India News (इंडिया न्यूज़),Jaiprakash Ramaiah,Chandrayaan 3, बेंगलूरु: चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम को चांद की धरती पर उतारने के दौरान, आखिरी 15 मिनट का रोमांच किसी टी-20 क्रिकेट मैच के आखिरी ओवर के मुकाबले से कम नहीं होगा। लैंडर विक्रम लगभग 6048 किमी प्रति घंटे (1.68 किमी प्रति सकेंड) की रफ्तार से चांद पर उतरने के लिए अपनी यात्रा शुरु करेगा, और 15-16 मिनट में लगभग 800 किमी दूर जाकर लैंड करेगा। एक निश्चित समय और ऊंचाई पर उसकी गति शून्य तक लाई जाएगी। वहीं, लैंडिंग के समय उसकी अधिकतम गति 1 से 2 मीटर प्रति सेकेंड रह जाएगी।
इसरो अध्यक्ष एस. सोमनाथ के अनुसार, चंद्रयान-3 को पहले चांद की 100 किमी गुणा 30 किमी वाली कक्षा में लाया जाएगा। जब चांद की सतह से लैंडर की दूरी 30 किलोमीटर रह जाएगी तब वह लैंडिंग के लिए रवाना होगा। लैडिंग प्रक्रिया चार चरणों में पूरी की जाएगी। पहला चरण रफ ब्रेकिंग चरण होगा। यह लगभग 690 सेकेंड का होगा। इस चरण में लैंडर लगभग 1.68 किमी प्रति सेकेंड (लगभग 6048 किमी प्रति घंटे) की गति से यात्रा शुरू करेगा और उसे घटाकर 358 मीटर प्रति सेकेंड (लगभग 100 किमी प्रति घंटे) तक लाया जाएगा। लैंडर का वेग (क्षैतिज) कम करने के लिए 400 न्यूटन के 4 इंजन फायर किए जाएंगे। यान लगभग 690 सेकेंड में लगभग 745 किमी दूर पहुंचेगा जहां उसकी ऊंचाई चांद की सतह से केवल 7.4 किमी रह जाएगी।
दूसरा चरण एल्टीट्यूड होल्डिंग चरण होगा। इसकी शुरुआत चांद की सतह से 7.4 किमी की ऊंचाई पर होगी। इस चरण में लगभग 10 सेकेंड में लैंडर की चांद की सतह से ऊंचाई घटकर 6.8 किमी की जाएगी। इस दौरान गति 336 मीटर प्रति सेकेंड हो जाएगी। इस चरण में 740 न्यूटन के बराबर 4 इंजन फायर जाएंगे।
तीसरा चरण फाइन ब्रेकिंग चरण होगा। इस चरण में लैंडर 6.8 किमी की ऊंचाई से अपनी यात्रा शुरु करेगा और चांद की सतह से लगभग 800 मीटर की ऊंचाई तक पहुंचेगा। इसमें लगभग 175 सेकेंड का वक्त लगेगा। इस ऊंचाई पर लैंडर का वेग शून्य हो जाएगा और वह कुछ देर तक मंडराएगा। यह बहुत ही महत्वपूर्ण चरण होगा क्योंकि, यहां से लैंडर के सेंसर चांद की सतह पर लेजर किरणें भेजकर लैंडिंग स्थल का मुआयना करेंगे कि, यह स्थल लैंडिंग के अनुकूल है या नहीं। इसके बाद वह चांद की सतह से लगभग 150 मीटर की ऊंचाई पर पहुंचेगा।
चांद की सतह से लगभग 150 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर फैसला करेगा कि, उसे इस स्थल पर लैंड करना है या नहीं। अगर कोई चट्टान है या स्थल लैडिंग के अनुकूल नहीं है तो वह, वहां से 150 मीटर दूर आगे निकल जाएगा और वहां लैंड करेगा। यह आखिरी चरण टर्मिनल डिसेंट चरण होगा। विक्रम 150 मीटर की ऊंचाई से पहले 60 मीटर की ऊंचाई तक आएगा फिर वहां से 10 मीटर की ऊंचाई तक पहुंचेगा। जब चांद की सतह से ऊंचाई सिर्फ 10 मीटर रह जाएगी तब वह आहिस्ते से लैंडिंग के लिए आगे बढ़ेगा और उस समय उसकी गति केवल 1 या 2 मीटर प्रति सेकेंड रह जाएगी। जब लैंडर चांद की धरती पर उतरेगा तो उसका कुल वजन 800 किलोग्राम रहेगा।
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