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India News (इंडिया न्यूज),Delhi government fell because of onions: सब्जियों में डाला जाना वाला प्याज कितना ताकतवर हैं? इसका जवाब है इतना तकतवर हैं कि किसी सरकार को गिरा सकता है। अब आप कहेंगे कुछ भी लेकिन जब दिल्ली की राजनीति का इतिहास पलटकर देखेंगे तो पाएंगे कि यह कुछ भी नहीं बल्कि हकीकत है।बात साल 1998 की है जब प्लाज के बढ़ते दामों ने दिल्ली की गद्दी पर सवार दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री सुषमा स्वराज की सरकार गिरा दी थी। 1993 में पूर्ण बहुमत के साथ बीजेपी पहली बार सत्ता में आई थी। उस समय भारतीय जनता पार्टी के नेता मदनलाल खुराना सीएम बने।
जहां भाजपा ने दिल्ली में सुषमा स्वराज को उतारा था वहीं कांग्रेस ने स्वराज के खिलाफ एक अन्य महिला नेता शीला दीक्षित पर दांव लगाया। कांग्रेस ने राजधानी की बागडोर शीला दीक्षित को सौंप दी।उत्तर प्रदेश के एक मशहूर राजनीतिक परिवार की बहू शीला दीक्षित ने दिल्ली में कांग्रेस संगठन को सक्रिय करके खुद को सुषमा स्वराज के विकल्प के तौर पर स्थापित किया। इस तरह दिल्ली की सियासी जंग दिलचस्प हो गई। शीला दीक्षित का जादू दिल्ली पर इस हद तक छाया कि सुषमा स्वराज को आगे करने के बाद भी बीजेपी अपना सियासी किला नहीं बचा पाई। इसके बाद की कहानी से हर कोई वाकिफ है। इसके बाद शीला दीक्षित 2014 तक लगातार तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं।
सुषमा स्वराज दिल्ली में सरकार तो नहीं बचा पाईं, लेकिन उन्होंने अपनी विधानसभा सीट जरूर जीत ली। दिल्ली की जनता द्वारा नकारे जाने के बावजूद वे दिल्ली की राजनीति से बराबर जुड़ी रहीं। उस समय दिल्ली भाजपा में लालकृष्ण आडवाणी, मदनलाल खुराना, अरुण जेटली, विजय कुमार मल्होत्रा के साथ सुषमा स्वराज का नाम प्रमुखता से लिया जाता था। प्याज की बढ़ती कीमत और महंगाई के कारण भाजपा मात्र 15 सीटों पर सिमट गई। कांग्रेस को 52, जनता दल को एक और निर्दलीय को दो सीटें मिलीं। 1993 के बाद भाजपा कभी दिल्ली की सत्ता में वापस नहीं आ सकी।
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