India News (इंडिया न्यूज़), Artificial Intelligence : AI यानी जिसका अर्थ है आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस यह कमाल है, वहीं AI की दुनिया ChatGPT से लेकर Bard तक, दुनिया की हर मुश्किल का हल देने आ चुका है आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस। बता दें कि शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग, डिज़ाइनिंग, रीसर्च का काम- सब कुछ की-बोर्ड पर उंगलियों की थिरकन से मिल जाता है। वहीं आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के फ़ायदे हैं तो नुक़सान भी कम नहीं, AI की मिसहैंडलिंग हुई तो आगे दलदल है। बता दें कि देश की जानी मानी एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के ‘डीपफ़ेक’ का शिकार हुई हैं। इंस्टाग्राम सेलिब्रिटी ज़ारा पटेल के वीडियो में ‘AI डीपफ़ेक’ तकनीक से एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना का चेहरा लगा दिया गया। वहीं सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होते होते रश्मिका तक पहुंचा। हालात ये हो चले हैं कि अभिनेत्री डरी सहमी हुई हैं।
बता दें कि डीपफ़ेक वीडियो का ये कोई पहला केस नहीं है, फ़र्क़ सिर्फ़ इतना है कि इस बार बॉलीवुड की कोई बड़ी हस्ती शिकार बनी है। फोटोशॉप और मॉर्फ़िंग के ज़रिए फ़ोटोज़-वीडियोज़ क्रिएट करना अब पुरानी बात है। AI डीपफ़ेक टेक्नोलॉजी में एक एलगोरिदम को किसी शख्स के रियल वीडियो से ट्रेन करके डीप लर्निंग की जाती है। डीप लर्निंग के बाद चेहरा रिप्लेस करके मनचाहा वीडियो बनाया जा सकता है।
क्या है आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस
बता दें कि आम आदमी की ज़िंदगी में आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस की एंट्री ख़तरनाक संकेत है। मैं तकनीक का हिमायती हूं, लेकिन तकनीक पर नियंत्रण बहुत ज़रूरी है। AI के फ़ायदे नुक़सान की बात करने से पहले ये जानिए कि आख़िर क्या बला है आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस। इसका सीधा मतलब है अप्राकृतिक तरीक़े से दिमाग़ की क्षमता को विकसित करना। वहीं आज विज्ञान उस जगह है जहां एक मशीन को कम्प्यूटर प्रोगामिंग से तेज़ दिमाग़ वाला बना दिया गया है।
ये मशीन आम आदमी या औरत जैसी सोच और समझ रखने लगी है, वो दिन दूर नहीं जब फ़ैसले भी मशीनी दिमाग़ ही करेगा। मैं आपको डराना तो नहीं चाहता, पर सावधान हो जाइए, वो दिन दूर नहीं जब आपको ख़ुद का ही कोई डीपफ़ेक वीडियो मिल जाए। इंसानी दिमाग़ जैसा सोचने वाला रोबोटिक सिस्टम तैयार है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी वो दिमाग जो इंसान का नहीं है लेकिन इंसान के दिमाग़ की तरह ही तैयार किया जा रहा है। वहीं इंसान की जिंदगी आसान करने, काम की रफ्तार बढ़ाने और सुरक्षा बेहतर रखने की ख़ातिर जो कंप्यूटर का कमाल AI के तौर पर सामने आया, अभी वो सिर्फ प्राइमरी स्टेज में है मगर ख़तरे भी बढ़ाने शुरु कर दिए हैं।
वहीं दुनिया रोबोटिक क्रांति की ज़द में है। अभी मशीन काम कर रही है और मैं पेशे से न्यूज़ एंकर भी हूं, आजकल AI एंकर्स का चलन भी है। एंकर्स को जैसे चाहे वैसे रंगरूप के साथ उतारा जा रहा है। वहीं AI का दख़ल एग्रीकल्चर, फ़ाइनेंस, मार्केटिंग, एडवर्टाइज़िंग, ट्रांसपोर्टेशन, सायबर सिक्योरिटी, डिफ़ेंस सेक्टर तक है। अभी AI के ज़रिए मानव संरचना को हूबहू उतारा जा रहा है। ज़रा सोचिए, अगर AI के ज़रिए दिमाग़ और एहसास भी दे दिया गया तो कल क्या होगा।
आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के फ़ायदे और नुक़सान
आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के फ़ायदे हैं तो नुक़सान भी कम नहीं। वहीं AI ऑटोमेशन मोड पर काम करता है, प्रोग्रामिंग फ़िक्स करके कुछ भी कराया जा सकता है। वहीं इसका सीधा मतलब ये हुआ कि कल को हज़ारों लाखों नौकरियां ख़तरे में पड़ सकती हैं। कस्टमर सपोर्ट के लिए ‘चैटबॉट’ बनाए गए हैं, ये परफेक्ट रहा तो कॉल सेंटर वालों की जॉब को ख़तरा है।
बता दें कि ग्राफिक्स डिज़ायनिंग का AI परफेक्शन सैकड़ों की नौकरियां खा चुका है। मशीनीकरण बदलाव ले आता है, स्किल यानी कौशल में वक्त पर सुधार नहीं आया तो आप मार्केट से बाहर हैं। AI का फ़ायदा भी इंसान को है और नुक़सान भी उसे ही झेलना पड़ेगा। समझिए कि ये AI न्यूक्लियर पावर जैसा है, जितना बड़ा फ़ायदा, उतना बड़ा नुक़सान। AI के ज़रिए ‘गंदा धंधा’ लड़कियों की ज़िंदगी बर्बाद कर रहा है। बता दें कि रश्मिका मंदाना तो एक केस स्टडी हैं। ख़बर है कि कटरीना कैफ़ का भी डीपफ़ेक वीडियो मार्केट में हैं। सजग, सचेत, सावधान रहें- आप भी ख़तरे की ज़द में हैं।
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