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'काट दो…', रामगोपाल की हत्या से पहले मस्जिद से हुआ था ये ऐलान, चश्मदीद ने खोली मुस्लिम कट्टरपंथियों की पोल, अब पूरा मोहल्ला नपेगा?

Divyanshi Singh • LAST UPDATED : October 18, 2024, 6:14 pm IST
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'काट दो…', रामगोपाल की हत्या से पहले मस्जिद से हुआ था ये ऐलान, चश्मदीद ने खोली मुस्लिम कट्टरपंथियों की पोल, अब पूरा मोहल्ला नपेगा?

Bahraich Violence

India News (इंडिया न्यूज),Bahraich Violence:बहराइच हिंसा और हत्या को लेकर हर तरफ तनाव का माहौल है। इस हिंसे में कई लोग घायल हुए है। वहीं हिंसा के दौरान राम गोपाल मिश्रा की मौत हो गई थी। घायल लोगों में इनमें विनोद मिश्रा और उनके दिव्यांग भाई सत्यवान मिश्रा का नाम भी शामिल है। हिंसा में घायल जहां एक भाई के हाथ पर प्लास्टर लगा है वहीं दूसरे के चेहरे पर अभी भी जख्म हैं।  दोनों भाइयों ने मीडियो से बातचीत में हिंसा वाले दिन की कई बाते साझा की।विनोद और सत्यवान ने कहा कि मूर्ति विसर्जन के दौरान हम दोनों भाई डीजे के ठीक पीछे थे। हमने सबकुछ अपनी आंखों से देखा है। मंजर बेहद भयावह था, पथराव में किसी का सिर फूटा था तो किसी का हाथ। मस्जिद से अनाउंसमेंट हो रहा था।

कैसे शुरु हुआ हिंसा

विनोद मिश्रा और सत्यवान मिश्रा ने कहा कि अब्दुल हमीद के परिवार ने डीजे पर बज रहे गाने पर आपत्ति जताई थी। उनसे गाना बंद करने को कहा गया था। जब वह नहीं रुका तो उन्होंने डीजे को गाली दी, थप्पड़ मारे, सीसा निकाला और फिर दुर्गा जी की मूर्ति पर पथराव शुरू कर दिया। जिससे मूर्तियां टूट गईं।

विनोद मिश्रा पेशे से शिक्षक थे। हिंसा में उनका हाथ टूट गया। उनका सिर भी फट गया। उन्होंने कहा कि दंगे के दौरान ऐसा लग रहा था कि वह बच नहीं पाएंगे। उनके भाई सत्यवान जो 90 प्रतिशत विकलांग हैं, उन्हें भी दंगे में नहीं बख्शा गया। वह भी बुरी तरह घायल हो गए।

मस्जिदों से ऐलान

विनोद और उनके भाई का दावा है कि दंगा बढ़ा तो मस्जिदों से ऐलान हुआ कि “जो भी दिखे उसे मार दो”। इसके बाद बड़ी संख्या में एक समुदाय विशेष के लोग तलवार और लाठी लेकर सड़क पर उतर आए। दूसरी ओर शोभा यात्रा में जा रही भीड़ भी हिंसक हो गई। इसके बाद हिंसा काफी बढ़ गई।

मिश्रा बंधुओं ने कहा कि हमें अभी तक न्याय नहीं मिला है। पुलिस ने इस मामले में एफआईआर भी दर्ज नहीं की है। अब्दुल हमीद के परिवार की भीड़ हमारे घर में घुसने की कोशिश कर रही थी। हामिद के घर में घुसने के सवाल पर बताया कि लोग राम गोपाल मिश्रा को बचाने के लिए घर में घुसे थे, ताकि उन्हें जिंदा बचाया जा सके। लेकिन पथराव बंद नहीं हुआ। जिससे बचाने गए लोग भी घायल हो गए।

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