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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली, (Corona And Swine Flu In Delhi) : दिल्ली में कोरोना और स्वाइन फ्लू के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके साथ ही अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों का ऑक्सीजन लेवल भी गिर रहा है। जिससे चिकित्सकों की चिंता बढ़ गई है। दोनों रोगों के एक साथ बढ़ने से अस्पताल में रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रहे हैं।
गौरतलब है कि स्वाइन फ्लू एक श्वसन संक्रमण है जो सूअरों में पाए जाने वाले इन्फ्लूएंजा स्ट्रेन के कारण मनुष्यो में होता है। इसे पहली बार 1919 की महामारी के रूप में पहचाना गया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी (डब्ल्यूएचओ) ने 2009 में इसे एक महामारी घोषित किया था। इसके बाद डब्ल्यूएचओ ने अगस्त 2010 में घोषणा किया कि अब यह महामारी नहीं रहा।
फोर्टिस अस्पताल शालीमार बाग के निदेशक और एचओडी (पल्मोनोलॉजी) डॉ. विकास मौर्य ने बताया कि कुछ मरीजों को एक्स्ट्रा कॉरपोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन की आवश्यकता पड़ सकती है। ऐसे मरीजों की आॅक्सीजन की जरूरत काफी ज्यादा बढ़ जाती है और वेंटिलेटर सपोर्ट के साथ भी पर्याप्त रूप से पूरी नहीं हो पाती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कोरोना और स्वाइन फ्लू दोनों के लक्षण समान नजर आते हैं क्योंकि दोनों श्वसन संक्रमण से जुड़े वायरस हैं।
वहीं आकाश हेल्थकेयर में क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. विशाख वर्मा ने बताया कि मरीजों के सामान्य लक्षणों में बुखार, खांसी, सांस की तकलीफ, थकान, गले में खराश, बहती या भरी हुई नाक, शरीर में दर्द, सिरदर्द, उल्टी, दस्त शामिल हैं। चूंकि स्वाइन फ्लू के लक्षण आम सर्दी और कोविड के समान हैं। इसलिए लोग अक्सर इसे शुरूआती चरणों में तब तक गंभीरता से नहीं लेते हैं जब तक कि यह गंभीर नहीं हो जाती। स्वाइन फ्लू का मरीज आमतौर पर गले में जलन/खराश, नाक और पेट में दर्द के साथ खांसी से गुजरता है।
डॉ. वर्मा ने बताया कि सांस की तकलीफ एक अतिरिक्त लक्षण है। कोरोना के समान स्वाइन फ्लू भी बुजुर्गों, गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों और गर्भवती महिलाओं के लिए काफी खतरनाक है। ऐसे में लोगों को इससे जागरूक रहने के साथ ही सचेत रहने की जरूरत है। यदि किसी को खांसी, सांस लेने में तकलीफ और आॅक्सीजन लेवल में गिरावट का अनुभव होता है, तो उसे तुरंत डॉक्टर से जांच करा लेनी चाहिए।
डॉ. वर्मा ने आगे बताया कि अब हम उन सभी मरीजों की जांच कर रहे हैं जो श्वसन संबंधी समस्याओं के साथ आ रहे हैं। यहां तक कि हम मरीजों का मल्टीप्लेक्स पीसीआर भी कर रहे हैं। ऐसा सही इलाज की अनुपलब्धता और फेफड़ों को गंभीर नुकसान को रोकने के लिए किया जा रहा है।
लोगों को हाथ की स्वच्छता के साथ साथ शरीर में जल की पर्याप्त मात्रा का ख्याल रखना चाहिए। खांसी या छींक की स्थिति में डिस्पोजेबल टिशू का इस्तेमाल करें। डॉक्टर वर्मा ने लोगों को इस बीमारी से बचने के लिए क्वाड्रिप्लेजिक फ्लू वैक्सीन लगवाने का सुझाव दिया है ताकि इस महामारी से असानी से बचा जा सकें।
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