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India News(इंडिया न्यूज), Cloudbursts in Mountains: देशभर में मानसून ने तबाही मचा रखी है। कई जगहों पर जल भराव, तो कहीं बादल फटने (Cloudbursts) से मौत का सैलाब आ गया है। मानसून ने देश के कोने – कोने को छू रखा है। इस बारिश ने राष्ट्रीय राजधानी में भी उत्पात मचा रखा है। हालत ही खराब कर दिया। दिल्ली में बुधवार की शाम को भारी बारिश ने अफरा तफरी का माहौल बना रखा है। कई शहर में सड़कें पानी में जलमग्न दिखे। इतना ही नहीं शहर में जाम ने भी हद कर दी। राजस्थान के जयपुर में भारी बारिश हुई। वहीं उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश में बादल फटने की वजह से कई लोगों की मौत हो गई।
मौसम विभाग की मानें तो, अगर किसी भी जगह पर 1 घंटे में 100 मिमी. से ज्यादा बारिश होती है तो उसे बादल फटने की घटना या क्लाउडबर्स्ट या फ्लैश फ्लड कहा जाता है। अगर आप आसान भाषा में समझें तो बादल फटना एक ऐसी प्रक्रिया है जब बहुत कम समय में या अचानक भारी मात्री में बारिश हो जाए। जब बादल फटना है तो इसे बारिश का चरम रूप माना जाता है। असल में बदल फटना को एक मुहावरे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है ।
विज्ञान की मानें तो जब बहुत ज्यादा नमी वाले बादल एक जगह पर इकट्ठा होते है। फिर वहां मौजूद पानी की बूंदें आपस में मिल जाती है। इससे वजन हो जाते है। वजन बादलों के का घनत्व (Density) में इजाफा करता है। इसकी वजह से बहुत तेज बारिश होती है। लेकिन आपको यह भी जानना चाहिए कि आखिर क्यों बादल फटने की घटनाएं ज्यादातर पहाड़ी राज्यों में ही क्यों होती है।
बादल जब पानी से पूरी तरह से भरे होते हैं तो हवा के साथ उड़ रहे होते हैं। उस समय वो पहाड़ी क्षेत्रों में पहाड़ों के बीच बादल फंस जाते हैं। चुकी पहाड़ों की ऊंचाई ज्यादा होती है। जिसकी वजह से बादल उनके बीच फंस जाते हैं और आगे नहीं बढ़ पाते। उस वक्त पहाड़ों के बीच फंसे हुए बरसने लगते हैं। बादलों में पानी का घनत्व ज्यादा होने की वजह से हो बारिश की रफ्तार बढ़ जाती है। बादल फटने की जो घटना होती है उसे आप सामान्यतः धरती से करीब 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर देख सकते हैं।
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