India News (इंडिया न्यूज़), Lok Sabha2024: अजीत मेंदोला- प्रदेश में पहले चरण की वोटिंग में कम हुए मतदान को लेकर बीजेपी में गहन मंथन शुरू हो गया है। ऐसे संकेत हैं कि भाजपा दूसरे चरण की वोटिंग के लिए बचे हुए दिन में प्रचार को आक्रामक बनाएगी। इसके लिए बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं को पार्टी ने विशेष निर्देश दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दूसरे चरण में प्रदेश में रविवार को दो रैलियां कर वोटर्स से सीधे अपने लिए वोट मांगे। एक दो दिन में और नेता भी दौरे करेंगे।
हालांकि पार्टी की अंदरूनी रिपोर्ट में 12 सीटों में से एक या दो सीटों को लेकर ही संशय है। बाकी में जीत का अंतर कम हो सकता, ऐसी आशंका पार्टी को है। यह ज़रूर है कि पार्टी कम मतदान को लेकर चिंतित जरूर है। पार्टी के रणनीतिकार इस बात को लेकर हैरान हैं कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि वोटर इस बार घर से नहीं निकला। तमाम तरह की कयासबाजी लगाई जा रही है कि बीजेपी का वोटर घर से क्यों नहीं निकला? क्या संघ कम सक्रिय रहा या कार्यकर्ताओं में प्रदेश सरकार को लेकर निराशा का भाव है या जातीय राजनीति सनातन धर्म पर भारी पड़ गई आदि।
कम वोटिंग में गर्मी को कारण नहीं माना जा रहा है। ये तो साफ है कि 2019 के मुकाबले इस बार मोदी लहर कमजोर पड़ी है, लेकिन वहीं मोदी सरकार के खिलाफ भी कोई लहर नहीं थी।विपक्ष का प्रचार भी उतना अक्रामक नहीं था, जिससे लगे कि बीजेपी के लिए मुश्किल होगी।
भजनलाल सरकार की कमज़ोरी हुई उजागर
इस चुनाव ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा सरकार की कमजोरी जरूर उजागर कर दी है, क्योंकि कार्यकर्ताओं और नेताओं ने इस बार उस तरह का प्रचार नहीं किया जैसे विधानसभा चुनाव के समय किया था। ध्रुवीकरण की राजनीति पर ज्यादा जोर नहीं दिया गया। अयोध्या पर भी नेता ढंग से प्रचार नहीं कर पाए। जिस कानून व्यवस्था को मुद्दा बना बीजेपी सत्ता में आई थी, उसमें कोई सुधार नहीं हुआ। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के कम अनुभव के चलते सरकार प्रभावशाली नहीं दिखी। ब्यूरोक्रेसी और दिल्ली के फैसलों से मंत्रियों में उत्साह नहीं होने से कार्यकर्ता कम सक्रिय हुए। उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी और मुख्यमंत्री भजनलाल के बीच गुटबाजी का उभरना भी पार्टी के लिए शुभ संकेत नहीं है। प्रदेश के नेताओं ने एक तरह से सब कुछ प्रधानमंत्री मोदी पर छोड़ दिया। मतलब वो आयेंगे और वो ही जिताएंगे।
…फिर भी उतारा राठौड़ को प्रचार में
सबसे हैरानी की बात यह है कि जाटों के नाराज़ होने की खबरें सामने आने के बाद भी भाजपा ने राजेंद्र राठौड़ को प्रचार में उतार दिया। इससे यह साफ है कि बीजेपी के रणनीतिकारों की रणनीति कहीं ना कहीं गड़बड़ाई है। अगर बीजेपी को अनुमान से कम सीट मिलती हैं तो इसकी गाज़ कई नेताओं पर गिरेगी। प्रधानमंत्री मोदी के राजस्थान को लेकर किए गए प्रयोग को लेकर भी सवाल उठेंगे। हालांकि बीजेपी पहले चरण की सीटों को लेकर निश्चिंत है। उनका मानना है पिछली बार की तुलना में जीत का अंतर कम हो सकता है।
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