मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे एवं ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे भूमि घोटाले में दो तत्कालीन डीएम के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए केंद्र में तैनात महिला आईएएस निधि केसरवानी को निलंबित कर दिया। वहीं सेवानिवृत्त हो चुके गाजियाबाद के पूर्व डीएम विमल कुमार शर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का निर्देश दिया
इंडिया न्यूज, उत्तर प्रदेश। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक और बड़ी कार्रवाई की है। उन्होंने दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे एवं ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे भूमि घोटाले में दो तत्कालीन डीएम के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए केंद्र में तैनात महिला आईएएस निधि केसरवानी को निलंबित कर दिया।
उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू करने के लिए केंद्र सरकार को प्रकरण भेजने का निर्देश दिया गया है। इसी के साथ सेवानिवृत्त हो चुके गाजियाबाद के पूर्व डीएम विमल कुमार शर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का निर्देश दिया है।
बता दें कि मुख्यमंत्री ने इसके साथ ही जांच आख्या उपलब्ध होने के बाद भी पत्रावली लटकाने के लिए जिम्मेदार नियुक्ति विभाग के अनुभाग अधिकारी व समीक्षा अधिकारी को निलंबित करने और अनुसचिव के खिलाफ विभागीय कर्रवाई के निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री के अधिकृत ट्वीटर हैंडल पर ट्वीट कर इसकी जानकारी दी गई। मुख्यमंत्री ने दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे एवं ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे भूमि अधिग्रहण में धांधली और तय दर से अधिक मुआवजा देने के मामले में यह कार्रवाई की है।
मेरठ के तत्कालीन मंडलायुक्त डा. प्रभात कुमार ने 29 सितंबर 2017 को इस मामले की पूरी रिपोर्ट शासन को सौंपी थी। इसमें तत्कालीन डीएम विमल कुमार शर्मा और निधि केसरवानी पर कार्रवाई की संस्तुति करते हुए इस मामले की सीबीआई या किसी अन्य एजेंसी से उच्चस्तरीय जांच कराने की सिफारिश की थी।
मुख्यमंत्री को इस संबंध में हाल में कार्रवाई के संबंध में अनुमति मांगी गई थी। मुख्यमंत्री ने मामला सालों तक लटका रहने के लिए नियुक्ति विभाग के अधिकारियों को सीधे तौर पर जिम्मेदार माना है। इस मामले में नियुक्ति विभाग के कुछ अन्य अधिकारियों पर भी आगे चलकर कार्रवाई हो सकती है।
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे एवं ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे के लिए गाजियाबाद के चार गांवों कुशलिया, नाहल, डासना और रसूलपुर सिकरोड़ की जमीनें ली गई थी। अवार्ड के खिलाफ इन गांवों के किसानों ने आर्बिट्रेशन वाद दाखिल किए। वर्ष 2016 और 2017 में तत्कालीन डीएम (आर्बिट्रेटर) ने नए भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत जमीन के डीएम सर्किल रेट के चार गुने की दर से मुआवजा देने का फैसला किया।
चारों गांवों की अर्जित भूमि (क्षेत्रफल 71.1495 हेक्टेयर) का शुरू में जब अवार्ड घोषित होने के समय मुआवजे की रकम 111 करोड़ रुपये आंकी गई। आर्बिट्रेशन के बाद प्रतिकर की दरें बढ़कर 486 करोड़ रुपये हो गईं।
मामले की शिकायत के बाद तत्कालीन मंडलायुक्त डा. प्रभात कुमार ने जांच कराई। जांच में धारा-3डी की अधिसूचना के बाद जमीन खरीदने, आर्बिट्रेटर द्वारा प्रतिकर की दर बढ़ाने और बढ़ी दर से मुआवजा दिए जाने को गलत ठहराया।
हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे !
यह भी पढ़ें : विदेशी निवेश में देश के पांच अव्वल राज्यों में होगा यूपी, योगी सरकार ने बनाया रोडमैप, जानें अब कौन से स्थान पर है?
Get Current Updates on News India, India News, News India sports, News India Health along with News India Entertainment, India Lok Sabha Election and Headlines from India and around the world.