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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
American Drones will Increase India Power : पड़ोसी देशों चीन और पाकिस्तान से बढ़ते खतरे को लेकर भारत चौकन्ना है। अपनी सीमाओं की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए भारत ने रूस से एस-400 मिसाइलों की खरीदारी की है जिसकी आपूर्ति भारत को शुरू कर दी गई है।
भारतीय सेना को और ताकतवर बनाने के लिए अब भारत सरकार ने अमेरिका से एमक्यू-1 प्रीडेटर-बी ड्रोन की 30 यूनिट खरीदने की भी हरी झंडी दे दी है। वर्तमान में अमेरिका के पास यह 150 ड्रोन उपलब्ध हैं।
ये ड्रोन घातक मिसाइलों से लैस होते हैं जोकि लंबे समय तक हवा में निगरानी कर सकते हैं। इतना ही नहीं, जरूरत पड़ने पर इसमें लगी मिसाइलें दुश्मनों के जहाजों या ठिकानों तक को निशाना बना कर तहस-नहस कर सकती हैं। इस ड्रोन को प्रीडेटर सी एवेंजर या आरक्यू-1 के नाम से भी जाना जाता है।
चीन के विंग लांग ड्रोन-2 के हमला करने की ताकत को देखते हुए नौसेना को ऐसे खतरनाक ड्रोन की जरूरत महसूस हो रही है। यह ड्रोन मिलने के बाद पाक और चीन के मुकाबले भारतीय सेना काफी मजबूत स्थिति में आ जाएगी।
इस ड्रोन की खासियतें इसे दुनिया के दूसरों ड्रोन से अलग करती हैं। यह ड्रोन की क्षमता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यह अपने साथ 204 किलोग्राम की मिसाइलों को लेकर उड़ान भर सकता है।
दुश्मन इस ड्रोन को आसानी से पकड़ नहीं पाते क्योंकि यह 25 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर उड़ान भरने में भी सक्षम है। इस ड्रोन में 2 लेजर गाइडेड एजीएम-114 हेलफायर मिसाइलें लगाई जा सकती हैं। इसे आपरेट करने के लिए 2 लोगों एक पायलट और दूसरा सेंसर आपरेट की जरूरत पड़ती है।
प्रीडेटर-बी ड्रोन अमेरिकी कंपनी जनरल एटामिक्स एयरोनाटिकल सिस्टम ने बनाया है। इस ड्रोन में 115 हार्सपावर की ताकत प्रदान करने वाला टर्बोफैन इंजन लगा है।
8.22 मीटर लंबे और 2.1 मीटर ऊंचे इस ड्रोन के पंखों की चौड़ाई 16.8 मीटर है। इस ड्रोन में 100 गैलन तक की तेल की क्षमता है जिससे इस ड्रोन का फ्लाइट इंड्यूरेंस काफी ज्यादा है। यह ड्रोन 50 हजार फीट की ऊंचाई पर 35 घंटे तक उड़ान भर सकता है।
प्रीडेटर-बी ड्रोन बेस से उड़ान भरने के बाद 1,800 मील यानि कि करीब 2,900 किलोमीटर तक उड़ सकता है। इसका मतलब यह हुआ कि अगर उसे मध्य भारत के किसी एयरबेस से आपरेट किया जाए तो वह जम्मू-कश्मीर में चीन और पाकिस्तान की सीमा तक नजर रख सकता है। यह ड्रोन 6,500 पाउंड पेलोड लेकर उड़ सकता है।
प्रीडेटर सी एवेंजर में टर्बोफैन इंजन और स्टील्थ एयरक्राफ्ट के तमाम फीचर हैं। इसे अपने लक्ष्य पर बहुत ही स्टीक निशाना लगाने के लिए जाना जाता है।
फिलहाल भारतीय सेना अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए इजराइल से खरीदे गए ड्रोन का इस्तेमाल कर रही है। अमेरिका के यह खतरनाक प्रीडेटर ड्रोन एक फाइटर जेट की रफ्तार से उड़ते हैं।
एक बार अमेरिका से यह ड्रोन मिलने के बाद भारत सर्विलांस सिस्टम के मामले में पड़ोसी देशों से काफी आगे निकल जाएगा।
इसकी कीमत करीब 3 अरब अमेरिकी डालर होगी जोकि भारतीय मुद्रा में करीब 22 हजार करोड़ रुपए होगी। उम्मीद है कि दिसंबर, 2021 में भारत व अमेरिका के बीच होने वाले 2+2 मंत्रीस्तरीय वार्ता से पहले जनरल एटामिक्स से प्रीडेटर-बी ड्रोन को खरीदने का आर्डर दिया जा सकता है।
प्रीडेटर-बी ड्रोन को जल्द से जल्द खरीदने के लिए भारत सरकार इस सौदे से जुड़ी सभी औपचारिकताओं को इसी साल 2021 में ही पूरा कर लेना चाहती है।
अगर भारत सरकार को 30 ड्रोन मिल जाते हैं तो वह इसमें से 10-10 ड्रोन को भारतीय थलसेना, वायुसेना और नौसेना में देने बारे सोच रही है ताकि तीनों क्षेत्रों में भारत को मजबूती मिल सके।
पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ बढ़ते तनाव और जम्मू एयरबेस पर ड्रोन हमले के बाद भारतीय सेना प्रीडेटर-बी ड्रोन की खरीद पर पूरा ध्यान दे रही है।
बता दें कि जून, 2021 में जम्मू वायुसेना स्टेशन पर हमले को अंजाम देने के लिए विस्फोटकों से लदे ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था। यह पहली ऐसी घटना थी जिसमें देखा गया कि भारत में महत्वपूर्ण सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला करने के लिए आतंकवादियों ने मानव रहित हवाई वाहनों का इस्तेमाल किया हो।
इस मामले को भारत सरकार ने बहुत ही गंभीरता से लिया था और भविष्य इस तरह के और हमलों से बचने के लिए और निगरानी करने के आधुनिक तरीकों बारे सोचना शुरू कर दिया था।
वहीं, अमेरिका ने 2019 में भारत को सशस्त्र ड्रोन की बिक्री को मंजूरी भी दी थी। अमेरिका ने भारत को एकीकृत वायु और मिसाइल रक्षा प्रणालियों की पेशकश भी की थी।
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