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India News(इंडिया न्यूज), Artical 370: 2019 में केंद्र की भाजपा सरकार के द्वार संविधान में संशोधन किया गया और अनुच्छेद 370(Article 370) को खत्म किया गया। जिसके 3 साल बाद एक बार फिर ये मुद्दा गर्माता हुआ नजर आ रहा है। बता दें कि, कल यानी 11 जुलाई को अनुच्छेद 370 को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने वाले संविधान संशोधन को चुनौती का मामला 2019 में संविधान पीठ को सौंपा गया था लेकिन अब तक सुनवाई नहीं हुई है। जिसके बाद कल सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ अनुच्छेद 370 के मामले पर विस्तृत सुनवाई की तारीख और उसकी समय सीमा तय करने पर विचार करेगी।
बता दें कि, अनुच्छेद 370 (Artical 370) को चुनौती देने वाली याचिका के दायर होने के बाद केंद्र सरकार ने इसपर एक अतिरिक्त हलफनामा दायर किया जिसमें कहा गया कि, अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को खत्म करने के कदम से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में “शांति का अभूतपूर्व युग” आया है। जिसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हलफनामे में कहा कि, “जम्मू-कश्मीर पिछले तीन दशकों से आतंकवाद का दंश झेल रहा था। इस पर अंकुश लगाने के लिए धारा 370 को हटाना ही एकमात्र रास्ता था। आज घाटी में स्कूल, कॉलेज, उद्योग समेत सभी जरूरी संस्थान सामान्य रूप से चल रहे हैं। औद्योगिक विकास हो रहा है और जो लोग डर में रहते थे वे शांति से रह रहे हैं।
बीते 3 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर एक नोटिस जारी किया गया। जिसमें बताया गया कि, पांच न्यायाधीशों की पीठ दिशानिर्देश पारित करने के लिए आईएएस अधिकारी शाह फैसल की तरफ से दायर याचिका सहित कई याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। वहीं पीठ में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत भी शामिल होंगे।
बता दें कि, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370(Article 370) को चुनौती देने वाले याचिका का स्वागत करते हुए उन्होने ट्वीट करके कहा कि, अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शीर्ष अदालत में सुनवाई को लेकर आशान्वित हैं। ‘आखिरकार पीठ का गठन हो गया. मैं अब सही ढंग से सुनवाई शुरू होने को लेकर आशान्वित हूं.’ इसके बाद पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने भी अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने के शीर्ष अदालत के फैसले का सोमवार को स्वागत करते हुए कहा कि, ‘अनुच्छेद 370 के अवैध निरस्तीकरण को चुनौती देने वाली 2019 से लंबित याचिकाओं पर आखिरकार सुनवाई करने के माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत है.’
1. मिली जानकारी के अनुसार बता दें कि, इस सुनवाई में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ कल प्रारंभिक कार्यवाही करेगी और दस्तावेज दाखिल करने और लिखित प्रस्तुतिकरण के बारे में प्रक्रियात्मक निर्देश जारी करेगी। इसमें सुनवाई शुरू होने की तारीख भी बताई जाएगी।
2. इस सुनवाई के पीठ में भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई और सूर्यकांत शामिल होंगे।
3. यह प्रक्रिया राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद शुरू की गई थी, जब राज्य विधानसभा काम नहीं कर रही थी। याचिकाओं में तर्क दिया गया है कि राष्ट्रपति शासन के दौरान राष्ट्रपति की उद्घोषणा के माध्यम से अनुच्छेद 370 को खत्म करना जम्मू-कश्मीर के लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन है।
4. मामले की आखिरी बार सुनवाई मार्च 2020 में पांच जजों की एक अलग बेंच ने की थी। उस सुनवाई में, बेंच ने मामले को सात जजों की बड़ी बेंच के पास भेजने से इनकार कर दिया था।
5. अगस्त 2019 में विधायी और कार्यकारी निर्णयों की एक श्रृंखला के माध्यम से अनुच्छेद 370(Artical 370) को हटा दिया गया था, जिसके बाद संसद ने राज्य को विभाजित करने के लिए जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम पारित किया।
6. बता दें कि, जून 2018 में भाजपा द्वारा महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ सत्तारूढ़ गठबंधन से बाहर निकलने के बाद जम्मू और कश्मीर राष्ट्रपति शासन के अधीन आ गया। तब से इस क्षेत्र में कोई विधानसभा चुनाव नहीं हुआ है।
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