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Aditya-L1: ISRO ने रचा एक और इतिहास, आदित्य-एल1 ने किया सूर्य की अंतिम कक्षा में प्रवेश, पीएम मोदी ने दी बधाई

PUBLISHED BY: Divyanshi Singh • LAST UPDATED : January 6, 2024, 4:45 pm IST
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Aditya-L1: ISRO ने रचा एक और इतिहास, आदित्य-एल1 ने किया सूर्य की अंतिम कक्षा में प्रवेश, पीएम मोदी ने दी बधाई

Aditya-L1, ISRO’S first solar spacecraft enters Sun’s final orbit

India News (इंडिया न्यूज़), Aditya-L1: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक बार फिर इतिहास रचा है। आज यानी शनिवार को इसरो ने अपने ‘आदित्य-एल1’ अंतरिक्ष यान को धरती से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर लैग्रेंज प्वाइंट 1 पर हेलो ऑर्बिट में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया है। सूर्य का अध्ययन करने के लिए आदित्य एल1 को पिछले साल 2 सितंबर को श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसरो की इस उपलब्धि पर बधाई दी है।

पीएम मोदी ने एक्स पर लिखा ” भारत ने एक और उपलब्धि हासिल की। भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य-एल1 अपने गंतव्य पर पहुंच गई है। यह सबसे जटिल और पेचीदा अंतरिक्ष अभियानों को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है। मैं इस असाधारण उपलब्धि की सराहना करने में राष्ट्र के साथ शामिल हूं। हम मानवता के लाभ के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे।”

जानकारी एकत्र करने में मिलेगी मदद

लैग्रेंज बिंदु वह क्षेत्र है जहां पृथ्वी और सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण निष्क्रिय हो जाता है। अंतरिक्ष यान इसके चारों ओर प्रभामंडल कक्षा में रहेगा और वहां से इसरो को सूर्य से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा। L1 बिंदु पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी का लगभग एक प्रतिशत है। हेलो ऑर्बिट में उपग्रहों से सूर्य को लगातार देखा जा सकता है। इसलिए, इस कक्षा में रहने से आदित्य एल1 को वास्तविक समय में सूर्य की गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव से संबंधित जानकारी एकत्र करने में मदद मिलेगी।

इसरो के इस मिशन का मुख्य उद्देश्य क्या है?

इसरो के इस आदित्य एल1 मिशन का मुख्य उद्देश्य सूर्य का अध्ययन करना है। यह सूर्य की सतह पर होने वाले सौर भूकंपों, सौर ज्वालाओं से जुड़ी गतिविधियों और पृथ्वी के निकट अंतरिक्ष में मौसम से जुड़े रहस्यों को समझेगा। सूर्य के वातावरण के बारे में जानकारी दर्ज करेगा. दुनिया भर के वैज्ञानिक सूर्य के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं जुटा पाए हैं। इसका मुख्य कारण सूर्य का बहुत अधिक तापमान होना है। तापमान की वजह से कोई भी सैटेलाइट इसके करीब पहुंचने से पहले ही जलकर राख हो जाएगा.

अत्याधुनिक ताप प्रतिरोधी तकनीक का किया गया है इस्तेमाल 

इसरो द्वारा विकसित आदित्य एल1 में अत्याधुनिक ताप प्रतिरोधी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इसके बाहरी हिस्से पर विशेष कोटिंग की गई थी जो इसे सूरज की तेज़ गर्मी से बचाएगी। इसके साथ ही इसमें एक मजबूत हीट शील्ड भी लगाई गई है जो इसे उच्च तापमान से बचाएगी। सूरज के तापमान से बचाने के लिए इसमें कई अन्य उपकरण भी लगाए गए हैं।

L1 पॉइंट क्यों है खास?

L1 बिंदु इसलिए भी खास है क्योंकि जब भी अंतरिक्ष के मौसम में सूर्य की गतिविधियों में कोई बदलाव होता है तो वह पृथ्वी से टकराने से पहले इसी बिंदु पर दिखाई देता है। ऐसे में ये जानकारी वैज्ञानिकों के लिए काफी अहम साबित हो सकती है. आदित्य एल वन पृथ्वी के निकट अंतरिक्ष वातावरण पर भी नजर रखेगा, जिससे अंतरिक्ष मौसम पूर्वानुमान मॉडल बहुत महत्वपूर्ण साबित होगा।

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ADITYA L1

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