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India News (इंडिया न्यूज़), Delhi (Amendment) Bill 2023: दिल्ली अध्यादेश बिल पर AAP नेता और दिल्ली सरकार में मंत्री गोपाल राय ने कहा कि केंद्र सरकार दिल्ली के अधिकारों को जबरदस्ती छीनने के लिए बिल राज्यसभा में लेकर आ रही है। कल सभी विपक्षी पार्टियां मिलकर इस बिल का विरोध करेंगी। बता दें 3 अगस्त को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 लोकसभा में पारित कर दिया गया था। ऐसे में इसे लेकर विपक्ष सरकार पर हमलवार है। हालांकि जब ये बिल लोकसभी में परित किया जा रहा था तो विपक्ष ने उसके विरोध में मत ना करके वॉक-आउट किया था, विपक्ष के इस रूख को भाजपा के नेताओं के द्वारा विधेयक का समर्थन बताया।
#WATCH केंद्र सरकार दिल्ली के अधिकारों को जबरदस्ती छीनने के लिए बिल राज्यसभा में लेकर आ रही है। कल सभी विपक्षी पार्टियां मिलकर इस बिल का विरोध करेंगी: दिल्ली अध्यादेश बिल पर AAP नेता और दिल्ली सरकार में मंत्री गोपाल राय pic.twitter.com/OHwHdUd7g0
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 6, 2023
इस पूरे मामले पर भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी ने कहा था, “विपक्ष शर्मिंदा था…उनमें वोट देने की हिम्मत नहीं थी इसलिए उन्होंने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। उन्होंने 9 विधेयकों पर चर्चा नहीं की लेकिन वे अपने गठबंधन को बचाने के लिए इस विधेयक पर चर्चा करने आए। उन्होंने इस विधेयक का विरोध नहीं किया लेकिन वॉक-आउट किया। कांग्रेस ने अघोषित रूप से सरकार का समर्थन किया और मतदान में भाग नहीं लिया। यदि आप बाहर निकलते हैं, तो इसका मतलब है कि आप विधेयक का समर्थन करते हैं। अन्यथा, आपने इसके विरुद्ध मतदान किया होता।”
गौरतलब है 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर फैसला देकर ये साफ कर दिया कि दिल्ली की नौकरशाही पर चुनी हुई सरकार का ही कंट्रोल है और अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग पर भी अधिकार भी उसी का है। प्रशासनिक सेवाओं के नियंत्रण और अधिकार से जुड़े मामले पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, दिल्ली की पुलिस, जमीन और पब्लिक ऑर्डर पर केंद्र का अधिकार है, लेकिन बाकी सभी मामलों पर चुनी हुई सरकार का ही अधिकार होगा। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ कर दिया था कि पुलिस, जमीन और पब्लिक ऑर्डर को छोड़कर बाकी सभी दूसरे मसलों पर उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार की सलाह माननी होगी।ऐसे में केंद्र सरकार एक अध्यादेश लेकर आई , जिसके तहत अफसरों की ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार उपराज्यपाल को वापस मिल गया।
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