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इंडिया न्यूज, दिनजान (Arunachal Pradesh) : अरुणाचल प्रदेश के सामरिक और संवेदनशील क्षेत्र एलएसी पर भारत प्रभावी तरीके से चाकचौबंद कर रही है। ताकि पूर्वी लद्दाख में सीमा पर चीनी सेना से झड़प के बाद युद्ध की पूरी तैयारी रहे और भारतीय सेना पूरी तरह आक्रमक स्थिति में रहे। इस क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं के लिए निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है।
वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने बताया कि सड़कों, ब्रिजों और एम्यूनिशन डिपो के निर्माण से लेकर निगरानी प्रबंधन को काफी बेहतर बनाया जा रहा है। ताकि सेना को किसी तरह की कमी न खले। सेना के एलएसी के नजदीक स्थित आरएएलपी (रेस्ट आफ अरुणाचल प्रदेश) में सेना को तेजी से पहुंचाने के लिए भी सभी आधारभूत ढांचे का निर्माण तेजी से किया जा रहा है।
दूसरी माउंटेन डिविजन में जनरल अफसर कमांडिंग और मेजर जनरल एमएस बैंस ने कहा कि क्षेत्र में सेना का पूरा फोकस है। सेना उत्तरी सीमा और वहां लगभग सभी उग्रवाद निरोधक अभियानों को सफलता पूर्वक अंजाम दे रही है। उन्होंने बताया कि सड़कों, ब्रिजों, सुरंगों, हेलीपैड सहित विकास परियोजनाओं को शीघ्र पूरा करने के लिए
पूरी क्षमता से कार्य किया जा रहा है।
इसके साथ ही अन्य बुनियादी ढांचों के निर्माण के लिए कड़ी समय-सीमा निर्धारित की गई है। खासकर ऊपरी डिबांग घाटी क्षेत्र में सभी तैयारियां चुस्त-दुरुस्त की जा रही हैं। सेना की क्षेत्र में युद्धक तैयारी बहुत ही उच्च स्तर की है।
इस मामले में वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने बताया कि सामरिक और संवेदनशील इलाके जैसे-किबिथू, वालोंग और हैयुलियांग में 4जी नेटवर्क स्थापित करने की तैयारी पूरी जोर शोर से चल रही है। चीन ने एलएसी पर अपनी ओर से विभिन्न स्थानों पर बड़े पैमाने पर मोबाइल टावर लगा लिए हैं। इसलिए स्वाभाविक रूप से भारतीय फोन अपने आप ही चीनी नेटवर्क को पिकअप कर लेते हैं।
आरएएलपी क्षेत्र समेत विभिन्न स्थानों पर भारतीय सैन्य बलों को नए सिरे से दिशा-निर्देश दिए गए हैं। 73 माउंटेन ब्रिगेड को छोड़कर अन्य सभी सैन्य इकाइयां एलएसी की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए आधुनिक तरीके से काम कर रही हैं।
जबकि असम के डिब्रूगढ़ के पास लाइपुली स्थित मुख्यालय में स्थित 73 माउंटेन ब्रिगेड को राज्य के चार जिलों में उग्रवाद निरोधक अभियानों में लगाया गया है। इसलिए असम, अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और मणिपुर में कानून-व्यवस्था की स्थिति में पहले से काफी सुधरी है।
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