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‘मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद…’, ऑनलाइन मनी गेम्स बैन पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया चौंकाने वाला सच?

Online Money Gaming Ban India: केंद्र सरकार ने ऑनलाइन मनी गेम्स को देश में पूरी तरह से बैन करने पर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है, जिसमें सरकार ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए है.

Written By: shristi S
Last Updated: 2025-11-26 17:16:25

Government Affidavit on Online Gaming: केंद्र सरकार (Central Government) ने ऑनलाइन मनी गेम्स (online Money Games) को देश में पूरी तरह से बैन कर दिया था, जिसके बाद से कई लोगों ने इस फैसले पर आपत्ति जताई थी और यह पूरा मामला मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंच गया जिसपर केंद्र सरकार ने इस फैसले की काफी चौंकाने वाली वजह बताई है. आइए विस्तार से जानें कि यह पूरी खबर क्या है और केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को इस बैन की क्या वजह बताई.

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने क्या कहा? (Central Government Affidavit)

जानकारी के मुताबिक, केंद्र सरकार (Central Government) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक हलफनामा दायर किया जिसमें उन्होंने बताया कि हमें कई ऐसे सबुत मिले है जो कि ऑनलाइन मनी गेम्स का सीधा तार मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) और आतंकवादी फंडिंग (Terror Funding) से होने का संकेत देते है, इससे नेशनल सिक्योरिटी, पब्लिक ऑर्डर और राज्य की एकता को खतरा है. इसलिए, ऑनलाइन गेमिंग को कंट्रोल करने के लिए सही कानून बनाने का खास अधिकार पार्लियामेंट के पास है.

इस एक्ट के तहत किया बैन

संदिग्ध ट्रांज़ैक्शन से पता चला है कि ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां कई छोटे देशों से काम करती हैं. भारत में रजिस्टर्ड अकाउंट नकली लोगों के नाम पर खोले जाते हैं, और पैसा गैर-कानूनी तरीके से देश से बाहर ट्रांसफर किया जाता है. सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग पर बैन लगाने के लिए प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ़ ऑनलाइन गेमिंग एक्ट पेश किया. इस कानून को राष्ट्रपति की मंज़ूरी मिल गई है, लेकिन अभी तक इसे नोटिफ़ाई नहीं किया गया है.

ऑनलाइन रियल-मनी गेमिंग एक खतरा- केंद्र सरकार

केंद्र सरकार (Central Government) ने आगे कहा कि ऑनलाइन रियल-मनी गेमिंग (online money gaming) खतरे से कम नहीं है, इससे टैक्स चोरी, म्यूल अकाउंट, क्रिप्टो फंड डायवर्जन और हवाला जैसे क्राइम बढ़ गए. ऑफशोर शेल कंपनियों के ज़रिए मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत भी पेश किए गए. STRs और क्रॉस-बॉर्डर वायर रिपोर्ट जैसी जांच के आधार पर, कई मंत्रालयों और एजेंसियों ने इन लिंक को कन्फर्म किया.

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