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India News (इंडिया न्यूज), Chandrayaan-3 Discovery: भारत का चंद्रयान-3 मिशन 2023 में चंद्रमा पर अपने सफल मिशन के समाप्त होने के बाद लगातार अभूतपूर्व खोजें कर रहा है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र से प्रज्ञान रोवर द्वारा भेजे गए डेटा से अब एक प्राचीन क्रेटर की खोज हुई है। प्रज्ञान रोवर ने अपने लैंडिंग स्थान के पास एक प्राचीन, 160 किलोमीटर चौड़े गड्ढे की खोज की है। इस खोज के बारे में अहमदाबाद के फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी के वैज्ञानिकों ने साइंस डायरेक्ट के नए अंक में एक रिपोर्ट छापी है।
यह नया गड्ढा चंद्रमा के सबसे पुराने और सबसे बड़े गड्ढे, ऐटकेन बेसिन से 350 किलोमीटर दूर मिला है। प्रज्ञान रोवर जब इस इलाके से गुजर रहा था, तब उसने यह नया गड्ढा देखा। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह नया गड्ढा ऐटकेन बेसिन से भी पुराना है, यानी यह चांद के सबसे पुराने ढांचों में से एक है। यह गड्ढा इतना पुराना है कि समय के साथ मलबे में दब गया और समय के साथ-साथ धीरे-धीरे खराब होता गया। प्रज्ञान रोवर ने अपनी कैमरों से इस गड्ढे की तस्वीरें ली हैं, जिससे वैज्ञानिकों को चांद के इतिहास के बारे में और अधिक जानने का मौका मिलेगा।
बता दें कि यह खोज इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे हमें चंद्रमा के शुरुआती दिनों के बारे में पता चलेगा। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इससे उन्हें चांद के निर्माण और उसके विकास के बारे में और भी जानकारी मिलेगी। यह खोज दिखाती है कि चंद्रयान-3 मिशन कितना कामयाब रहा है। इस मिशन से हमें चांद के बारे में बहुत कुछ नया जानने को मिला है।
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क्रेटर सहित प्रज्ञान रोवर के निष्कर्षों ने दुनिया भर के वैज्ञानिकों को उत्साहित किया है। इस प्राचीन और भारी गड्ढों वाले क्षेत्र से जो जानकारी एकत्रित होती है, वह चंद्रमा के प्रारंभिक इतिहास और इसके अनूठे इलाके के निर्माण के बारे में हमारी समझ को नया आकार दे सकती है। आपको बता दें कि प्रज्ञान रोवर चंद्रमा की सतह पर भ्रमण करने और आंकड़े एकत्र करने वाला एक रोवर है जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) चंद्रयान-3 मिशन के तहत चन्द्रमा पर उतारा है।
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