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Chardham Yatra 2024: चारधाम यात्रा में सबसे पहले कौन से धाम जाना होगा फलदायक, यहां जानिए सही क्रम और पौराणिक मान्यता

Rajesh kumar • LAST UPDATED : May 1, 2024, 4:42 pm IST

India News (इंडिया न्यूज), Chardham Yatra 2024: भारत के पहाड़ी राज्यों में से एक उत्तराखंड देवताओं की भूमि है। दरअसल, यहां कई देव मंदिर हैं, जिस वजह से इसे देवभूमि भी कहा जाता है। घूमने-फिरने के साथ-साथ लोग यहां के मंदिरों में भी खूब जाते हैं। उत्तराखंड की चारधाम यात्रा (Uttarakhand Chardham Yatra 2024) सबसे प्रसिद्ध है। चारधाम का मतलब है चार धाम यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ ये चार धाम हैं। देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी श्रद्धालु/पर्यटक इस यात्रा के जरिए चारधाम करते हैं। चारधाम यात्रा सिर्फ छह महीने तक चलती है।

बता दें कि कई लोग चारों धामों के दर्शन करते हैं, वहीं कई लोग एक धाम, या फिर दो धामों के दर्शन करते हैं। अगर आप इसी महीने से शुरू होने जा रही उत्तराखंड की चारधाम यात्रा करना चाहते हैं और आप चाहते हैं कि आप चारों धामों के दर्शन करें तो आज हम आपको इसका सही क्रम बताएंगे। हम आपको बताएंगे कि सबसे पहले किस धाम के दर्शन करें और फिर उसके बाद किन धामों के दर्शन करें और आखिर में किस धाम के दर्शन करके अपनी चारधाम यात्रा पूरी करें।

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यमुनोत्री

उत्तराखंड की चारधाम यात्रा यमुनोत्री से शुरू होती है। यमुनोत्री यमुना नदी का उद्गम स्थल है। यमुनोत्री में देवी यमुना को समर्पित मंदिर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि यमुना नदी के जल में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं। हरिद्वार से यमुनोत्री की दूरी लगभग 250 किमी है और यहां पहुंचने में लगभग 5-6 घंटे लगते हैं। हनुमान चट्टी से 6 किमी का पैदल रास्ता यमुनोत्री जाता है, जहां से पवित्र यमुना नदी निकलती है। यमुनोत्री पहुंचने के लिए आपको बस 6 किमी पैदल चलना होगा। इस बार यमुनोत्री धाम के कपाट 10 मई को खुलेंगे।

गंगोत्री

उत्तराखंड की चारधाम यात्रा का दूसरा पड़ाव गंगोत्री है, जो गंगा नदी का उद्गम स्थल है। देवी गंगा को समर्पित मंदिर गंगोत्री में ही स्थित है। गंगोत्री उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है। यमुनोत्री से गंगोत्री की दूरी लगभग 220 किमी है और यहां पहुंचने में लगभग 6-7 घंटे लगते हैं। यहां आपको पैदल नहीं चलना पड़ेगा, आप सड़क मार्ग से आसानी से यहां पहुंच सकेंगे। इस बार गंगोत्री धाम के कपाट 10 मई को खुलेंगे।

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केदारनाथ

उत्तराखंड की चार धाम यात्रा का तीसरा पड़ाव केदारनाथ है, जो भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। केदारनाथ मंदिर हिमालय में स्थित है। यहां की यात्रा सबसे कठिन है। महाभारत के अनुसार पांडवों ने प्रारंभिक केदारनाथ मंदिर का निर्माण किया था। गंगोत्री से केदारनाथ की दूरी करीब 220 किलोमीटर है और यहां पहुंचने में करीब 7-8 घंटे लगते हैं। यहां पहुंचने के लिए आपको 18 किलोमीटर पैदल चलना होगा। अगर आप पैदल नहीं चलना चाहते हैं तो हेलीकॉप्टर की मदद से भी केदारनाथ पहुंच सकते हैं। इस बार केदारनाथ धाम के कपाट 10 मई को खुलेंगे।

बद्रीनाथ

उत्तराखंड की चार धाम यात्रा का चौथा और आखिरी पड़ाव बद्रीनाथ है, जो भगवान विष्णु के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक है। बद्रीनाथ मंदिर अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है। बद्रीनाथ उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। बद्रीनाथ मंदिर समुद्र तल से 3,843 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। केदारनाथ से बद्रीनाथ की दूरी करीब 250 किलोमीटर है और यहां पहुंचने में करीब 8-9 घंटे लगते हैं। यहां आप सीधे सड़क मार्ग से आसानी से पहुंच जाएंगे और आपको पैदल बिल्कुल भी नहीं चलना पड़ेगा। इस बार बद्रीनाथ धाम के कपाट 12 मई को खुलेंगे।

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यमुनोत्री से क्यों शुरू होती है चार धाम यात्रा?

चार धाम की यात्रा को बहुत पुण्य माना जाता है। किंवदंतियों के अनुसार उत्तराखंड की चार धाम यात्रा को बिना किसी बाधा के पूरा करने और यमत्रास से मुक्ति पाने के लिए हर साल यमुनोत्री से चार धाम यात्रा शुरू की जाती है। इसके बाद गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा की जाती है।

हम चारधाम यात्रा क्यों करते हैं और इसकी क्या मान्यता है?

हिंदू धर्म के लोगों के लिए चारधाम यात्रा बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि हर हिंदू को अपने जीवन में कम से कम एक बार चारधाम यात्रा जरूर करनी चाहिए। यह भी माना जाता है कि चारधाम यात्रा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा चारों धामों के दर्शन करने वाले लोगों के पापों का नाश होने के साथ ही वे जीवन-मरण के चक्र से भी मुक्त हो जाते हैं। वहीं शिव पुराण में कहा गया है कि जो भी व्यक्ति केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन और पूजा करने के बाद जल ग्रहण करता है, उसका दोबारा धरती पर जन्म नहीं होता। इसके अलावा यह भी माना जाता है कि स्वर्ग का रास्ता भी यहीं से जाता है। चारधाम यात्रा करने से मानसिक शांति भी मिलती है। चारधाम यात्रा करने वाले लोग कई तरह की शारीरिक समस्याओं से भी दूर रहते हैं। पिछले साल कितने लोगों ने चारधाम यात्रा की? पिछले साल 2023 में 50 लाख से ज्यादा लोगों ने चारधाम यात्रा की थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 2022 में यह आंकड़ा 46 लाख 27 हजार के पार था। वहीं 2021 में करीब 5 लाख 18 हजार श्रद्धालु चार धाम यात्रा पर पहुंचे थे। केदारनाथ आपदा के बाद चार धाम यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कई बार केदारनाथ मंदिर के दर्शन कर चुके हैं।

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पिछले साल कितने लोगों ने चारधाम यात्रा की थी?

पिछले साल 2023 में 50 लाख से ज़्यादा लोगों ने चारधाम यात्रा की थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 2022 में ये आंकड़ा 46 लाख 27 हज़ार के पार था। वहीं 2021 में करीब 5 लाख 18 हज़ार श्रद्धालु चारधाम यात्रा पर पहुंचे थे। केदारनाथ आपदा के बाद चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या में काफ़ी तेज़ी से इज़ाफ़ा हुआ है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कई बार केदारनाथ मंदिर के दर्शन कर चुके हैं।

चारधाम यात्रा की अहम बातें और चुनौतियाँ

बरसात के मौसम में सड़क की हालत ख़राब हो जाती है और इस दौरान सबसे ज़्यादा लैंड स्लाइड होती है। कई बार बारिश के मौसम में यात्रा स्थगित करनी पड़ती है। आने से पहले मौसम और चारधाम यात्रा के रूट की स्थिति की जाँच करें और उसी के हिसाब से अपनी यात्रा की योजना बनाएँ। आप खुद कार चलाकर भी चारधाम यात्रा कर सकते हैं, लेकिन पहाड़ी इलाका होने की वजह से खुद गाड़ी चलाना जोखिम भरा हो सकता है। अगर आपने पहाड़ी रास्तों पर गाड़ी नहीं चलाई है, या गाड़ी चलाने से डरते हैं, तो कृपया जोखिम न लें।

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