोकसभा में पारित किया गया था।

राज्यसभा में दिल्ली सेवा विधेयक पर भाजपा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने कहा,”सुप्रीम कोर्ट के 105 पन्नों के फैसले में कहीं भी दिल्ली पर कानून पारित करने के खिलाफ कुछ भी नहीं कहा गया है… सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पैराग्राफ 86, 95 और 164 F में कहा गया है कि संसद को दिल्ली के लिए कानून बनाने के सारे अधिकार हैं।”

सुधांशु त्रिवेदी ने आगे कहा,”2013 में उन्होंने (दिल्ली CM अरविंद केजरीवाल) ने ट्वीट कर कहा था कि तत्कालीन सीएम शीला दीक्षित के आवास में 10 एयर कंडीशनर थे और यहां तक कि बाथरूम में भी AC था, उन्होंने यह भी पूछा कि बिजली बिल का भुगतान कौन करता है… आज केजरीवाल के घर में 15 बाथरूम हैं और उनमें 1 करोड़ रुपए के पर्द लगे हैं।”

क्या है पूरा मामला ?

गौरतलब है 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर फैसला देकर ये साफ कर दिया कि दिल्ली की नौकरशाही पर चुनी हुई सरकार का ही कंट्रोल है और अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग पर भी अधिकार भी उसी का है। प्रशासनिक सेवाओं के नियंत्रण और अधिकार से जुड़े मामले पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, दिल्ली की पुलिस, जमीन और पब्लिक ऑर्डर पर केंद्र का अधिकार है, लेकिन बाकी सभी मामलों पर चुनी हुई सरकार का ही अधिकार होगा। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ कर दिया था कि पुलिस, जमीन और पब्लिक ऑर्डर को छोड़कर बाकी सभी दूसरे मसलों पर उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार की सलाह माननी होगी।ऐसे में केंद्र सरकार एक अध्यादेश लेकर आई , जिसके तहत अफसरों की ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार उपराज्यपाल को वापस मिल गया।

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