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कांग्रेस के नव संकल्प शिविर में निकले कई निष्कर्ष, गांधी परिवार को कोई चुनौती नहीं

India News Desk • LAST UPDATED : May 15, 2022, 9:57 pm IST

अजीत मैंदोला, उदयपुर:
झीलों की नगरी में तीन दिन चले कांग्रेस के नव संकल्प शिविर (Congress Nav Sankalp Shivir) से दो बातें साफ हो गई। पहली कांग्रेस की कमान गांधी परिवार (Gandhi family) के हाथ में ही रहेगी। परिवार को कोई चुनोती नहीं है। अगस्त में होने वाले संगठन चुनाव के समय राहुल गांधी (Rahul Gandhi) कमान संभाल लेंगे। फिर पार्टी अपने फैसलों और रोड मैप को अमल मे लाएगी। इसके साथ ही अंसन्तुष्ट गुट जैसी अब कोई बात नहीं होगी। दूसरा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) ही राजस्थान के सर्वमान्य नेता हैं। राजस्थान का अगला चुनाव गहलोत की ही अगुवाई में लड़ा जायेगा।

शिविर में गहलोत की सक्रियता और शानदार आयोजन से विरोधियों को भी कड़ा संदेश चला गया है कि सरकार को अस्थिर करने के बजाये एक जुटता दिखाओ। हालांकि शिविर के अंतिम दिन पार्टी की सर्वोच्च कार्यसमिति ने तीन दिन के मंथन के बाद 6 संकल्पों को पारित कर कई बड़ी बड़ी बातें की हैं, अब यही देखना होगा कि पार्टी उनको कब तक पूरी तरह अमल में लाती है।

केंद्र सरकार की साम्प्रदायिक नीतियों का विरोध करें

कांग्रेस की अंतरिम अध्य्क्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) और पूर्व अध्य्क्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने शिविर की समाप्ति पर सम्मेलन में आये नेताओं को यही सन्देश दिया कि सब एक जुट हो कर पार्टी को मजबूती से खड़ा करने के लिये सक्रिय हो जाएं। साथ ही केंद्र सरकार और बीजेपी की साम्प्रदायिक नीतियों का पुरजोर विरोध करें।

बीजेपी की राह पर निकली कांग्रेस

शिविर में पार्टी नेताओं को सख्त हिदायत थी कि वह अपनी तरफ से कुछ नही बोलेंगे। उसकी नेताओ ने पूरी पालना की। प्रेस कॉन्फ्रेंस में उतना ही बोला गया जितना निर्देश होता। दिग्ग्विजय सिंह (Digvijay Singh) जैसे नेता भी मीडिया से बोलने से बचे। आयोजक के मुखिया होने के नाते मुख्यमंत्री गहलोत ने मीडिया से लेकर सम्मेलन में आये नेताओं से सीधा संवाद रख पूरा ध्यान रखा। मीडिया से चर्चा में बीजेपी (BJP) की साम्प्रदायिक नीतियों की आलोचना की। एक तरह से कांग्रेस ने इस बार कुछ कुछ बीजेपी की तरह ही अपने कार्यक्रम को आयोजित किया।

गांधी परिवार ने की हर नेता से मिलने की कोशिश

मीडिया को जितना बताना था उतना ही बताया गया। पहले की तरह नेताओं ने आ कर खबरे लीक नहीं की। बैठक के अंदर का माहौल भी इस बार बदला हुआ था। सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी की भी यही कोशिश रही कि वह हर नेता से मिले। इसलिये सोनिया गांधी भी पहली बार हर बैठक में शामिल हुई। राहुल भी चर्चा करते दिखे। सबसे ज्यादा प्रियंका गांधी ने प्रभावित किया। महिला नेत्री तो प्रियंका के साथ फोटो शूट करवा खुश थी। प्रियंका ने हर नेता से चर्चा करने की कोशिश की। गांधी परिवार ने माहौल को खुशनुमा बना कर रखा। नेता भी खुश थे।

शिविर में छत्तीसगढ़ मॉडल बना चर्चा का विषय

मुख्यमंत्री गहलोत की सोनिया गांधी के साथ भोजन के समय के फोटो ने खुशी के माहौल को साबित भी किया। सोनिया ने हर एक के मेज में पहुंच बातचीत की। गहलोत के बाद छतीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी सुर्खियों में थे। वे भी नेताओं से खूब मिल जुल कर चर्चा करते दिखे। छत्तीसगढ़ मॉडल की शिविर में खूब चर्चा रही। शिविर में राजस्थान सरकार और छत्तीसगढ़ सरकार के आमजन के लिये फैसलों को आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया।

पेंशन योजना, स्वास्थ्य योजना, किसानों और बेरोजगारों के लिये उठाये कदम प्रस्ताव में शामिल किये गए। इस शिविर के बाद कांग्रेस आने वाले दिनों में संगठन को लेकर कुछ अहम फेसले ले सकती। आगामी राज्यों के चुनाव के लिये सामूहिक नीति बनाई जा सकती है।

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