India News(इंडिया न्यूज),Arvind Kejriwal,अजीत मेंदोला: तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने बिछाए जाल में खुद ही फंसते नजर आ रहे हैं। मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा न देने की जिद्द उनको भारी पड़ सकती है। जानकारों की माने तो जेल के नियम कानूनों को देखते हुए जेल से सरकार चलाना पूरी तरह से असंभव और असंवैधानिक है। इन हालातों में केंद्र चाहे तो दिल्ली सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगा सकती है। अगर ऐसा हुआ तो एक दशक पहले आंदोलन से मुख्यमंत्री बने केजरीवाल और उनकी पार्टी आप का अस्तित्व खत्म होने की कगार पर आ जायेगा।
भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चला सत्ता में पहुंचने वाले केजरीवाल, भ्रष्टाचार के दलदल में ऐसे फंसे कि दस साल में ही जमीन पर आ गए। दरअसल 2012 -2013 में कांग्रेस की अगुवाई में बनी यूपीए सरकार के खिलाफ अन्ना हजारे भ्रष्टाचार को रोकने के लिए लोकपाल की मांग को लेकर दिल्ली में धरने पर बैठे थे। कहा जाता है कि अन्ना को कांग्रेस समर्थको ने ही धरने पर बिठाया था, इसके पीछे रणनीति बाबा रामदेव द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ चलाए जाने वाले आंदोलन को कमजोर करना था।
इसी आंदोलन के साथ केजरीवाल जुड़ गए, संयोग से उसी समय निर्भया कांड हो गया और मनमोहन सरकार के मंत्री आंदोलन को संभाल नहीं पाए। जिसके बाद रामदेव के आंदोलन को जबरन समाप्त कराने का भी निर्णय उल्टा पड़ गया। तमाम गलतियों के चलते आंदोलन ने विशाल रूप धारण कर लिया। केजरीवाल ने कांग्रेस और उसके साथ सत्ता में भागीदार नेताओं को चोर भ्रष्टाचार बता खूब कोसा। देशभर में कांग्रेस के खिलाफ ऐसा माहौल बना कि दिल्ली में 15 साल तक राज करने वाली कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 44 सीटों पर सिमट गई।
देश में राजनीति का नया दौर शुरू हुआ। केजरीवाल ने फ्री देने की ऐसी राजनीति शुरूआत की वह लोकप्रिय होने लगे, लेकिन धीरे धीरे उनकी राजनीतिक महत्वकांक्षा बढ़ने लगी और उन्होंने दिल्ली से बाहर भी पार्टी का विस्तार शुरू कर दावा किया कि वह ईमानदार राजनीति करेंगे। इसके साथ ही संघर्ष दौरान के साथियों को बाहर का रास्ता दिखाकर, अपने आसपास ऐसे लोगों को घेरे में ले लिया जो केवल हां में हां मिलाते थे।
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पहला कार्यकाल ठीक-ठाक बीतने के बाद तो वह एक व्यवसायिक राजनीतिज्ञ बन गए। कभी बंगला ,गाड़ी आदि से दूर रहने की बात करने वाले केजरीवाल सुख सुविधाओं पर इतना ध्यान दिया कि विवादों में घिर गए। साथ ही पार्टी का देशभर में विस्तार कर हर राज्य में चुनाव लड़ने लगे। अब दिल्ली के बाहर चुनाव लड़ने के लिए बड़ी रकम चाहिए थी, यहीं से वह भ्रष्टाचार के दलदल में फंसते चले गए। जिसके बाद शराब घोटाले में जेल जाना पड़ गया। अभी तो केवल एक मामले में ही जेल गए हैं। घोटालों की लम्बी फेहरिश्त में दवाई घोटाला, जल बोर्ड घोटाला, डीटीसी, पंजाब चुनाव के लिए लिया गये चंदे एक लंबी सूची है।
केजरीवाल के एक मंत्री सत्येंद्र जैन शराब घोटाले के मामले में सबसे पहले जेल गए, उसके बाद उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, फिर सासंद संजय सिंह शराब घोटाले में जेल में बंद है। अरविंद केजरीवाल ने आज जेल जाने से पहले जांच एजेसियों से जो कहा उससे मंत्री आतिशी और सौरभ भारद्वाज भी शक के दायरे में आ गए हैं। केजरीवाल ने कहा कि मुख्य आरोपी विजय नायर, मंत्री कैलाश गहलोत के घर में तो रहता ही था, जोकि आतिशी और सौरभ को रिपोर्ट करता था।
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केजरीवाल के इस बयान को ईडी ने कोर्ट में बता आतिशी और सौरभ को भी जांच के दायरे में ला दिया है। अभी तक यही दोनों मंत्री आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे। इसके पीछे माना जा रहा है कि केजरीवाल हिरासत में रहने के बाद भी ऐसी राजनीति की जिससे उनकी पत्नी सुनीता के लिए राह आसान हो जाए। अगर सारे वरिष्ठ नेता जेल में आ जायेंगे तो सुनीता के लिए फैसले करने आसान हो जायेगा। केजरीवाल सहानुभूति बटोरने के लिए फिर ऐसा दांव खेलने के चक्कर में हैं, जो इस बार उल्टा पड़ सकता है।
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