India News (इंडिया न्यूज़), Zomato Pure Veg Controversy: फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म जोमाटो पिछले दिनों एक बड़े विवाद में फंस गया था। कंपनी ने प्योर वेज फूड की डिलीवरी के ग्रीन ड्रेस फ्लीट का ऐलान किया था। जिसके खिलाफ सोशल मीडिया में खूब बवाल हुआ। जिससे जोमाटो को 24 घंटे में ही ग्रीन ड्रेस को वापस लेना पड़ा। सोशल मीडिया पर लोगों ने इसे प्राइवेसी उल्लंघन और सुरक्षा का मसला करार दिया था। जोमाटो को इस फैसले पर इतने विरोध का जरा भी अंदाजा नहीं था। वहीं इस मामले पर जोमाटो के सीईओ दीपिंदर गोयल ने बात करते हुए कहा कि हमारी रिसर्च में प्योर वेज फ्लीट को लेकर शानदार आंकड़े आए थे। जिसके आधार पर हमने इसे आगे बढ़ाने का फैसला किया।
प्योर वेज सर्विस के पक्ष में थे लोग
बता दें कि जोमाटो के फाउंडर दीपिंदर गोयल ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि हमने बाजार सर्वे में 1600 लोगों से सवाल किए थे। इन लोगों की उम्र 50 वर्ष से अधिक थी। इसमें से 72 फीसदी लोगों ने प्योर वेज सर्विस की डिमांड की थी। जिसके पीछे उन लोगों ने जाति और धर्म नहीं बल्कि आध्यात्मिक कारण गिनाए थे। यह लोग न सिर्फ प्योर वेज खाना चाहते थे बल्कि शुद्ध शाकाहारी रेस्तरां भी इनकी प्राथमिकता थी। इस सर्वे को देखते हुए हमने ये सर्विस शुरू किया। इस विवाद को लेकर दीपिंदर गोयल ने कहा कि देश में कई नॉन वेजिटेरियन त्योहारों और विभिन्न पूजा के दौरान लोग शाकाहार लेने लगते हैं। फिर भी भोजन को लेकर राजनीति की जाती है। हमारे फ्रेंड सर्किल में भी कई लोग मेडिटेशन की यात्राएं करने के बाद शाकाहारी बन गए हैं।è
हमारा मकसद किसी को ठेस पहुँचाना नहीं
जोमाटो के फाउंडर ने कहा की यह सर्विस पूरी तरह से आध्यात्मिक चुनाव है। वो किसी को भी चोट नहीं पहुंचाना चाहते हैं। यह अहिंसा का सिद्धांत है, जिसका धर्म या जाति से कोई लेना देना नहीं है। हमें सोशल मीडिया पर जो रिएक्शन आए, उनमें से 80 फीसदी पॉजिटिव थे. इसके बावजूद हमने लोगों की सलाह पर अमल करने का फैसला किया। वहीं लोकसभा चुनाव और त्योहारों के दौरान इस सेवा को शुरू करने पर जोमाटो सीईओ ने कहा कि इन चीजों का आपस में कोई संबंध नहीं है। हमने इन चीजों के बारे में नहीं सोचा था। जोमाटो पर 25 फीसदी कस्टमर शाकाहारी हैं। साथ ही हमारे प्लेटफॉर्म पर करीबन 65 फीसदी ऑर्डर शाकाहारी होते हैं।
RBI MPC Meeting: आरबीआई ने जारी की MPC बैठकों की तारीखें, नए वित्त वर्ष में मिल सकती है EMI से राहत