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China Jilin Baby Loan: घटती जनसंख्या को लेकर चीन चिंतित, बच्चा पैदा करने के लिए कपल्स को मिलेगा बेबी लोन

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली।
China Jilin Baby Loan:
चीन के जिलिन प्रांत में तेजी से आबादी सिकुड़ती जा रही है। इसी बात से चिंतित जिलिन प्रांत ने लोगों को शादी करने और बच्चा पैदा करने को लेकर प्रोत्साहित करने के लिए लोन दे रहा है। इसके पीछे का इरादा जनसंख्या में वृद्धि करना है। चीन में बेबी लोन देने का फैसला दुनिया भर में चर्चा का विषय बना है। क्योंकि ये वही देश है जिसने कभी एक बच्चे पैदा करने की नीति लागू की थी।

हालांकि, इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी कि सरकार कैसे मदद करेगी, लेकिन प्रस्ताव में लोन के लिए रियायती ब्याज दरें शामिल हैं, जो एक जोड़े के बच्चों की संख्या के अनुसार अलग-अलग हैं। वहीं भारत में भी जनसंख्या वृद्धि दर स्थिर से भी नीचे पहुंच गई है, जिससे अपने यहां भी ये चर्चा शुरू हो गई है कि क्या भारत को भी अब जनसंख्या नियंत्रण की जरूरत नहीं है।

चीन के उत्तरपूर्वी प्रांत जिलिन ने लोगों को शादी करने और बच्चा पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से बैंको को ‘शादीशुदा जोड़ों के लिए मैरिज एंड बर्थ कंज्यूमर लोन’ देने को कहा है। इस बेबी लोन के तहत बच्चा पैदा करने के लिए कपल्स को बैंक से 2 लाख युआन (करीब 23 लाख रुपये) तक का लोन मिलेगा।

चीन ने ये योजना जिलिन प्रांत की गिरती जनसंख्या को देखते बनाई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक बताया जाता है कि वैसे तो पूरा चीन गिरती जन्मदर की समस्या से जूझ रहा है, लेकिन चीन के तीन उत्तरपूर्वी प्रांत-जिलिन, लिआओनिंग और हेलिलॉन्गजियांग इस समस्या से सर्वाधिक प्रभावित हैं। 2010 की तुलना में 2020 में इस क्षेत्र की आबादी 10.3 फीसदी कम हो गई है। इस दौरान जिलिन की आबादी में तो 12.7 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।

आखिर चीन क्यों दे रहा जनसंख्या बढ़ाने पर जोर?

आपको बता दें कि कभी बढ़ती हुई जनसंख्या से निपटने के लिए वन चाइल्ड पॉलिसी लाने वाला चीन अब जनसंख्या बढ़ाने पर जोर दे रहा है और इसके लिए इसी साल अगस्त में उसने थ्री चाइल्ड पॉलिसी लागू की थी। चीन ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए 1980 में वन चाइल्ड पॉलिसी लागू की थी, जो 2016 तक लागू रही।

फिर तेजी से बूढ़ी होती आबादी से अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर के डर से कम्युनिस्ट सरकार ने दो बच्चे पैदा करने की अनुमति दे दी, लेकिन जब इस पॉलिसी से भी युवाओं की जनसंख्या का अनुपात बेहतर नहीं हुआ तो चीन ने 2021 में तीन बच्चे पैदा करने की इजाजत दे दी। हालांकि कई विशेषज्ञों का मानना है कि टू चाइल्ड पॉलिसी की तरह ही थ्री चाइल्ड पॉलिसी से भी बड़ा बदलाव होने की उम्मीद कम है।

क्यों चीन की आबादी घट रही और बूढ़ी हो रही (China Jilin Baby Loan )

  • 2021 में चीन की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, चीन की जन्म दर में लगातार चौथे साल गिरावट दर्ज की गई। 2010 से 2020 के दौरान चीन की जनसंख्या वृद्धि दर 5.34 फीसदी रही और 2010 के 134 करोड़ से बढ़कर 2020 में आबादी 141.2 करोड़ रुपये हो गई।
  • चीन की जनसंख्या 2010 से 2020 के दौरान सालाना 0.53 फीसदी की दर से बढ़ी जो 1950 के दशक के बाद से किसी भी दशक की सबसे कम वृद्धि दर है। 2000 से 2010 के दौरान चीन की सालाना जनसंख्या वृद्धि दर 0.57 फीसदी थी। 2020 में चीन में 1.2 करोड़ बच्चे पैदा हुए, जो 2019 के 1.4 करोड़ बच्चों से 18 फीसदी कम है।
  • चीन का टोटल फर्टिलिटी रेट (टीएफआर)1.3 हो गया है, जो स्थिर जनसंख्या के लिए मानक टीएफआर 2.1 से भी नीचे चला गया है। यानी, अब चीन की जनसंख्या घटने की ओर अग्रसर है। चीन की वर्किंग जनसंख्या (15 से 59 साल के बीच) अब कुल जनसंख्या का 63.35 फीसदी या 89.43 करोड़ है। ये संख्या 2010 की तुलना में 6.79 फीसदी कम है।
  • 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों की संख्या कुल आबादी का 18.7फीसदी या 26.4 करोड़ हो गई है, जोकि पिछली जनगणना के मुकाबले 5.44फीसदी अधिक है। अगले 10 साल में चीन की करीब एक चौथाई आबादी 65 साल से ज्यादा उम्र की होगी।
  • यूएन के मुताबिक, 2030 से चीन की जनसंख्या घटने लगेगी, हालांकि कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा अगले एक-दो साल में ही होने लगेगा। 2025 तक चीन दुनिया की सर्वाधिक आबादी वाले देश का तमगा भारत के हाथों गंवा देगा। 2020 में भारत की अनुमानित जनसंख्या 138 करोड़ थी, जो चीन से महज 1.5फीसदी कम है।
  • वर्ल्ड बैंक के अनुसार, 2030-40 तक चीन की जनसंख्या पीक पर होगी, लेकिन उसके बाद इसमें गिरावट आनी शुरू होगी और 2100 तक चीन की आबादी 100 करोड़ रह जाएगी, जो अभी 144 करोड़ है।

क्या भारत को जनसंख्या नियंत्रण की जरूरत है?

  • राष्ट्रीय परिवार और स्वास्थ्य सर्वेक्षण में जो सबसे अहम बात निकलकर सामने आई है वो ये कि पहली बार देश में फर्टिलिटी रेट यानी प्रजनन दर 2 पर आ गई है। 2015-16 में यह 2.2 थी। मतलब पहले एक मां औसतन 2.2 बच्चे पैदा करती थी। अब वो औसतन 2 बच्चे पैदा कर रही है। इस गिरावट का सीधा मतलब ये है कि कम बच्चे पैदा हो रहे हैं।
  • लिहाजा बिना जनसंख्या नियंत्रण कानून के ही देश जनसंख्या कम होने की दिशा में बढ़ रहा है। सर्वे के ताजा आंकड़ों में ये भी कहा गया है कि भारत में अब 1000 पुरुषों पर 1020 महिलाएं हैं। 1990 के दौर को याद करें तो हर 1000 पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या सिर्फ 927 थी। साल 2005-06 में हुए तीसरे एनएफएचएस सर्वे में ये 1000-1000 के साथ बराबर हो गया।
  • इसके बाद 2015-16 में चौथे सर्वे के आंकड़ों को देखें तो इसमें फिर से गिरावट आ गई। तब 1000 पुरुषों के मुकाबले 991 महिलाएं थीं। इसका मतलब है कि अगर लंबे समय तक भारत का टीएफआर इतना ही बना रहा या इससे भी कम हुआ तो जनसंख्या तेजी से घटना शुरू हो जाएगी।

2021 में भारत का टीएफआर 2.0

  • 2025 तक भारत के चीन को पीछे छोड़कर सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन जाने का अनुमान है। 2020 में भारत की आबादी (138 करोड़) चीन से महज 3 करोड़ कम थी। जुलाई 2020 में आई लेंसेट की एक स्टडी के मुताबिक, 2048 में भारत की आबादी 160 करोड़ हो जाएगी जो कि पीक होगा।
  • इसके बाद जनसंख्या घट सकती है और साल 2100 तक भारत की आबादी घटकर 109 करोड़ रह जाएगी, जो 2048 की तुलना में 32फीसदी कम होगी। लेंसेट की स्टडी के मुताबिक, 2040 तक भारत का टीएफआर 1.2 तक पहुंच जाएगा। यानी, इस दौरान देश की जनसंख्या में तेजी से कमी आएगी। 2021 में भारत का टीएफआर 2.0 हो गया।

 

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Suman Tiwari

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