India News (इंडिया न्यूज़), Chandrayaan-3, नई दिल्ली: चंद्रयान-3 मिशन की लैंडिंग में अब बहुत ही कम वक्त बचा है। इंडियन स्पेस रिसर्च स्पेस ओर्गानाइजेशन यानी कि ISRO इसके लिए पूरी तरह से तैयार है। स्पेसक्राफ्ट को लैंड करवाना बेहद ही नाजुक और सबसे मुश्किल प्रक्रिया है। आखिर के 15 मिनट इसमें बेहद ही अहम होते हैं।

जानकारी दे दें कि 4 साल पहले चंद्रयान-2 लैंडिंग के आखिरी 15 मिनट पर क्रैश हो गया था। जिसके चलते इस बार भी आखिरी के 15 मिनट को बेहद ही माना जा रहा है। आखिरी के 15 मिनट में चंद्रयान-3 काफी चरणों से होकर गुजरेगा। चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग के पहले चरण में चंद्रयान-3 की रफ ब्रेकिंग की जाएगी। चंद्रयान की स्पीड इस दौरान बेहद कम हो जाएगी। चंद्रयान की स्पीड यहां पर सिर्फ 358 मीटर प्रति सेकेंड ही रह जाएगी।

स्पीड कम करना होगी सबसे बड़ी चुनौती

वहीं स्पेसक्राफ्ट का एल्टीट्यूट दूसरे चरण में होल्ड फेज पर होगा। चंद्रयान-3 इस दौरान चांद की सतह से सिर्फ 7.4 किलोमीटर की ऊंचाई पर होगा। इसके अलावा चंद्रयान अपने फाइन ब्रेकिंग फेज में चंद्रमा की सतह से करीब 800 मीटर की ऊंचाई पर पहुंच जाएगा। चंद्रयान की स्पीड इस दौरान 0 हो जाएगी। जो कि चंद्रयान 3 के लैंडिंग का तीसरा फेज होगा। जबकि अपने चौथे फेज में चंद्रयान चंद्रमा पर समतल जमीन ढूंढकर सॉफ्ट लैंडिंग करने की कोशिश करेगा।

थ्रस्टर करेंगे गति कम करने का काम

Chandrayaan-3 के लिए आखिरी के 15 मिनट की प्रक्रिया बेहद ही चुनौतीपूर्ण है। जो कि चंद्रयान-3 की स्पीड शून्य करना, विक्रम लैंडर को गति देने वाले थ्रस्टर… जिसमें लैंडर में चार थ्रस्टर लगे हैं। जो कि उल्टी दिशा में चलेंगे। इन्हीं से चंद्रयान-3 की स्पीड कम होगी।

इस बार चंद्रयान को मिलेगी सफलता

ISRO के पूर्व प्रमुख के सिवन ने चंद्रयान-3 की लैंडिंग को लेकर कहा कि आखिरी के 15 मिनट के टेरर से निपटने के लिए इस बार खास और मुकम्मल इंतजाम किए गए हैं। चंद्रयान का पूरा सिस्टम बिल्कुल दुरुस्त है। जिसकी गवाह है ISRO द्वारा जो नई फोटो जारी की गई है। ISRO पूर्व प्रमुख ने कहा, “इस बार यह शानदार सफलता होगी। चंद्रयान-2 से हमने जो सबक सीखा है। उसके आधार पर सिस्टम ज्यादा मजबूती के साथ आगे बढ़ रहा है।”

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