1979 में एक गर्भवती महिला रंजन त्रिपाठी ने अपने पति को खो दिया था। रंजन की पहले से ही तीनो बेटियां थीं। महिला ने अपने पति की मौत के बाद अपने परिवार को छोड़ दिया और एक मुस्लिम व्यक्ति के साथ रहने लगी। उनकी तीनो बेटियों की देखभाल उनके पति के परिवार ने ही करी थी।
इसके बाद तीनों बेटियों ने परित्याग के आधार पर 1990 में अपने खर्चे के लिए उन पर मुकदमा भी दायर किया था। यह दावा करते हुए कि उन्हें बच्चों की देखभाल के लिए विभाग की तरफ से नौकरी दी गई थी लेकिन वह बच्चों को पैसे नहीं देती हैं। बेटियों ने केस जीत लिया था और बाद में विवाद भी सुलझ गया था, लेकिन बेटियों ने दावा किया कि उन्होंने अपने सेवानिवृत्ति लाभों में अपने अधिकारों को नहीं छोड़ा।
अहमदाबाद के एक कोर्ट ने तीन हिंदू बेटियों की तरफ से दायर एक मुकदमे को खारिज करने का फैसला लिया है। इसमें दावा किया गया था कि उनकी मां की मौत के बाद संपत्ति पर हिंदू बेटियों का भी हक है। महिला ने इस्लाम धर्म कबूल कर लिया था। कोर्ट ने कहा कि महिला के हिंदू बच्चे मुस्लिम कानूनों के अनुसार उसके उत्तराधिकारी नहीं हो सकते हैं। बेटियों की जगह उसने मुस्लिम बेटे को उत्तराधिकारी के रूप में रखा है।
2009 में रंजन उर्फ रेहाना का निधन हो गया था। इसके बाद उनकी तीन बेटियों ने शहर के सिविल कोर्ट में एक मुकदमा दायर किया। इसमें उन्होंने संपत्ति पर अपने अधिकार का दावा किया था। लेकिन कोर्ट ने अब मुकदमा खारिज कर दिया।
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