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Baghpat: लाक्षागृह और मजार विवाद पर आया कोर्ट का फैसला, हिन्दु पक्ष को सौंपी 100 बीघा जमीन

BY: Divyanshi Singh • LAST UPDATED : February 5, 2024, 5:08 pm IST
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Baghpat: लाक्षागृह और मजार विवाद पर आया कोर्ट का फैसला, हिन्दु पक्ष को सौंपी 100 बीघा जमीन

India News (इंडिया न्यूज),Baghpat: एडीजे कोर्ट ने बागपत लाक्षा गृह और मजार विवाद पर फैसला सुनाया है। कोर्ट के फैसले के अनुसार बागपत में बदरुद्दीन शाह की मजार और लाक्षा गृह मामले में हिंदू पक्ष की जीत हुई है। बता दें अपने फैसले में कोर्ट ने हिंदु पक्ष को कोर्ट ने 100 बीघा जमीन के साथ- साथ मजार पर भी मालिकाना हक दे दिया है।

पिछले 50 साल से चल रहा है मुकदमा

कोर्ट ने मामले मे 10 से ज्यादा हिंदू पक्ष के गवाहों की गवाही दर्ज की थी। मुस्लिम पक्ष का केस को शिविल जज शिवम द्विवेदी ने खारिज कर दिया था। इस मामले पर कोर्ट में मुकदमा पिछले 50 साल से हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष के बीच चल रहा था।

मामला  महाभारत काल से जुड़े लाक्षागृह का है। वहीं मुस्लिम समाज इसे शेख बदरुद्दीन की मजार बता रहा है। इसका वाद 1970 से बागपत सिविल कोर्ट में चल रहा हैं।

हिंडन और कृष्णा नदी के किनारे बसा है यह गांव

महाभारत में बरनावा इलाके की पहचान वारणावत से की गई है। बरनावा हिंडन और कृष्णा नदी के किनारे बसा गांव है। यहां लगभक 100 फिट ऊंचा और 100 बीघा जमीन में एक बड़ा टीला है। यह मान्यता है कि यही वो जगह है, जहां पांडवों को मारने के लिए लाक्षागृह बनवाया गया था।

पांडवों ने ली थी शरण

इस टीले के पास एक गुफा भी है। ऐसा कहा जाता है कि यह वह प्राचीन गुफा है जहां पांडवों ने आग की लपटों से बचने के लिए शरण ली थी। पुरातत्व विभाग ने भी इस क्षेत्र का सर्वेक्षण किया था। एएसआई को यहां महाभारत काल की सभ्यता और संस्कृति के अवशेष भी मिले हैं। यह स्थान एएसआई के संरक्षण में है। लाक्षागृह के पास एक गुरुकुल और कई भव्य यज्ञशाला भी है। यहां साल में दो बार महायज्ञ का आयोजन होता था।

2018 में दूसरी शुरू हुई खुदाई

1952 में हस्तिनापुर एएसआई निदेशक के नेतृत्व में यहां एक सर्वेक्षण किया गया था। यहां 4500 साल पुराने मिट्टी के बर्तन भी मिले हैं। विवाद उभरने के बाद 2018 में दूसरी बार टीले की खुदाई भी शुरू हुई। यहां कई मूर्तियां और हड्डियां भी मिली हैं, जो प्राचीन काल के अवशेषों का संकेत देती हैं।

ये है मुस्लिम पक्ष का रुख

मुस्लिम पक्ष इसे शेख बदरुद्दीन की कब्र और उनका कब्रिस्तान क्षेत्र बताता है। 1970 में हिंदू-मुस्लिम पक्षों के बीच विवाद के बाद यह मुकदमा मेरठ सिविल कोर्ट में दायर किया गया, फिर इसे बागपत एडीजे कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया। यूपी सरकार ने इस स्थल को महाभारत सर्किट के तहत विकसित करने की योजना बनाई है।

इन जगहों पर भी चल रहा है विवाद

इससे पहले अयोध्या राम मंदिर विवाद सुलझने के साथ ही वहां राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। काशी के ज्ञानवापी में मंदिर होने की एएसआई रिपोर्ट पर हिंदू पक्ष को गर्व है। व्यासजी तहखाने में भी पूजा शुरू हो गई है। हिंदू पक्ष वजू खाना में कथित शिवलिंग वाले परिसर का एएसआई सर्वेक्षण कराने की भी मांग कर रहा है। वहीं, मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद में हिंदू पक्ष मालिकाना हक की लड़ाई को कोर्ट तक ले गया है।

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