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Bribery Law: रिश्वत लेना अपराध, पकड़े जाने पर होती है इतने साल की सजा

Reepu kumari • LAST UPDATED : December 2, 2023, 12:47 pm IST
India News, (इंडिया  न्यूज), Bribery Law: तमिलनाडु में  प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate- ED) के एक अधिकारी द्वारा घूस लेते पकड़े जाने के मामले ने हलचल मचा दी है। तमिलनाडु के सतर्कता विभाग (Vigilance Department) ने यह कार्रवाई की है। ये तो एक मामला है। आए दिन ऐसे केसेस सामने आते रहते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में अगर कोई व्यक्ति घूस लेता हुआ पकड़ा जाता है तो उसे कितने साल की सजा होती है साथ ही इसे लेकर क्या कानून है ये हम इस लेख में जानेंगे। सबसे पहले अगर कोई व्यक्ति गैरकानूनी काम के लिए किसी से कुछ उपहार लेता है तो उसे घूस कहते हैं। अगर कोई ऐसा करता है तो उसे भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम,1988 (Prevention Of Corruption Act) की धारा 7 के तहत सजा वह सजा का भागी होगा।

भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (धारा -7)

‘Prevention Of Corruption Act, 1988’
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम,1988 (Prevention Of Corruption Act) की धारा (Section) 7 में लोक सेवक (सरकारी अधिकारी या सरकार के लिए काम करने वाला कोई व्यक्ति) द्वारा रिश्वत लेने वाले अपराध को परिभाषित किया गया है। इस धारा के अंर्तगत  अगर कोई लोक सेवक किसी भी तरह का कोई रिश्वत लेता हुआ पाया जाता है तो वह अपराधी मान कर सजा का पात्र होगाय़ यानि उसे इस कृत के लिए अपराधी माना जाएगा और कानूनी रुप से सदा दी  जाएगी। इस धारा में यह भी बताया गया है कि यह एक दंडनीय अपराध है। अगर कोई इस अपराध को अंजाम देता हुए पकड़ा जाता है तो उसे अदालत तीन साल की जेल की सजा दे सकती है। सजा की अवधि को सात साल के लिए अदालत बढ़ा भी सकती है। इतना ही नहीं जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
इसके अलावा इस धारा में एक बात साफ बताया गया है कि कब कोई अधिकारी किसी से कोई उपहार लेता है तो वह इस अपराध के लिए दोषी नहीं मान जाएगा,

कब दोषी नहीं माना जाएगा

  1. इस धारा के अनुसार अगर कोई व्यक्ति किसी सरकारी पद पर नहीं है लेकिन लोगों को यह यकीन दिलाकर कि वो जल्द ही सरकारी लोक बन जाएगा तब वो उनका काम कर देगा। इस नाम पर लोगों से पैसे लेता है तो वह इस धारा में परिभाषित अपराध का दोषी नहीं माना जाएगा।
  2. धारा 7 में परितोषण (Gratification) शब्द का इस्तेमाल किया गया है जिसका सीधा संबंध केवल धन से है।
  3. इस बात भी ध्यान दें कि वैध पारिश्रमिक (Legal remuneration) केवल लोक सेवक को दिए जाने वाले वेतन भत्ता तक ही सीमित नहीं है बल्कि एक लोक सेवक होने के नाते सरकार या संगठन की तरह से उसको मिलने वाले वो सभी पारिश्रमिक आ जाएंगे।
  4. इतना ही नहीं किसी लोक सेवक को अगर किसी अच्छे काम के लिए कोई इनाम दिया जाता है तो वो भी उसके पद के अधिकार के अंतर्गत आएंगे ना कि रिश्वत माना जाएगा।
  5. लेकिन अगर कोई लोक सेवक किसी व्यक्ति को ये गलत भरोसा दिलाता है कि सरकार ने उसे यह अधिकार या आदेश दिया है कि वह लोगों से पैसे या कोई भी पुरस्कार ले तो यह भी लोक सेवक द्वारा किया गया अपराध माना जाएगा।

20 लाख रिश्वत लेने का आरोप

खबर के अनुसार आरोपियों से जुड़े परिसर में ‘तलाशी’ ली गई। जांच के लिए जब केंद्रीय एजेंसी के कार्यालय में डीवीएसी अधिकारियों पहुंचें उसके बाद अधिकारियों द्वारा ‘सुरक्षा’ के लिए ईडी कार्यालय के अंदर भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के जवानों को तैनात किया गया था।

 

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