New Delhi: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बुधवार सुबह 10:30 बजे नई दिल्ली स्थित डॉ. अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे. प्रधानमंत्री कार्यालय की एक विज्ञप्ति में ये जानकारी दी गई है. इस अवसर पर प्रधानमंत्री राष्ट्र निर्माण में आरएसएस के योगदान को रेखांकित करते हुए एक विशेष स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करेंगे. वे उपस्थित जनसमूह को संबोधित भी करेंगे.
डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा 1925 में महाराष्ट्र के नागपुर में स्थापित, आरएसएस एक स्वैच्छिक संगठन है जिसका उद्देश्य नागरिकों में सांस्कृतिक जागरूकता, अनुशासन, सेवा और सामाजिक उत्तरदायित्व को बढ़ावा देना है. आरएसएस का उद्देश्य देशभक्ति और राष्ट्रीय चरित्र के विकास के माध्यम से भारत का सर्वांगीण विकास करना है. ये संगठन मातृभूमि के प्रति समर्पण, संयम, साहस और वीरता जैसे गुणों को प्रोत्साहित करता है.
शिक्षा और स्वास्थ्य में RSS का अहम भुनिका
पिछले 100 वर्षों में आरएसएस ने शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक कल्याण और आपदा राहत जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. आरएसएस के स्वयंसेवकों ने बाढ़, भूकंप और चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान राहत और पुनर्वास कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाई है. इसके सहयोगी संगठनों ने युवाओं महिलाओं और किसानों को सशक्त बनाने सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देने और स्थानीय समुदायों को मज़बूत बनाने में भी योगदान दिया है.
आरएसएस का उदय कैसे हुआ?
आरएसएस के उदय को सदियों के विदेशी शासन के विरुद्ध एक जन आंदोलन के रूप में देखा जाता है. संगठन का विकास भारत के सांस्कृतिक गौरव और धर्म से प्रेरित इसके दृष्टिकोण से प्रेरित है. जो लोगों पर गहरा भावनात्मक प्रभाव डालता है. यह शताब्दी समारोह न केवल आरएसएस की ऐतिहासिक उपलब्धियों का जश्न मनाता है. बल्कि भारत की सांस्कृतिक यात्रा और राष्ट्रीय एकता को मज़बूत करने में इसके योगदान को भी उजागर करता है. यह आयोजन पूरे देश में एकता और सेवा के संदेश को और मज़बूत करेगा.