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India News (इंडिया न्यूज़), Assembly Elections 2023 : विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ कांग्रेस ने जातिगत जनगणना का मुद्दा फिर गर्म कर दिया है। कांग्रेस के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बाद हाल ही में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी छत्तीसगढ़ में भी जाति आधारित जनगणना कराने की बात कर चुकी हैं। स्वाभाविक है कांग्रेस मध्यप्रदेश में अपनी गारंटियों के साथ जातिगत जनगणना को भी चुनावी मुद्दा बनाएगी।
दूसरी तरफ भाजपा इस मसले पर बोलने के बजाए मध्यप्रदेश चुनाव में गरीब कल्याण पर फोकस कर रही है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गरीबों के लिए शुरू की गई योजनाएं और प्रदेश की शिवराज सरकार द्वारा चलाई गई स्कीम्स आ जाती हैं।
50 फीसदी से ज्यादा ओबीसी आबादी वाले मध्यप्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग का मुद्दा पहले से हावी है। साल 2019 में कमलनाथ सरकार ने सरकारी भर्तियों में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के आदेश दिए थे। जिस पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी और यह मामला अभी तक अदालत में है। कमलनाथ के बाद मुख्यमंत्री बने शिवराज सिंह चौहान ने जिन विभागों के भर्ती पर याचिका लगी थी, उनको छोड़कर बाकी विभागों में 27 फीसदी के आधार पर भर्तियां निकालकर इस वर्ग को संतुष्ट करने की कोशिश की।
स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव से पहले बीजेपी ने कलेक्टरों के जरिए इस वर्ग की जनसंख्या का आकलन करा कर इन छोटे चुनावों में ‘जिसकी जितनी आबादी उसे उतना आरक्षण’ का प्रावधान किया। बीजेपी ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का श्रेय भी लेती है।
‘जिसकी जितनी आबादी उसकी उतनी हिस्सेदारी’ के नारे के साथ पांच राज्यों के चुनाव के जरिए मिशन 2024 की आधारशिला रख रहे राहुल गांधी के साथ मध्यप्रदेश में कांग्रेस अब इस मुद्दे को अपने चुनावी वचन पत्र की सर्वोपरि घोषणा बना सकती है। जिसकी काट के तौर पर भाजपा के पास मध्यप्रदेश में करीब दो दशक के उनके तीन ओबीसी मुख्यमंत्री हैं तो देश के प्रधानमंत्री के रुप में भी वह इस वर्ग को प्रतिनिधित्व देने की बात कहती है।
साल 2003 में मध्यप्रदेश में बीजेपी सरकार बनने पर सबसे पहले इसी वर्ग की उमा भारती मुख्यमंत्री बनीं, उनके बाद बाबूलाल गौर और फिर शिवराज सिंह चौहान। भाजपा के रणनीतिकार ओबीसी के कांग्रेसी दांव को अभी परखने में लगे हुए हैं, इसकी जगह वे गरीब कल्याण पर फोकस कर रहे हैं। जिसमें मुफ्त राशन से लेकर उज्वला योजना में सस्ता रसोई गैस कनेक्शन, प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी तमाम जनहित की योजनाएं शामिल हो जाती हैं।
बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने चुनाव कार्यक्रम जारी होने के बाद अपना चुनावी एजेंडा साफ करते हुए कहा है कि बीजेपी गरीब कल्याण और जनहित के मुद्दों पर जनता से वोट मांगने जाएगी। बीजेपी की जनआशीर्वाद यात्रा हो या पार्टी का कोई भी कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर के साथ पार्टी गरीब कल्याण के अपने वादे और दावे को सामने रख रही है।
मध्यप्रदेश नीति आयोग ने पिछले साल बहुआयामी गरीबी पर अपनी रिपोर्ट पेश की थी। इस रिपोर्ट के अनुसार इस राज्य में गरीबी में 15.94 प्रतिशत कमी आई है। यानी लगभग 1.36 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आए हैं। बता दें कि मध्यप्रदेश की ग्रामीण क्षेत्र में गरीबों की आबादी में 20.58 प्रतिशत की कमी आई है।
साल 2015-16 की एनएफएचएस 4 रिपोर्ट में यह संख्या 45.9% थी, जो कि साल 2019-21 के एनएफएचएस-5 में कम होकर 25.32% तक आ गई थी। इस राज्य के शहरी क्षेत्रों की बात करें तो मध्यप्रदेश के शहरी इलाकों के गरीब आबादी में 6.62% की गिरावट आई है। साल 2015-16 में आए एनएफएचएस 4 की रिपोर्ट में यह 13.72 प्रतिशत थी जो साल 2019-21 की रिपोर्ट में कम होकर 7.1% तक आ गई है।
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