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AFSPA Reduced In 3 States : आखिर क्यों विवादों में रहा अफस्पा?

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
AFSPA Reduced In 3 States: बीते कल (यानि 31 मार्च 2022) को केंद्र सरकार ने तीन राज्यों नगालैंड, असम और मणिपुर में आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट (AFSPA) का दायरा कम करने का निर्णय लिया है। यह जानकारी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने ट्वीट के जरिए दी। तो चलिए जानते हैं क्या है अफस्पा, आखिर क्यों विवादों में रहा, सबसे पहले कहां लागू हुआ था, किस जगह से उठी थी इसे हटाने की मांग।

क्या है अफस्पा?  (AFSPA Reduced In 3 States)

अफस्पा यानी आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल प्रोटेक्शन एक्ट। इस एक्ट का मूल स्वरूप अंग्रेजों के जमाने में लागू किया गया था। कहतें हैं कि जब ब्रिटिश सरकार ने भारत छोड़ो आंदोलन को कुचलने के लिए सैन्य बलों को विशेष अधिकार दिए थे। आजादी के बाद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सरकार ने भी इस कानून को जारी रखने का निर्णय लिया। 1958 में एक अध्यादेश के जरिए अफस्पा को लाया गया। तीन महीने बाद ही अध्यादेश को संसद की स्वीकृति मिल गई और 11 सितंबर 1958 को अफस्पा एक कानून के रूप में लागू हो गया।

सबसे पहले AFSPA कहां लागू हुआ?

बताया जाता है कि शुरू में इस कानून को पूर्वोत्तर और पंजाब के अशांत क्षेत्रों में लगाया गया था। जिन जगहों पर ये कानून लागू हुआ उनमें से ज्यादातर की सीमाएं पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश और म्यांमार से सटी थीं। अफस्पा को केवल अशांत क्षेत्रों में लागू किया जाता है। इन जगहों पर सुरक्षाबल बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार कर सकते हैं। कई मामलों में बल प्रयोग भी हो सकता है। 1989 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद बढ़ने पर यहां भी 1990 में अफस्पा लागू कर दिया गया। अशांत क्षेत्र कौन-कौन से होंगे, ये भी केंद्र सरकार ही तय करती है।

अशांत क्षेत्र क्या हैं? (AFSPA Reduced In 3 States)

अशांत क्षेत्र मतलब वे क्षेत्र जहां शांति बनाए रखने के लिए सैन्य बलों का उपयोग जरूरी है। कानून की धारा 3 के तहत, किसी भी क्षेत्र को विभिन्न धार्मिक, नस्ली, भाषा या क्षेत्रीय समूहों, जातियों या समुदायों के सदस्यों के बीच मतभेदों या विवादों के कारण अशांत घोषित किया जा सकता है। किसी भी क्षेत्र को केंद्र सरकार, राज्य के राज्यपाल या केंद्र शासित प्रदेश के उपराज्यपाल अशांत घोषित कर सकते हैं।

अभी तक कहां कहां लागू था AFSPA?

अफस्पा कानून असम, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, नगालैंड, पंजाब, चंडीगढ़ और जम्मू-कश्मीर समेत कई हिस्सों में लागू किया गया था। हालांकि बाद में कई इलाकों से इसे हटा भी दिया गया। अमित शाह की घोषणा से पहले ये कानून जम्मू-कश्मीर, नगालैंड, मणिपुर (राजधानी इम्फाल के 7 क्षेत्रों को छोड़कर), असम और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में लागू है। त्रिपुरा, मिजोरम और मेघालय से इसे पहले ही हटा दिया गया है।

कब-कब विवाद में रहा AFSPA?  (AFSPA Reduced In 3 States)

  • कहतें हैं कि नवंबर 2000 में एक बस स्टैंड के पास दस लोगों को सैन्य बलों ने गोली मार दी थी। इस घटना के समय मणिपुर की आयरन लेडी भी कही जाने वाली इरोम शर्मिला वहीं पर मौजूद थीं। इस घटना का विरोध करते हुए 29 वर्षीय इरोम ने भूख हड़ताल शुरू कर दी थी, जो 16 साल चली। अगस्त 2016 में भूख हड़ताल खत्म करने के बाद उन्होंने चुनाव भी लड़ा था, जिसमें उन्हें नोटा से भी कम वोट मिले।
  • वहीं 10 से 11 जुलाई 2004 की दरमियानी रात 32 साल की थंगजाम मनोरमा का कथित तौर पर सेना के जवानों ने रेप कर हत्या कर दी थी। इस घटना के बाद 15 जुलाई 2004 को करीब 30 मणिपुरी महिलाओं ने निवस्त्र होकर प्रदर्शन भी किया था।

सबसे पहले कहां से उठी AFSPA हटाने की मांग?

दिसंबर साल 2021 में नगालैंड में सेना के हाथों 13 आम लोगों के मारे जाने और एक अन्य घटना में एक व्यक्ति के मारे जाने के बाद असम में आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट हटाने की मांग ने जोर पकड़ लिया था। यह एक्ट मणिपुर में (इंफाल नगर परिषद क्षेत्र को छोड़ कर), अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग, लोंगदिंग और तिरप जिलों में, असम से लगने वाले उसके सीमावर्ती जिलों के आठ पुलिस थाना क्षेत्रों के अलावा नगालैंड और असम में लागू है। केंद्र सरकार ने जनवरी 2022 की शुरूआत में नगालैंड में इसे छह माह के लिए बढ़ा दिया था।

कानून का विरोध क्यों?

राज्यों के साथ ही मानवाधिकार संगठन और कार्यकर्ता भी इस कानून का विरोध करते आए हैं। आरोप लगते रहे हैं कि इससे सेना को जो शक्तियां मिलती हैं, उसका दुरुपयोग होता है। सेना पर फेक एनकाउंटर, मनमाने ढंग से गिरफ्तारी और हिरासत में टॉर्चर जैसे आरोप लगते रहे हैं। चूंकि कानून के तहत अर्धसैनिक बलों पर मुकदमे के लिए भी केंद्र सरकार की मंजूरी जरूरी है, इसलिए ज्यादातर मामलों में न्याय भी नहीं मिल पाता है।

अभी क्यों चर्चा में है Armed Forces Special Powers Act?

बता दें कि 4 दिसंबर 2021 को नगालैंड के मोन जिले में सेना ने चरमपंथी समझकर गलती से नागरिकों को निशाना बना लिया था। इस हादसे में लभगभ 6 नागरिकों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद स्थानीय लोगों ने सेना के कैंप को घेर लिया। इसमें सेना के एक जवान के साथ ही 7 और लोगों की मौत हो गई थी। हादसे के बाद सेना ने भी गलती स्वीकारी और गृहमंत्री अमित शाह ने भी इस मामले में संसद को संबोधित किया। इस घटना के बाद ही नगालैंड के सीएम नेफियो रीयो और मेघालय के सीएम कोनरेड संगमा ने ट्वीट कर आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट (अफस्पा) को हटाने की मांग की।  AFSPA Reduced In 3 States

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Suman Tiwari

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