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India News (इंडिया न्यूज),Census: देश में अगले साल से जनगणना शुरू हो जाएगी। पहले इसे 2021 में शुरू होना था, लेकिन कोविड के कारण टाल दिया गया। अब यह 2025 में शुरू होगी, जो 2026 तक पूरी हो जाएगी। जनगणना के दौरान धर्म और वर्ग से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं, लेकिन चर्चा है कि इस बार यह भी पूछा जा सकता है कि आप किस संप्रदाय को मानते हैं। ऐसे में सवाल यह है कि देश की जनसंख्या की गणना कैसे होगी, जनगणना की पूरी प्रक्रिया कैसे पूरी होगी और भारत में जनगणना कब शुरू हुई?
भारत में पहली जनगणना 1872 में तत्कालीन गवर्नर-जनरल लॉर्ड मेयो के शासन के दौरान हुई थी। देश की पहली पूर्ण जनगणना 1881 में तत्कालीन कमिश्नर डब्ल्यू.सी. प्लोडेन ने कराई थी। इसके बाद हर 10 साल में जनगणना होने लगी। आजादी से पहले 1881, 1891, 1901, 1911, 1921, 1931 और 1941 में जनगणना की गई थी। वहीं, आजादी के बाद पहली जनगणना 1951 में की गई थी। इसके बाद 1961, 1971, 1991, 2001 और 2011 में यह प्रक्रिया अपनाई गई।
जनगणना प्रक्रिया के लिए सरकारी कर्मचारियों को नियुक्त किया जाता है। जनगणना करने वाले कर्मचारी को प्रगणक कहा जाता है। वे घर-घर जाकर जरूरी जानकारी एकत्र करते हैं। उनके पास पहचान पत्र होता है, किसी भी तरह की शंका होने पर उनसे सरकारी पहचान पत्र दिखाने के लिए कहा जा सकता है।
भारत में जनगणना की आधिकारिक वेबसाइट पर बताया गया है कि जनगणना दो भागों में की जाती है। पहला आवास और दूसरा आवास जनगणना। आवास से जुड़े सवालों में घर के इस्तेमाल, पीने के पानी, शौचालय, बिजली, संपत्ति और संपत्ति पर कब्जे के बारे में सवाल पूछे जाते हैं।
दूसरा फॉर्म राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर से जुड़ा है। इसमें घर के लोगों के बारे में कई सवाल पूछे जाते हैं। जैसे नाम, लिंग, जन्मतिथि, वैवाहिक स्थिति, पिता का नाम, माता का नाम, जीवनसाथी का नाम, वर्तमान पता, अस्थायी पता, व्यवसाय और परिवार के मुखिया से क्या संबंध है। ऐसे करीब 29 सवाल पूछे जाते हैं।
2001 के मुकाबले 2011 में कई अतिरिक्त सवाल पूछे गए। जैसे किसी व्यक्ति का ऑफिस उसके घर से कितनी दूर है। यानी उसे नौकरी के लिए कार्यस्थल तक पहुंचने के लिए अपने घर से कितनी दूरी तय करनी पड़ती है। इसके अलावा 2001 में शरणार्थियों से उनका नाम, जिला, राज्य और देश पूछा जाता था, लेकिन 2011 की जनगणना में उनके गांव और नाम को भी शामिल किया गया।
इसके अलावा सवालों के कॉलम में दूसरों के नाम के नीचे लिंग के लिए अलग से कोड दिया गया है। इसके अलावा यह भी बताना जरूरी है कि घर में कंप्यूटर/लैपटॉप, इंटरनेट है या नहीं। घर में शौचालय है या नहीं, एनपीजी कनेक्शन है या नहीं, यह भी बताना जरूरी है।
जनगणना में सवालों पर गौर करें तो पाएंगे कि हर दशक में सवालों की संख्या बढ़ती रही है। आजादी के बाद पहली जनगणना में लोगों से सिर्फ 14 सवाल पूछे गए थे। इसके बाद सवालों की संख्या बढ़ती रही। 2001 में 23 सवाल पूछे गए और 2011 में यह संख्या बढ़कर 29 हो गई।
2001 के मुकाबले 2011 में कई अतिरिक्त सवाल पूछे गए। जैसे कि किसी व्यक्ति का ऑफिस उसके घर से कितनी दूर है। यानी जब वह काम पर जाता है तो उसे अपने घर से कितनी दूरी तय करनी पड़ती है। इसके अलावा 2001 में शरणार्थियों से उनका नाम, जिला, राज्य और देश पूछा जाता था, लेकिन 2011 की जनगणना में उनके गांव और नाम को भी शामिल किया गया।
वर्ष | जनगणना प्रश्नों की संख्या |
1951 | 14 |
1961 | 13 |
1971 | 17 |
1981 | 16 |
1991 | 21 |
2001 | 23 |
2011 | 29 |
चर्चा है कि इस बार जनगणना में लोगों से पूछा जा सकता है कि वे किस समुदाय को मानते हैं। अगर ऐसा होता है तो उम्मीद है कि प्रश्नों की संख्या और भी बढ़ सकती है। इसके अलावा कुछ नए प्रश्न भी शामिल किए जा सकते हैं। दावा किया जाता है कि जनगणना के दौरान एकत्र की गई जानकारी किसी निजी एजेंसी के साथ साझा नहीं की जाती है। कर्मचारियों द्वारा हर घर से डेटा एकत्र करने के बाद उसे फ़िल्टर किया जाता है और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को अंतिम रूप दिया जाता है। इस डेटाबेस का इस्तेमाल केवल सरकार ही कर सकती है।
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