इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली:
Deep Sidhu Controversy : किसान आंदोलन के दौरान युवाओं का नेतृत्व करने वाले और लाल किले पर निशान साहिब लहराने के मामलों से जुड़े दीप सिद्धू का मंगलवार देर शाम केएमपी सोनीपत में सड़क हादसे में निधन हो गया। दीप सिद्धू पंजाबी फिल्मों में बतौर अभिनेता कई फिल्में कर चुके हैं।
इसके साथ ही वो कई गानों में भी मॉडलिंग कर चुके हैं। इन सबके अलावा दीप सिद्धू सबसे ज्यादा चर्चा में तब आए थे जब किसानों ने तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली कूच किया था। उस समय दीप सिद्धू पंजाब के युवाओं को प्रतिनिधित्व कर रहे थे। कृषि आंदोलन के दौरान दीप सिद्धू का नाम कई विवादों के साथ जुड़ा रहा। जिसके लिए वो काफी चर्चा में रहे हैं। इस आर्टिकल में हम आपको दीप सिद्धू के साथ जुड़े विवादों के बारे में बताएंगे।
दीप सिद्धू सबसे ज्यादा विवादों में उस समय आए जब उन पर दिल्ली लाल किला पर हिंसा भड़काने का आरोप लगा। बड़े किसान नेताओं ने दीप सिद्धू को लाल किले पर हिंसा भड़काने के मामले में सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया था। सिद्धू पर आरोप था कि ट्रैक्टर मार्च के दौरान उन्होंने कुछ युवाओं को भड़काया था और उन्हें लाल किले के पास ले आए थे। जिनमें से एक युवक ने लाल किले पर तिरंगा हटाकर निशान साहिब लगाया था। वहीं जब लाल किले पर हंगामा हुआ तो किसान संगठनों ने दीप सिद्धू के उनके साथ होने की बात से पल्ला झाड़ लिया।
किसान आंदोलन विवाद के साथ ही दीप सिद्धू पर अमेरिका स्थित प्रतिबंधित खालिस्तान समर्थक संगठन सिख फॉर जस्टिस के साथ होने के आरोप में देशद्रोह के मामले में भी तलब किया गया था। एनआईए ने इस मामले में दीप सिद्ध को सम्मन जारी किया था। एजेंसी ने इससे पहले सिद्धू के भाई मंदीप सिंह को नोटिस जारी किया था।
उन्हें एसएफजे के गुरपतवंत सिंह पन्नू से जुड़े एक मामले में पूछताछ के नई दिल्ली में एनआईए मुख्यालय में पेश होने के लिए कहा गया था। दीप सिद्धू ने एसएफजे के साथ किसी भी तरह के संबंध होने की बात से इनकार किया था और एनआईए के सम्मन को केंद्र द्वारा तीन कृषि कानूनों का विरोध करने वालों को धमकाने के लिए एक कदम बताया।
लाल किला हिंसा मामले के बाद किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि सिद्धू ने संयुक्त किसान मोर्चा को बदनाम करने की कोशिश की थी। किसानों ने दीप सिद्धू पर सरकार के साथ मिले होने का आरोप लगाया था। किसानों ने कहा था कि हमें लगता है कि वह एक सरकारी एजेंट के रूप में काम कर रहे थे। लाल किला जाने की हमारी कोई योजना नहीं थी, लेकिन उन्होंने हमारे दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया और यहां तक कि कुछ युवाओं को गुमराह भी किया।
वहीं सिद्धू ने कृषि संघों द्वारा दरकिनार किए जाने के बाद फिर से सुर्खियों में आने का प्रयास किया। सिद्धू ने जिम्मेदारी का दावा करते हुए और कृत्य को सही ठहराते हुए एक वीडियो पोस्ट किया। जिसमें सिद्धू ने कहा कि सरकार ने ही लाल किले पर जाने वाले सभी रास्तों को युवाओं के लिए खोला था और ट्रैक्टर मार्च से युवाओं को खदेड़ कर उन्हें लाल किले की तरफ ले गई थी।
विवाद की शुरूआत दीप सिद्धू के अकाउंट से लाल किला हिंसा वाले दिन एक फेसबुक वीडियो पोस्ट करने से हुई। जिसमें सिद्धू को उनके समर्थकों के साथ लाल किले पर देखा जा सकता है। उनमें से कई युवाओं ने निशान साहिब और केसरी झंडे पकड़े थे। वीडियो में दिखाई दे रहा था कि दीप सिद्धू के पीछे कुछ युवा लाल किले पर निशान साहिब फहरा रहे थे। जिसके बाद दीप सिद्धू को काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था।
लुधियाना से कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा था किवह खालिस्तान का सबसे आगे का चेहरा हैं और गणतंत्र दिवस पर उन्होंने जो भूमिका निभाई, उससे यह स्पष्ट हो गया है। उसके बाद सिद्धू ने शाम 5.40 बजे फेसबुक पर एक और वीडियो पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने निशान साहिब का झंडा फहराने की बात स्वीकार की लेकिन कहा कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है।
आंदोलन के समय जब लाल किला हिंसा विवाद हुआ तो सोशल मीडिया पर कई लोगों ने दीप सिद्धू और सन्नी देओल की तस्वीर को शेयर किया। किसानों ने दीप सिद्धू पर आरोप लगाया कि वह भारतीय जनता पार्टी के साथ मिले हुए हैं और उन्होंने भाजपा के लिए इलेक्शन में प्रचार किया था। 2019 में, सिद्धू ने भाजपा उम्मीदवार सनी देओल के लिए प्रचार किया, जिन्होंने गुरदासपुर निर्वाचन क्षेत्र जीता। वह देओल के परिवार के काफी करीब थे, लेकिन बाद में देओल ने सिद्धू से खुद को अलग कर लिया।
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