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India News (इंडिया न्यूज), Assembly Elections 2023 : चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के साथ ही मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपने उस सवाल का जवाब मिल गया, जो वे अपने निर्वाचन क्षेत्र बुधनी सहित अन्य स्थानों पर लगातार पूछ रहे थे। शिवराज के सवाल थे मैं चुनाव लड़ूं या नहीं।
मामा को मुख्यमंत्री बनना चाहिए या नहीं, मैंने सरकार कैसी चलाई आदि-आदि। इसके साथ ही मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन होने का सपना देख रहे बीजेपी के उन बड़े नेताओं के सामने एक और सवाल खड़ा हो गया है कि पार्टी की फिर सरकार बनी तो क्या उनका नंबर लगेगा या जीत का श्रेय लेने के साथ फिर शिव-राज होगें।
बीजेपी आलाकमान द्वारा तीन केंद्रीय मंत्री सहित सात सांसद और राष्ट्रीय महासचिव को चुनाव मैदान में उतारने के साथ कयास लग रहे थे कि शिवराज सिंह चौहान विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे या नहीं? बीजेपी आलाकमान ने सोमवार को चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के साथ ही प्रत्याशियों की चौथी लिस्ट जारी कर तमाम बड़े नेताओं के साथ पक्ष विपक्ष के रणनीतिकारों को भी चौंका दिया है। इस लिस्ट में पार्टी के 127 विधायकों में से 57 को फिर टिकट दिया गया है।
इनमें सीएम के अलावा 24 मंत्री भी हैं। इस सूची से पहले आई तीनों लिस्ट में पार्टी ने हारी हुई सीटों पर 79 उम्मीवार उतारे थे। संभावना जताई जा रही थी बाकी बची 24 हारी हुई सीटों के प्रत्याशी घोषित होंगे, लेकिन जो लिस्ट आई उसमें सभी विधायक थे। सीएम शिवराज को उनके परंपरागत बुधनी से उतारा गया है। उनके कैबिनेट के 24 सहयोगियों को भी टिकिट दिया गया है। इनमें से बहुतेरे वे नाम हैं, जिनके टिकिट कटने की संभावना उनके क्षेत्र के लोग ही नहीं सियासी पंडित भी लगा रहे थे।
फिर चाहे वे उमा भारती के भतीजे और नए नवेले राज्यमंत्री राहुल सिंह लोधी हों या पशुपालन मंत्री प्रेम सिंह पटेल। सांची वाले हेल्थ मिनिस्टर प्रभुराम चौधरी ही नहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए मंत्री भी फिर मैदान में उतारे गए हैं। मुख्यमंत्री की रेस में खुद उतरने वाले सबसे सीनियर विधायक और मंत्री गोपाल भार्गव भी रहली से फिर चुनाव लड़ेंगे। इस सूची के साथ ही बाकी रह गए नौ मंत्री और 70 विधायकों में से कितनों के टिकिट कटेंगे? कौन चुनाव लड़ेगा और कौन घर बैठेगा। यह सवाल भी उठने लगा है।
सीएम शिवराज की उम्मीदवारी के साथ ही उनके बयानों को लेकर उनपर हमलावर रही कांग्रेस को अब चुनाव लड़ने के लिए और भी साजो सामान मिल गया है। वैसे भी कांग्रेस अपनी गारंटियों के साथ शिवराज सिंह चौहान के 18 से अधिक साल के शासन में हुए भ्रष्टाचार और कुशासन को केंद्र में रख कर मैदान में उतरी है। कांग्रेस ने बाकायदा आरोप पत्र भी बनाया है। पार्टी अब बीजेपी के भीतर मुख्यमंत्री पद को लेकर मच रही खींचतान को भी जोर-शोर से भुनाएगी। इस मामले में कांग्रेस की लाइन स्पष्ट है कि उनके मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ हैं।
बीजेपी में मुख्यमंत्री कौन होगा सवाल का जवाब, अभी शिवराज जी मुख्यमंत्री हैं, और चुनाव बाद मुख्यमंत्री कौन होगा यह तय करना पार्टी का काम है कहकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बीजेपी में एक नया राग छेड़ दिया। इसकी गूंज अब पार्टी के अंदरखाने से बाहर तक गूंजने लगी है। इंदौर-एक से प्रत्याशी बनाए गए राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का बयान गौर करने लायक है। विजयवर्गीय ने कहा कि वे सिर्फ विधायक बनने नहीं आए हैं, उन्हें बड़ी जिम्मेदारी मिलने वाली है। भोपाल में बैठ कर इंदौर के काम करेंगे।
चुनाव लड़ रहे केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल, नरेंद्र सिंह तोमर और फग्गन सिंह कुलस्ते ऐसी किसी बयानबाजी से बच रहे हैं। इसके बावजूद इनमें से कुछ नेताओं को विधानसभा का प्रत्याशी बनाने के साथ ही उनके क्षेत्र में भावी सीएम पद की मिठाई बंट चुकी है। वल्लभ भवन में बैठ कर कौन मध्यप्रदेश की सरकार चलाएगा इस सवाल का जवाब चुनाव नतीजे आने पर मिलेगा। तब तक शिवराज सिंह चौहान हों या उनकी पार्टी के अन्य दावेदार या फिर कांग्रेस के कमलनाथ सभी को जीत के लिए जोर लगाना होगा।
बीजेपी द्वारा अब तक जारी की गई प्रत्याशियों की लिस्ट में तीन विधायकों के टिकिट कट चुके हैं। चौथी लिस्ट में इंदौर की कई सीट से उम्मीदवार उतारे गए, लेकिन विधायक का चुनाव लड़ रहे राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के विधायक पुत्र आकाश विजयवर्गीय की इंदौर-तीन सीट अभी होल्ड रखी गई है। संभावना जताई जा रही है कि परिवारवाद के खिलाफ अपने अभियान के तहत बीजेपी आकाश की जगह नया चेहरा उतार सकती है। इससे पहले विधायक जालम सिंह की जगह उनके भाई केंद्रीय राज्यमंत्री प्रहलाद पटेल को नरसिंहपुर से टिकिट दिया गया था। पार्टी मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी और सीधी विधायक केदारनाथ शुक्ल के भी टिकिट काट कर उनकी जगह दूसरे प्रत्याशी दे चुकी है।
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