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वो जंगल से आते हैं और बन जाते हैं 'नक्सलियों का काल', दिखने में इतने खूंखार क्यों होते हैं भारत की इस फोर्स के कमांडोज?

BY: Preeti Pandey • LAST UPDATED : September 24, 2024, 12:12 pm IST
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वो जंगल से आते हैं और बन जाते हैं 'नक्सलियों का काल', दिखने में इतने खूंखार क्यों होते हैं भारत की इस फोर्स के कमांडोज?

CRPF Cobra Commando: जंगल से आते हैं और बन जाते हैं ‘नक्सलियों का काल

India News (इंडिया न्यूज), CRPF Cobra Commando: देश में जब भी कोई अनहोनी होती है तो देश की अंदरूनी सुरक्षा बढ़ाने के लिए अर्धसैनिक दल का गठन किया जाता है। देश की सुरक्षा को संभालने के लिए 28 दिसंबर 1949 को गठित की गई केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) के सामने नक्सलियों और उग्रवादियों से निपटने की बड़ी चुनौती रहती है। घने जंगलों से लेकर बीहड़ों तक के इलाकों में नक्सलियों के नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए इस बल को तैनात किया गया है। चूंकि जंगलों और बीहड़ों में छिपे नक्सलियों और उग्रवादियों से निपटने के लिए भी ऐसी ही समझ और रणनीति की जरूरत होती है। इसीलिए सीआरपीएफ की एक ऐसी यूनिट बनाई गई जो गुरिल्ला और जंगल युद्ध में माहिर है। इसका नाम रखा गया कोबरा यानी कमांडो बटालियन फॉर रेजोल्यूट एक्शन।

वर्तमान में देश में 10 इकाइयां में मौजूद

2008 में जब इस कोबरा बटालियन का गठन किया गया था, तो इसे गुरिल्ला या जंगल युद्ध में नेतृत्व करने के उद्देश्य से तैयार किया गया था। यह बटालियन नक्सलियों और उग्रवादियों जैसे राष्ट्रविरोधी तत्वों के इलाकों में घुसकर उन्हें मार गिराने के लिए जानी जाती है। 2008 में गठित इस कमांडो बटालियन की 10 इकाइयां वर्तमान में देश के अलग-अलग हिस्सों में अपनी सेवाएं दे रही हैं। आईजी रैंक के अधिकारी के नेतृत्व वाली इस बटालियन को देश की सबसे अनुभवी और सफल कमांडो टीम माना जाता है। इसके पीछे वजह यह है कि इस बटालियन की यूनिट्स को गुरिल्ला कल्याण और आंतरिक विवादों से निपटने के लिए तैनात किया जाता है, अभी तक देश की किसी भी दूसरी यूनिट को इतना अनुभव नहीं मिला है।

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जानकारी जुटाने के लिए किया जाता है ट्रेन

प्रशिक्षण के दौरान इस बटालियन के कमांडो को गुरिल्ला युद्ध, फील्ड इंजीनियरिंग, विस्फोट का पता लगाने, जंगल में जीवित रहने और उग्रवादियों और नक्सलियों से लड़ने की रणनीति का प्रशिक्षण दिया जाता है। उनके विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम में जंगल युद्ध संचालन की योजना बनाना और उसे अंजाम देना, शारीरिक क्षमता, जीपीएस, खुफिया जानकारी जुटाना और हेलीकॉप्टर से कूदना शामिल है। कोबरा कमांडो को खुफिया जानकारी का एक विशेष कोर्स भी कराया जाता है ताकि वे दुश्मन के इलाके में रहते हुए दुश्मन के बारे में खुफिया जानकारी जुटा सकें और उसके अनुसार अपनी रणनीति बनाकर प्रभावी कार्रवाई कर सकें।

कोबराज नक्सलियों का काल

कोबरा बटालियन को नक्सलियों का काल कहा जाता है। बटालियन की विभिन्न टुकड़ियों ने अब तक 61 नक्सलियों को मार गिराया है। इतना ही नहीं, 850 से अधिक नक्सलियों और उग्रवादियों को गिरफ्तार कर आत्मसमर्पण करवाया है। 2011 में नक्सलियों के पास से भारी मात्रा में विस्फोटक और हथियार भी बरामद किए गए थे। इस बटालियन को दो शौर्य चक्र समेत नौ वीरता पुरस्कार मिल चुके हैं। इस बटालियन की टुकड़ियों को जम्मू-कश्मीर में भी तैनात किया जा रहा है।

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