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Dasheri Mango: इस बार देर से आया दशहरी आम, कमजोर फसल के चलते मंहगा बिकेगा

Sailesh Chandra • LAST UPDATED : May 27, 2024, 3:23 pm IST

India News (इंडिया न्यूज), अजय त्रिवेदी, लखनऊ: मौसम में उतार-चढ़ाव के चलते इस बार दशहरी की फसल लेट हो गई है। उत्तर प्रदेश के फल पट्टी क्षेत्र मलिहाबाद से दशहरी की पहली खेप रविवार को दिल्ली भेजी गयी है जबकि स्थानीय बाजारों में इसकी आवक जून के पहले सप्ताह में ही होगी। मलिहाबाद के बागवानों का कहना है कि इस बार फरवरी-मार्ची के महीने में कई बार हुयी बारिश, आंधी, तेज हवाओं के चलते फसल में देरी हुयी है। इसके चलते बौर भी देर में आए और दशहरी में तैयार हो रही है।

पिछले साल के मुताबले इस बार दशहरी की पैदावार भी कम है। हालांकि अभी स्थानीय मंडी के लिए रेट तो नहीं खुले हैं पर माना जा रहा है कि इस बार दशहरी पिछले साल के मुकाबले मंहगी ही रहेगी। मलिहाबाद के आम कारोबारी हकीम त्रिवेदी का कहना है कि दिल्ली में दशहरी की शुरुआती कीमत 80 से 100 रुपये रहने की संभावना है। उनका कहना है कि बीते दो दिनों से दिल्ली के आर्डर पूरे करने के लिए दशहरी की खेप रवाना की गयी है।

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हालांकि अभी बहुत थोड़ा माल ही भेजा जा रहा है। हकीम का कहना है कि इस समय मौसम के हिसाब से नौतपा चल रहा है। इन नौ दिनों में बेतहाशा गरमी पड़ती है और पाल की दशहरी को प्राकृतिक रूप से पकाने के लिए ये बेहतरीन समय होता है। उनका कहना है कि बागों में कच्ची दशहरी उतारी जा रही है और अगले एक सप्ताह में पाल की दशहरी की तेज आवक स्थानीय मंडियों में शुरु हो जाएगी।

कई देशों में फलों के पौधों का कारोबार कर रहे काकोरी-मलिहाबाद की मशहूर नफीस नर्सरी के शबीहुल हसन का कहना है कि पहले के मुकाबले इस बार दशहरी मंहगी जरूर रहेगी पर उसकी क्वालिटी बढ़िया है। उनका कहना है कि आम तौर पर हर साल 15 मई से दशहरी दिल्ली-मुंबई जैसे शहरों के लिए रवाना किया जाता था और मई के तीसरे सप्ताह तक लखनऊ की मंडियों में आ जाता था पर इस बार इसमें दस दिनों की देरी हो गयी है। शबीहुल बताते हैं कि पैदावार में भी पिछले साल के मुकाबले 25 से 30 फीसदी तक की कमी आयी है।

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आम के थोक कारोबारी राजा तिवारी के मुताबिक पिछले साल करीब 1.5 लाख टन आम की पैदावार थी जो इस साल बामुश्किल एक लाख टन तक रहने की उम्मीद है। उत्तर प्रदेश के फल पट्टी क्षेत्र मलिहाबाद-काकोरी में करीब 30000 हेक्टेयर में आम के बागान हैं। इनमें से 80 फीसदी बागान दशहरी के हैं।

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