दिल्ली और एनसीआर में गुरुवार से प्रदूषण नियंत्रण संबंधी कई उपाय लागू हो जाएंगे, जैसे कि घर से काम करना और पीयूसी प्रमाणपत्र अनिवार्य करना. हालांकि, GRAP-4 के तहत सख्त उपायों के बावजूद, कुछ छूट भी दी गई हैं.
दिल्ली में बढ़ते AQI को रोकने के लिए BS VI वाहनों पर विशेष जोर दिया गया है.
दिल्ली प्रदूषण संकट और GRAP-IV प्रोटोकॉल (18 दिसंबर 2025 से लागू) GRAP-IV के नए नियम:
- no PUC no fuel: PUC यानि पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट न दिखाने पर पेट्रोल पंप पर पेट्रोल, डीजल नहीं दिया जायेगा. हर स्टेशन पर पुलिस+ट्रांसपोर्ट अधिकारी निगरानी के लिए मौजूद होंगे, शुरू में लोगों को जागरूक किया जायेगा फिर चालान लगाया जायेगा.
- छूट: एम्बुलेंस, फायर टेंडर, पुलिस, डॉक्टर, अस्पताल, यूटिलिटी, ट्रांसपोर्ट, डिजास्टर सर्विसेज को इससे मुक्त रखा जायेगा, जिससे सार्वजनिक सुविधाओं में किसी भी तरह की अड़चन न हो.
- बाहरी non-BS VI ban: दिल्ली के बाहर रजिस्टर्ड BS-VI से नीचे प्राइवेट वाहन प्रवेश बंद (GRAP-IV तक) हो जायेगा.
- 50% WFH: सरकारी और प्राइवेट ऑफिस में आधे स्टाफ घर से ऑफिस का काम करेंगे.
- कंस्ट्रक्शन स्टॉप: दिल्ली एनसीआर के अंदर किसी भी तरह का निर्माण नहीं होगा. मजदूरों को ₹10,000 तक का मुआवजा दिया जायेगा.
भारत के वाहन इंजन नॉर्म्स
भारत के वाहन इंजन नॉर्म्स BS-3, BS-4 और BS-6 यूरो मानकों पर आधारित हैं.ये Bharat Stage (BS) मानक वाहनों से निकलने वाले हानिकारक गैसों जैसे नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx), पार्टिकुलेट मैटर (PM), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) और हाइड्रोकार्बन (HC) को कम करते हैं. BS-3 (2005) से BS-6 (2020) तक वाहनों से होने वाले प्रदूषण में 80% तक कमी आई. दिल्ली के GRAP-IV (18 दिसंबर 2025 से लागू) में BS-VI+ वाहनों पर जोर इसलिए दिया गया है क्योंकि AQI 334 (very poor) से भी अधिक पहुंच गया है.
BS-3, BS-4 vs BS-6: प्रदूषण स्तर में अंतर
BS-3 इंजनों में NOx और PM के स्तर ऊंचे थे. BS-4 (2010 से) ने इन्हें 30-40% कम किया, लेकिन BS-6 ने क्रांति ला दी. BS-6 डीजल इंजनों में NOx 70% (82 mg/km से 6 mg/km) और PM 82% (4.5 mg/km से 0.8 mg/km) कम करता है. पेट्रोल में HC+NOx 25% घटता है. BS-6 में सल्फर 50 ppm (BS-4) से घटकर 10 ppm रह गया, जो ईंधन का बेहतर दहन और कम धुआं पैदा करता है.
दिल्ली में BS-6 पर जोर क्यों? खासियतें क्या?
BS-6 Euro VI जितना सख्त, फ्यूल एफिशिएंट और कम प्रदूषणकारी है. दिल्ली में 30-40% PM2.5 के लिए वाहन जिम्मेदार हैं. GRAP-IV में इसीलिए बाहरी non-BS VI गाड़ियां प्रतिबंधित की गयी हैं. BS-6 स्वास्थ्य जोखिम (श्वास, कैंसर) को कम करता है. 2025 तक 90% नई गाड़ियां BS-6 मानक वाली हैं.
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर ये सख्त कदम उठाना जरूरी है. PUC चेक करवाएं, कारपूल अपनाएं और राजधानी की AQI सुधारने में सहयोग करें.