इंडिया न्यूज, मनोहर प्रसाद केसरी, स्पेशल कॉरेस्पोंडेंट :
1.3 बिलियन से अधिक आबादी वाले देश के लिए खानपान, भारतीय रेलवे के यात्री परिवहन में सीटों और बर्थ की बहुत अधिक मांग है। भारतीय रेलवे द्वारा क्षमता वृद्धि के बावजूद मांग आपूर्ति का अंतर पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी है। इस मांग आपूर्ति के अंतर ने कई दलालों की संख्या बढ़ा दी है जो आरक्षित सीटों को अलग-अलग तरीकों से इस्तेमाल करते हैं और फिर उन्हें प्रीमियम पर जरूरतमंदों को बेचते हैं।
मिशन मोड में गहन और निरंतर कार्रवाई
कन्फर्म रेलवे आरक्षण को ऑनलाइन करने के लिए अवैध सॉफ्टवेयर के उपयोग ने आम आदमी को कन्फर्म टिकटों की उपलब्धता पर प्रतिकूल प्रभाव डाला था। RPF दलाली (रेलवे टिकटों की खरीद और आपूर्ति के व्यापार को अनधिकृत रूप से चलाने) में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ कोड नाम “ऑपरेशन उत्थान” के तहत एक मिशन मोड में गहन और निरंतर कार्रवाई कर रहा है।
हाल ही में ह्यूमन इंटेलिजेंस द्वारा पूरक डिजिटल इनपुट के आधार पर, आरपीएफ की एक टीम ने 8.5.2022 को राजकोट के मन्नान वाघेला (ट्रैवल एजेंट) को पकड़ने में सफलता प्राप्त की जो थोक में रेलवे टिकटों को कोने में रखने के लिए अवैध सॉफ्टवेयर यानी COVID-19 का उपयोग कर रहा था।
आरपीएफ मामले में शामिल कुछ और संदिग्धों की तलाश जारी
इसके अलावा, एक अन्य व्यक्ति कन्हैया गिरी (अवैध सॉफ़्टवेयर COVID-X, ANMSBACK, BLACK TIGER आदि के सुपर विक्रेता) को वाघेला द्वारा प्रदान की गई जानकारी के आधार पर 17.07.2022 को मुंबई से गिरफ्तार किया गया था। पूछताछ के दौरान गिरी ने खुलासा किया और अन्य सहयोगियों और वापी के एडमिन / डेवलपर अभिषेक शर्मा के नामों का खुलासा किया,जिन्हें 20.07.2022 को भी गिरफ्तार किया गया था।
अभिषेक शर्मा ने इन सभी अवैध सॉफ्टवेयर्स के एडमिन होने की बात कबूलकी। आरोपी व्यक्तियों द्वारा उपलब्ध कराए गए सुरागों के आधार पर, 3 और आरोपी व्यक्तियों, अमन कुमार शर्मा, वीरेंद्र गुप्ता और अभिषेक तिवारी को क्रमशः मुंबई, वलसाड (गुजरात) और सुल्तानपुर (यूपी) से गिरफ्तार किया गया। आरपीएफ इस मामले में शामिल कुछ और संदिग्धों की तलाश में है।
अवैध सॉफ्टवेयरों के विकास और बिक्री में शामिल थे आरोपी
ये आरोपी व्यक्ति आईआरसीटीसी के फर्जी वर्चुअल नंबर और फर्जी यूजर आईडी प्रदान करने के साथ-साथ सोशल मीडिया यानी टेलीग्राम, व्हाट्सएप आदि का उपयोग करके इन अवैध सॉफ्टवेयरों के विकास और बिक्री में शामिल थे। इन आरोपियों के पास नकली आईपी पते बनाने के लिए सॉफ्टवेयर थे, जिनका इस्तेमाल ग्राहकों पर प्रति आईपी पते की सीमित संख्या में टिकट प्राप्त करने के लिए लगाए गए प्रतिबंध को दरकिनार करने के लिए किया जाता था। उन्होंने डिस्पोजेबल मोबाइल नंबर और डिस्पोजेबल ईमेल भी बेचे, जिनका उपयोग आईआरसीटीसी की फर्जी यूजर आईडी बनाने के लिए ओटीपी सत्यापन के लिए किया जाता है।
ऑपरेशन भविष्य में भी जारी रहेगा
इस मामले में इन सभी आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के क्रम में 1688 टिकटों की कीमत रु. 43,42,750/-, जहां यात्रा प्रारंभ नहीं की जा सकी, को जब्त कर लिया गया है। अतीत में, उन्होंने 28.14 करोड़ के टिकट खरीदे और बेचे थे, जिससे उन्हें भारी कमीशन मिला। यह काले धन की उत्पत्ति की सीमा को दर्शाता है जो अन्य नापाक गतिविधियों को वित्तपोषित कर सकता था। आरोपियों द्वारा सामने आई जानकारी की एक टीम द्वारा जांच की जा रही है ताकि खामियों को दूर किया जा सके और इस तरह की प्रथा को रोकने के उपाय किए जा सकें। यह ऑपरेशन भविष्य में भी जारी रहेगा।
कैसे होती है फ़र्ज़ी सॉफ्टवेयर से टिकट बुक
दरअसल, रेल टिकट दलाल अवैध सॉफ्टवेयर के जरिये एक साथ 1 से लेकर 24 मेल आईडी जनरेट कर टिकट बुक कराता है। मतलब एक बार में 24 वर्चुअल मेल आईडी से 144 रेलयात्रियों का टिकट बुक करता है। जबकि, IRCTC की वेब साइट से एक बार में एक मेल आईडी से सिर्फ 6 यात्रियों के लिए एक टिकट बुक करा सकता है। RPF सूत्रों के मुताबिक, ये दलाल सॉफ्टवेयर के सब्सक्रिप्शन के लिए एक आदमी से एक महीने के दो वर्चुअल मेल आईडी के लिए 600 रुपये चार्ज करता है जो रिन्यूअल नहीं कराने के बाद खत्म हो जाता है। वहीं, 24 वर्चुअल मेल आईडी के लिए 10,000 रुपये हर महीने चार्ज करता है।
अवैध सॉफ्टवेयर IRCTC के LOG IN CAPTCHA (कैप्चा) और SUBMIT CAPTCHA (कैप्चा) को बायपास करते हुए सीधे IRCTC की टिकट बुकिंग पेज पर पहुंच कर फटाफट टिकट बुक करा लेता है,यानी,अवैध सॉफ्टवेयर के जरिये OCR से नॉर्मल कैप्चा रीड कर बायपास कर लेता है, जबकि, आपको अपने हाथों से ये दोनों कैप्चा डालने में समय लगा। जब टिकट के लिए पैसे पेमेंट करने के लिए OTP डालने की बारी आती है तो दलाल इलीगल सिस्टम OTP को सिंक्रोनीज कर ऑटो फीड कर लेता है OTP डालने की ज़रूरत नहीं पड़ती और वो आपके हाथों से टिकट छीन कर पहले ही दूसरे के लिए टिकट बुक कर लेता है।
“पाकिस्तानी सॉफ्टवेयर डेवलपर्स ” का हाथ
सूत्रों के मुताबिक, RPF को पूछताछ के दौरान पता चला है कि भारत में अवैध सॉफ्टवेयर कारोबार को आगे बढ़ाने में “रशियन सॉफ्टवेयर डेवलपर्स” और “पाकिस्तानी सॉफ्टवेयर डेवलपर्स ” का हाथ है। दलाल इनसे अपनी जरूरत के हिसाब से सॉफ्टवेयर बनवाता है और क्रिप्टो करेंसी में पैसे का लेनदेन धड़ल्ले से कर रहा है। इनकी नजरें हर साल करीब 400 करोड़ रुपये से ज्यादा के रेल टिकट कारोबार पर है। दरअसल, भारतीय रेलवे के PSU IRCTC के करीब 10 करोड़ यूजर हैं जिनमें से तकरीबन 7.5 करोड़ यूजर एक्टिव हैं और एक रिपोर्ट के मुताबिक,हर महीने करीब 1 करोड़ रुपये का टिकट बुक किये जाते हैं।
रेल मंत्रालय के लिए दलालों पर लगाम लगाने के लिए क्या है चुनौतियाँ
रेल मंत्रालय के PSU “CRIS” रेल टिकट सम्बंधित वेबसाइट को बनाता है और तकनीकी तौर निगरानी रखता है। जबतक CRIS कैप्चा का नया वर्जन V2 व V3 लाता है उसके कुछ दिनों या महीनों में सॉफ्टवेयर डेवलपर्स उसका तकनीकी तोड़ निकाल कर अवैध सॉफ्टवेयर बना लेता है। इसलिए, सूत्रों की माने तो रेल मंत्रलाय यूजर आईडी से आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस समेत तमाम आधिकारिक डाक्यूमेंट्स को लिंक करने पर विचार कर रहा है ताकि, फर्जी यूजर आईडी पर लगाम लगाया जा सके।
रेलवे मंत्रालय को MAC सिस्टम को अपनाना चाहिए
इस मामले में साइबर एक्सपर्ट का मानना है कि रेलवे मंत्रालय को MAC सिस्टम को अपनाना चाहिए,,, इसके जरिये रेल टिकट दलालों तक सिर्फ आसानी पहुँचा ही नहीं जा सकता है, बल्कि, इन्हें सलाखों के पीछे पहुँचाने में भी मदद मिलेगी। साल 2021 में RPF(रेलवे प्रोटेक्शन फ़ोर्स) फ़र्ज़ी सॉफ्टवेयर के जरिए देश में अवैध कारोबार करने वाले दलालों के रैकेट का पर्दाफाश किया था जिसका तार था दुबई से लेकर के देश के अलग-अलग राज्यों में फैला था।
इसके आका हामिद अशरफ दुबई में रहता था जो उत्तर प्रदेश का रहने वाला है और हामिद अशरफ के अलावा सलमान और शमशेर को भी गिरफ्तार किया था जो अब सलाखों के पीछे हैं। 10वीं पास हामिद अशरफ भारत में चल रहे अवैध सॉफ्टवेयर के 80% का खुद कारोबार करता था जिसने यूपी के बस्ती समेत नेपाल, दुबई में करीब 50 करोड़ रुपये से ज्यादा की प्रॉपर्टी है। इसके खिलाफ लुक आउट नोटिस भी जारी करना पड़ा था। उंस दौरान RPF को पूछताछ के दौरान पाकिस्तान के कहूटा नामक जगह से रिवर्स एंड्राइड इंजीनियरिंग किए हुए सॉफ्टवेयर डेवलपर्स की लीड मिली थी।
2019 से अब तक 17,546 दलाल को गिरफ्तार
साल 2019 से अबतक रेल टिकट बुक करने वाले करीब 375 अवैध सॉफ्टवेयर्स को कब्जे में लेकर RPF नष्ट कर चुका है। इसके अलावा, दलालों के खिलाफ ऑपरेशन चलाकर RPF ने साल 2019 से अबतक 17,546 दलाल को गिरफ्तार, 1,67,805 IRCTC यूजर आईडी को ब्लॉक और 160 करोड़ रुपये के रेल टिकट को कब्जे में लिया।