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India News (इंडिया न्यूज़),Ram Temple Ayodhya: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 जनवरी को राम मंदिर का उद्घाटन करने वाले हैं। हालांकि, इससे पहले अब 17 जनवरी को ओडिशा में जगन्नाथ कॉरिडोर का उद्घाटन किया जाएगा। बता दें, ओडिशा में पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर कॉरिडोर के सौंदर्यीकरण के लिए 943 करोड़ रुपये की लागत से होगा। वहीं आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए यह काफी मह्तवपूर्ण साबित होगा। पुरी के राजा गजपति दिब्यसिंघा देब ने शुक्रवार को इस बात जानकारी दी।
भगवान जगन्नाथ के पहले सेवक माने जाने वाले गजपति ने कहा कि परिक्रमा परियोजना पूरी होने के समीप है और इसे 17 जनवरी 2023 को सभी लोगों के लिए खोल दिया जाएगा। उस दिन पूजा के साथ हवन भी किया जाएगा। वहीं, श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के मुख्य प्रशासक रंजन कुमार दास ने बताया कि 17 जनवरी को उद्घाटन समारोह बड़े पैमाने पर होने वाला है। इस कार्यक्रम में देश-विदेश से श्रद्धालु आएंगे। उद्घाटन समारोह के लिए हवन और पूजा कई दिनों तक चलने वाली है। हालांकि जो लोग आज से दस साल पहले पुरी आए थे उन्हें अब बड़ा अंतर नजर आएगा।
आपको बता दें कि इस परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण 2019 के नवंबर माह में ही शुरू हो गया था। बड़ी बात यह है कि मंदिर के आसपास रहने वाले 600 से अधिक लोगों ने सुरक्षा क्षेत्र के वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण 15.64 एकड़ जमीन छोड़ दी। जगन्नाथ मंदिर की चारदीवारी के 75 मीटर के गलियारे के भीतर क्षेत्र के विकास के लिए मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने नवंबर 2021 में इसकी आधारशिला रखी थी।
बता दें कि इस परियोजना के अंतर्गत करीब 6,000 श्रद्धालु, सामान जांच सुविधा, लगभग 4000 परिवारों का सामान रखने के लिए अलमारी, पीने का पानी, शौचालय की सुविधा, हाथ-पैर धोने की सुविधा, छाया और आराम के लिए आश्रय मंडप, बहु-स्तरीय कार पार्किंग, पुलिस, अग्निशमन और आपातकालीन वाहनों को समायोजित करने के लिए शटल सह आपातकालीन लेन, एक एकीकृत कमांड और नियंत्रण केंद्र की व्यवस्था की गई है। वहीं, दुकानों और होटलों की वृद्धि ने मंदिर की 16 फीट ऊंची विरासत वाली दीवार मेघनाद पचेरी को अस्पष्ट कर दिया था। परिसर में भक्तों या पुजारियों के लिए कोई शौचालय नहीं था। अब हर तरफ से चीजें बेहतर होंगी।
दरअसल, कटक के निवासी वकील मृणालिनी पाधी की याचिका पर नवंबर 2019 में न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की 3 सदस्यीय पीठ के फैसले और 2017 में उड़ीसा हाईकोर्ट से रिटायर हुए न्यायाधीश बीपी दास की सिफारिश के बाद इस परियोजना की कल्पना की गई थी।
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