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कुत्ता पालने वालों की खैर नहीं, देश के किस शहर में रात को भौंका तो मालिक पर होगी FIR!

Dog Owner Legal Responsibility: अब कुत्ता पालना सिर्फ एक शौक नहीं, बल्कि एक बड़ी कानूनी जिम्मेदारी होगी. नए नियमों के मुताबिक, पालतू कुत्तों का रजिस्ट्रेशन अब जरूरी है, और रजिस्ट्रेशन फीस बढ़ाकर ₹2000 कर दी गई है.

Written By: shristi S
Last Updated: December 20, 2025 19:59:11 IST

Dehradun Dog Barking FIR Rule: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में आवारा और पालतू कुत्तों के बढ़ते हमलों और उससे होने वाली पब्लिक परेशानी को देखते हुए, नगर निगम ने अब सख्त रुख अपनाया है. शहर की सड़कों और गलियों में सुरक्षित माहौल बनाने के लिए ‘देहरादून डॉग लाइसेंसिंग बायलॉज-2025’ को मंजूरी दे दी गई है. अब कुत्ता पालना सिर्फ़ एक शौक नहीं, बल्कि एक बड़ी कानूनी ज़िम्मेदारी होगी. नए नियमों के मुताबिक, देहरादून में पालतू कुत्तों का रजिस्ट्रेशन अब जरूरी है, और रजिस्ट्रेशन फीस बढ़ाकर ₹2000 कर दी गई है. 3 महीने से ज़्यादा उम्र के सभी पालतू कुत्तों का रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. यह लाइसेंस रजिस्ट्रेशन या रिन्यूअल की तारीख से सिर्फ़ एक साल के लिए वैलिड होगा. लाइसेंस लेने के लिए किसी पशु चिकित्सक द्वारा जारी रेबीज वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट जरूरी होगा.

कुत्तों के मालिक हो जाओ सावधान

अक्सर देखा जाता है कि रात में पालतू कुत्तों के भौंकने से पड़ोसियों की शांति भंग होती है. नए बायलॉज में खास तौर पर इस समस्या पर ध्यान दिया गया है. अगर कोई पड़ोसी कुत्ते के भौंकने की शिकायत करता है, तो निगम पहले मालिक को नोटिस देगा, और अगर नोटिस के बाद भी स्थिति में सुधार नहीं होता है, तो कुत्ते के मालिक पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा. अगर कोई पालतू कुत्ता किसी को काट लेता है, तो कुत्ते के मालिक के खिलाफ FIR दर्ज की जा सकती है. गंभीर मामलों में, नगर निगम कुत्ते को जब्त भी कर सकता है. खतरनाक नस्ल के कुत्तों को पब्लिक जगहों पर ले जाते समय उनके मुंह पर जाली लगाना भी जरूरी हो सकता है. देहरादून नगर आयुक्त नमामी बंसल ने कहा कि नगर निगम के नए नियमों से न सिर्फ़ पालतू जानवरों का मैनेजमेंट बेहतर होगा, बल्कि पब्लिक सुरक्षा भी मज़बूत होगी.

क्या है लोगों का कहना?

देहरादून निवासी मनोज कुमार ने कहा कि देहरादून नगर निगम द्वारा पालतू और आवारा कुत्तों के खतरे को कम करने के लिए लागू किया गया कानून एक सराहनीय पहल है. छोटे बच्चे और बुज़ुर्ग लोग कुत्तों के झुंड के डर से सुबह-शाम घरों से बाहर निकलने से डरते हैं. जहां आवारा कुत्ते खतरा पैदा करते हैं, वहीं ऐसे भी कई मामले सामने आए हैं जहां लोगों ने खतरनाक नस्ल के कुत्ते पाले हैं और उन्हें खुला छोड़ दिया है, जिससे वे राहगीरों पर हमला करते हैं. एक सुबह जब वह कहीं जा रहे थे, तो एक कुत्ते ने उनके पैर में काट लिया था. आज भी उन्हें कुत्तों से डर लगता है. कुछ लोगों का कहना है कि देहरादून नगर निगम के नियम सिर्फ़ कागज़ों पर हैं. धीरज पाल ने कहा कि नगर निगम सिर्फ़ कागज़ों पर नियम बनाता है, लेकिन जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग है. उसके पड़ोस में एक आदमी चार-पांच कुत्ते पालता है और उन्हें बाहर छोड़ देता है. वे रोते और भौंकते रहते हैं, जिससे पड़ोस के बच्चों और बुज़ुर्गों को परेशानी होती है, और पढ़ाई करने वाले बच्चों को भी सिरदर्द होता है.

इसे कैसे रोका जाए?

धीरज का कहना है कि उसने 17 नवंबर को कुत्ते के मालिक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ है. कुत्तों के मालिक को उनके लिए घर के अंदर इंतज़ाम करना चाहिए ताकि पड़ोसियों को परेशानी न हो. अशोक कुमार कहते हैं कि यह नगर निगम का अजीब आदेश है. कोई मालिक कुत्तों को भौंकने से कैसे रोक सकता है? कुत्ते इतने समझदार नहीं होते कि वे समझ सकें कि उनके मालिक पर जुर्माना लगेगा, इसलिए उन्हें भौंकना नहीं चाहिए. कुत्ते का भौंकना मालिक को अलर्ट करता है. देहरादून में चोरियां बहुत आम हैं, और लोग सुरक्षा के लिए कुत्ते पालते हैं.

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