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Gujarat Congress: गुजरात में हुई हार की वजह नहीं जानेगी कांग्रेस, इन राज्यों के लिए बनाई कमेटी

Sailesh Chandra • LAST UPDATED : June 21, 2024, 3:08 pm IST

India News (इंडिया न्यूज), अजीत मेंदोला, नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में लगातार दूसरी हार के बाद कांग्रेस ने हार के कारणों का पता लगाने के लिए इस बार केवल 8 राज्यों के लिए अलग अलग कमेटियां बनाई हैं। लेकिन इसमें सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि गुजरात,राजस्थान,हरियाणा, बंगाल और उत्तर पूर्वी राज्यों राज्यों के लिए कोई जांच कमेटी नहीं बनाई गई है। उत्तर प्रदेश ,बिहार,झारखंड के परिणामों को कांग्रेस ने संतोष जनक मान कोई कमेटी नहीं बनाई। पहली बार कांग्रेस एक कमेटी बनाने के बजाए अलग अलग कमेटियां बनाई है। इससे पूर्व अमूमन एक कमेटी बनती थी।

उठने लगे हैं पार्टी के भीतर सवाल

2014 लोकसभा चुनाव में हुई करारी हार के बाद एके एंटनी की अध्यक्षता में कमेटी बनी थी। उसके बाद कोई कमेटी नहीं बनाई गई। लेकिन इस बार हिंदी और दक्षिण के राज्यों के चुनाव परिणाम निराशाजनक रहने के चलते पार्टी के भीतर सवाल उठने लगे थे। इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने उड़ीसा, तेलंगाना, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश में हुई हार के कारणों का पता लगाने की जिम्मेदारी अलग अलग राज्यों के नेताओं को दी है।

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इन राज्यों में कांग्रेस लगातार तीसरी बार नहीं जीत पाई एक भी सीट

दिल्ली, उत्तराखंड और हिमाचल में एक भी सीट नहीं जीतने की वजह पी एल पूनिया और रजनी पाटिल लगाएंगे। इन तीनों राज्यों में कांग्रेस लगातार तीसरी बार एक भी सीट नहीं जीत पाई। जबकि दिल्ली में इस बार आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन किया हुआ था। इसी तरह मध्य प्रदेश में एक भी सीट न जीतने का पता प्रथ्वीराज चव्हाण, सप्तगिरी उलाका और जिग्नेश मेवानी लगाएंगे। छत्तीसगढ़ की वीरप्पा मोइली और हरीश चौधरी, कर्नाटक की मधुसूदन मिस्त्री, गौरव गोगई और हिबी ईडन तथा तेलंगाना की पी जे कुरियन, रकीबुल हुसैन और परागट सिंह हार के कारण पता लगाएंगे।

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गुजरात का कोई जिक्र नहीं

उड़ीसा की जिम्मेदारी अजय माकन और तारिक अनवर को दी गई है। पार्टी ने यह नहीं बताया है कि यह कमेटियां अपनी रिपोर्ट कब तक देंगी। पार्टी ने जिस तरह यह कमेटियां बनाई हैं लगता है महज औपचारिकता की है। गुजरात में पार्टी इस बार केवल एक ही सीट जीत पाई है। जबकि ढाई दशक से एक भी विधानसभा का चुनाव नहीं जीत पाई और पिछले दोनों लोकसभा चुनाव में खाता नहीं खुला था। लेकिन गुजरात का कोई जिक्र नहीं किया। इसी तरह राजस्थान में पार्टी ने गठबंधन में 11 सीटें जीती और 13 हार गई।

जम्मू कश्मीर की भी अनदेखी

हरियाणा में दस में से पांच ही जीती। लेकिन इन राज्यों को छोड़ दिया गया। उत्तर पूर्वी और जम्मू कश्मीर में हुई हार की भी अनदेखी की गई है। दरअसल लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी अध्यक्ष पर संगठन में नई नियुक्तियों को लेकर भी दबाव है। खरगे अभी तक अपनी टीम का पूरी तरह से गठन नहीं कर पाए हैं। इसके साथ चार राज्यों के चुनावों को लेकर भी चुनौतियां है। नई टीम में जगह पाने के लिए राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत,महाराष्ट्र के पृथ्वीराज चव्हाण,छत्तीसगढ़ के भूपेश बघेल जैसे नेता प्रयासरत हैं।

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